loader

सावधान इंडिया! नागरिकता क़ानून का विरोध किया तो...

क्या नागरिकता क़ानून का विरोध करना गुनाह है? क्या कोई सरकार के फ़ैसले की आलोचना नहीं कर सकता? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि टीवी शो 'सावधान इंडिया' के होस्ट और अभिनेता सुशांत सिंह को नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शामिल होने के बाद उस शो से हटना पड़ा है। इसकी जानकारी भी अभिनेता सुशांत सिंह ने ही ट्वीट कर दी। वह 2011 से इस शो का हिस्सा रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया कि खुलकर बोलने के लिए यह 'छोटी क़ीमत' थी। एक ट्विटर यूज़र के इस सवाल पर कि क्या सच बोलने की क़ीमत उन्हें चुकानी पड़ी, उन्होंने जवाब में लिखा, 'एक बहुत छोटी क़ीमत मेरे दोस्त। नहीं तो आप भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को जवाब कैसे देंगे।' बता दें कि 'सावधान इंडिया' शो चलाने वाले 'स्टार भारत' की ओर से इस पर प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सम्बंधित ख़बरें

सुशांत सिंह ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि मुझे बताया गया कि मेरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा, 'इसके लिए कोई कारण भी नहीं बताया गया। मैं तो इस पर अनुमान भी नहीं लगाना चाहता। यह सिर्फ़ एक कोइन्सीडेंस हो सकता है कि प्रदर्शन में मेरे मौजूद रहने के दिन ही यह हो गया।'

उन्होंने कहा, 'मैं दूसरों की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे आवाज़ उठानी चाहिए। और ऐसा नहीं है कि किसी ने आवाज़ नहीं उठाई है। ऋचा चड्डा, तापसी पन्नू, जीशन अय्यूब और अनुभव सिन्हा हैं जो हाल की घटनाओं पर बोलते रहे हैं।... मेरा बड़ा सामान्य सा सिद्धांत है- मैं अपना टैलेंट बेचता हूँ अपना ईमान नहीं। जब मेरे बच्चे बड़े होंगे और मुझसे पूछेंगे कि जब छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा था तब आप कहाँ थे तब मेरे पास उसका उत्तर होना चाहिए।'

बता दें कि सुशांत नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ बोलते रहे हैं। उन्होंने जामिया मिल्लिया इसलामिया में छात्रों के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई की भी आलोचना की थी। इसी रविवार को जामिया इलाक़े में ज़बरदस्त हिंसा हुई थी। इसके बाद पुलिस कैंपस में घुस गई थी और छात्रों के ख़िलाफ़ बल का प्रयोग किया था। 

सुशांत ने कहा कि उन्हें उससे बहुत दुख हुआ जिस तरह से छात्रों के साथ पेश आया गया। उन्होंने कहा कि पहले यह जेएनयू के छात्रों के साथ हुआ और अब जामिया के साथ। 

नागरिकता क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नहीं माना जाएगा। उन्हें इस देश की नागरिकता दी जाएगी। हालाँकि, इस क़ानून में मुसलिमों के लिए यह प्रावधान नहीं है। इसी को लेकर विरोध हो रहा है।
जब से नागरिकता क़ानून का मुद्दा उठा है तब से ये आरोप लगाए जा रहे हैं कि बॉलीवुड इस मामले में चुप है। सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि बॉलीवुड अभिनेता इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हैं और क्या उन्हें किसी से डर लगता है?

इस बीच कुछ गिने-चुने अभिनेताओं ने बोलना शुरू किया है। अब सुशांत सिंह का यह मामला आया है।

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सरकारी दबाव में किया गया है? ऐसे सवाल तब भी उठे थे जब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो से कथित तौर पर निकाल दिया गया था और कॉमेडियन श्याम रंगीला को एक दूसरे कॉमेडी शो पर विवाद हुआ था। 

नवजोत सिंह सिद्धू का विवाद

बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू का मामला तब हुआ था जब वह पुलवामा हमले के बाद क्रिकेटर दोस्त और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बुलावे पर पाकिस्तान गए थे और वहाँ के सेना प्रमुख जनरल बाजवा के गले मिले थे। इस पर जब उनकी आलोचना की गई थी तब पुलवामा में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन के ‘कायरतापूर्ण’ हमले की कड़ी निंदा करते हुए सिद्धू ने पूछा था कि क्या कुछ लोगों की करतूत के लिए पूरे देश को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है। माना जाता है कि इस बयान के बाद सिद्धू को कपिल शर्मा के शो से निकाल दिया गया था।

ताज़ा ख़बरें

श्याम रंगीला का विवाद

कॉमेडियन श्याम रंगीला के लाफ्टर शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ से निकाले जाने की भी ख़बर आई थी। हालाँकि इस मामले में कारण दूसरा था। तब ख़ुद श्याम रंगीला ने बताया था, ‘मुझे मिमिक्री के लिए ही इस शो से जुड़ने का मौक़ा मिला था और मैंने अपनी पहली प्रस्तुति में मोदी जी और राहुल गाँधी की मिमिक्री की थी। लेकिन चैनल ने मुझे कोई और एक्ट करने के लिए कहा। हाँ, बाद में मुझे बताया गया कि मैं मोदी की मिमिक्री नहीं कर सकता, लेकिन राहुल की कर सकता हूँ|’ फिर उन्होंने बताया कि हालाँकि बाद में राहुल गाँधी की मिमिक्री करने से भी मना कर दिया गया।

बहरहाल सुशांत सिंह का पूरा यह मामला क्या बॉलीवुड के दूसरे कलाकारों के लिए संदेश है?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें