असम में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने फिर से जीत हासिल की है, मगर उसकी जीत का रहस्य क्या है। बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विकास किया है, लोगों ने उसके लिए उसे दोबारा सत्ता सौंपी है, लेकिन क्या इसमें सचाई है?
चुनाव नतीजे बताएंगे कि असम में हिंदुत्व की राजनीति का भविष्य क्या है और उसके बरक्स असमिया अस्मिता एवं संस्कृति की रक्षा के लिए की जाने वाली राजनीति का दौर ख़त्म हो गया है या फिर लौटेगा।
बस्तर में माओवादियों से लड़ते हुए जवानों की शहादत पर सवाल उठाने की वजह से असमिया लेखिका शिखा सर्मा को गिरफ़्तार कर लिया गया है। उन पर राजद्रोह का मामला लगाया गया है।
असम में हुआ भारी मतदान क्या व्यवस्था- विरोधी वोट है यानी कि अधिक मतदान इसलिए हुआ कि लोगों में मौजूदा सरकार के प्रति गुस्सा है? अभी कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन भारी मतदान और चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों के आधार पर एक मोटा अनुमान लगाया जा सकता है।
मंगलवार को तमिलनाडु की सभी 234 विधानसभा सीटों पर मतदान हैं। इसके अलावा केरल विधानसभा की सभी 140 और पुडुचेरी की सभी 30 सीटों पर लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
चुनाव आयोग ने असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विस्व सर्मा को राहत देते हुए चुनाव प्रचार पर लगी रोक 48 घंटे से घटा कर 24 घंटे कर दी है। विस्व सर्मा शनिवार शाम से ही चुनाव प्रचार कर सकेंगे।
असम में बीजेपी नेता और मंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी गई है। उनपर यह पाबंदी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के नेता के ख़िलाफ़ एनआईए के माध्यम से जेल भेजने की धमकी देने के लिए लगाई गई है।
असम में एक अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। दूसरे दौर की 39 सीटों के लिए 345 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण की सैंतालीस सीटों से उलट इस चरण में मामला एकतरफ़ा नहीं होगा।
विधानसभा चुनावों के दूसरे चरण के तहत पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 39 सीटों के मतदान के लिए प्रचार कार्य मंगलवार की शाम ख़त्म हो गया। इन सीटों पर मतदान गुरुवार को होगा।
असम में पहले चरण में जिन 47 सीटों के लिए मतदान होना है, पिछली बार उनमें से बीजेपी ने 27 पर जीत हासिल की थी। असम गण परिषद (एजीपी) को 8, कांग्रेस को 9 और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ़) को सिर्फ दो सीटें मिली थीं।