संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वाले नागरिकता संशोधन बिल जैसे काले क़ानून के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय जनता दल 22 दिसंबर,रविवार को “बिहार बंद” करेगा।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 13, 2019
हम सभी संविधान प्रेमी, न्यायप्रिय, धर्मनिरपेक्ष दलों, ग़ैर-राजनीतिक संगठनों और आम जनमानस से अपील करते है बढ़-चढ़कर इसे सफल बनाने में सहयोग दें
कुछ राज्य सरकारें विरोध में उतरीं
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर विपक्षी दलों की सरकारों ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है। पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल की सरकारों ने कहा है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस क़ानून को लागू नहीं होने देंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस शासित सरकारों ने भी इस क़ानून को संविधान विरोधी क़रार दिया है।
इस क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
एनडीए में ही विरोध
एनडीए में बीजेपी की सहयोगी और असम के बड़े राजनीतिक दल असम गण परिषद का कहना है कि इस क़ानून के कारण बांग्लादेशी हिंदुओं के आने से असम बर्बाद हो जाएगा। बीजेपी के एक अन्य सहयोगी दल इंडीजीनस पीपल फ़्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) ने भी इसके विरोध में आवाज़ बुलंद की है।
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