पिछले साल जब कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए थे तो मीडिया के एक वर्ग द्वारा इसके लिए दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम को जिम्मेदार ठहराया गया था।
पायलट ने दौसा, भरतपुर और चाकसू में बड़ी किसान महापंचायतें की हैं और इनमें अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की मदद के बिना ही भीड़ जुटाकर आलाकमान तक अपने ‘जिंदा’ होने का पैगाम पहुंचाया है।
यह बात तय है कि 2022 में प्रियंका ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगी। प्रियंका को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से सुस्त और निस्तेज पड़ी कांग्रेस में जान आ सकती है।
अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली किसानों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे राकेश टिकैत ख़ुद चुनाव लड़कर बुरी तरह हार चुके हैं। लेकिन इस आंदोलन से वह एक मजबूत किसान नेता के रूप में उभरे हैं।
किसान आंदोलन ने पंजाब की सियासत पर भी गहरा असर किया है। इसलिए शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ख़ुद को किसानों का हितैषी दिखाने की जोरदार कोशिश कर रहे हैं।
सरकार ने किसानों को बेवजह ही छेड़ा, वरना आज वे बॉर्डर्स पर नहीं दिल्ली के रामलीला मैदान में बैठे होते क्योंकि दिल्ली आने से 2 महीने पहले से उन्होंने रामलीला मैदान कूच करने की बात कही थी।
शरद पवार को यूपीए चेयरपर्सन बनाने की चर्चा कहीं से तो छेड़ी गई होगी। अचानक ही मीडिया में इसे लेकर हल्ला मचने का मतलब है कि सीधा कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल।