loader

'अगर मेरा नाम कन्हैया अंबानी होता तो पुलिस मेरे पीछे-पीछे घूमती'

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का कहना है कि अगर उनका नाम कन्हैया अंबानी होता तो पुलिस उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल नहीं करती, उनके पीछे-पीछे घूमती। कन्हैया ने यह बात 'सत्य हिंदी' से एक ख़ास बातचीत में कही है। कन्हैया का कहना है कि चूँकि वह ग़रीब परिवार से हैं, इसलिए पुलिस उनके पीछे पड़ी हुई है और उन्हें फँसा रही है। कन्हैया कुमार पर आरोप है कि उन्होंने देश तोड़ने वाले नारे लगाए थे। 

'बीजेपी सरकार की साज़िश'  

कन्हैया इन दिनों बिहार के बेगूसराय में अपने गाँव बिहटा में हैं। उनके बारे में चर्चा है कि वह बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। कन्हैया का मानना है कि जिस बात को आधार बनाकर उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट फ़ाइल की गई है, उसे दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही ख़ारिज कर दिया है। कन्हैया के मुताबिक़, पुलिस उन पर जिस समारोह में देश के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करने के आरोप लगा रही है, उसमें वह मौजूद ही नहीं थे। कन्हैया ने पुलिस की चार्जशीट को बीजेपी सरकार की साज़िश बताया है।

देश विरोधी नारे?  

दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में चार्जशीट फ़ाइल की है। इसमें कन्हैया कुमार और कुछ अन्य छात्र नेताओं पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। मामला फ़रवरी 2016 का है। एक न्यूज़ चैनल ने कहा था कि संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफ़ज़ल गुरु को फाँसी दिए जाने के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम में जेएनयू के कुछ छात्रों ने देश के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि कन्हैया इस कार्यक्रम में मौजूद थे। कन्हैया कुमार और अन्य छात्र नेताओं को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया था। इन दिनों कन्हैया ज़मानत पर हैं।

चार्जशीट फ़ाइल होने के बाद 'सत्य हिंदी' ने उनसे बातचीत की। बातचीत में कन्हैया ने कहा कि जेएनयू को बदनाम करने के लिए और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करने के कारण उन पर झूठे आरोप लगाए गए और इसकी तैयारी फ़रवरी 2016 से पहले ही हो गई थी। उन्होंने कहा कि आरएसएस के दो मुखपत्र - पाँचजन्य और ऑर्गेनाइजर ने नवंबर 2015 में जेएनयू के ख़िलाफ़ एक रिपोर्ट छापी थी, इससे पता चलता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार जेएनयू के ख़िलाफ़ पहले से ही साज़िश रच रही थी।

विडियो में हुई जोड़-तोड़

कन्हैया के मुताबिक़, देश विरोधी कार्यक्रम में शामिल होने और देश के टुकड़े-टुकड़े होने की नारेबाज़ी का आरोप पूरी तरह ग़लत है। उनका आरोप है कि एक न्यूज़ चैनल ने विडियो में जोड़-तोड़ करके उन पर झूठी तोहमत मढ़ी थी। कन्हैया ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने इस मामले की जाँच मजिस्ट्रेट से कराई, जिसमें विडियो में जोड़-तोड़ की बात साफ़ तौर पर सामने आ गई थी। 

कन्हैया ने कहा कि जेएनयू गठित जाँच समिति ने चैनल के आरोपों को सही बताया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे ग़लत क़रार दिया। कन्हैया का कहना है कि जेएनयू का कोई भी छात्र देश के ख़िलाफ़ नारे नहीं लगाता और वह कभी ऐसा कर ही नहीं सकता। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जेएनयू प्रशासन ने उनकी पीएचडी की थीसिस जमा करने में अड़ंगा लगाया था ताकि वह पीएचडी न कर पाएँ।

तीन साल क्यों लगे?

कन्हैया ने बातचीत के दौरान सवाल खड़ा किया कि देशहित के इतने महत्वपूर्ण मामले में पुलिस ने तीन साल के बाद चार्जशीट क्यों फ़ाइल की? इस मामले की जाँच तुरंत पूरी होनी चाहिए थी। अब कन्हैया की माँग है कि फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चलाकर तुरंत इसका फ़ैसला किया जाना चाहिए। पूरी बातचीत का विडियो नीचे देखिए 'सत्य हिंदी' पर।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शैलेश

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें