loader

जाति जनगणना पर प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश का अपमान किया: तेजस्वी

जाति जनगणना पर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के लिए नीतीश कुमार को समय नहीं मिलने के आरोपों को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री का अपमान किया है। नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री पर जाति जनगणना को लेकर मुलाक़ात के लिए समय नहीं देने का आरोप लगाया था। बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि इस मुद्दे पर उन्होंने केंद्र सरकार को ख़त लिखा है। 

तेजस्वी ने कहा है, 'चूँकि दोनों जगह एनडीए की सरकारें हैं, हम बिहार विधानसभा के विपक्षी नेता, बिना किसी पूर्वाग्रह के गए और सम्मानित मुख्यमंत्री से उनके कक्ष में मिले। हमने कहा, आप कुछ समय प्रधानमंत्री से चाहते हैं और हम जाकर उनसे मिलेंगे।' इसके बाद तेजस्वी ने कहा कि अगर उन्हें अभी एक सप्ताह में भी समय नहीं दिया गया है तो यह एक तरह से मुख्यमंत्री का अपमान है। 

तेजस्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मिलते रहे हैं, जिसका मतलब है कि नीतीश कुमार के साथ इस तरह से चुनिंदा तरीक़े से व्यवहार किया जा रहा है।

ख़ास ख़बरें

इसी हफ़्ते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि यदि केंद्र ने जाति आधारित जनगणना शुरू नहीं की तो इसके लिए राज्य स्तर पर चर्चा शुरू की जा सकती है। नीतीश कुमार ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में एक ऐसी जनगणना की मांग दोहराई थी जिसमें भारत की जाति की विभिन्नता को ध्यान में रखा गया हो और जैसा बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से 2019 में और फिर 2020 में एक प्रस्ताव पारित किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा था, 'यह समझना चाहिए कि निर्णय केंद्र को लेना है। हमने अपनी मांग रखी है। यह राजनीतिक नहीं है, यह एक सामाजिक मामला है।' यह पूछे जाने पर कि यदि केंद्र ऐसा नहीं करता है तो क्या राज्य भी इस तरह की कवायद करेगा, उन्होंने कहा, 'फिर हम यहाँ इस पर चर्चा करेंगे, ठीक न?'

नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के लिए समय मांगे जाने के बारे में कहा कि उनके कार्यालय ने 4 अगस्त को उनका पत्र पा भी लिया, लेकिन तब से कोई जवाब नहीं आया है। 

इससे पहले जेडीयू के एक सांसद ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उन्हें गृह मंत्री अमित शाह से मिलने को कहा गया था। यह घटनाक्रम तब हो रहा है जब जाति आधारित जनगणना के लिए कई विपक्षी दल दबाव डाल रहे हैं।

इस मामले में अब तक केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना के पक्ष में नहीं है। बिहार में बीजेपी को छोड़कर क़रीब-क़रीब सभी पार्टियाँ जाति आधारित जनगणना की मांग करती रही हैं।

आरजेडी नेता लालू यादव ने भी हाल ही में इसकी मांग की थी। उनके बेटे तेजस्वी यादव लगातार इसकी मांग करते रहे हैं।

tejashwi yadav alleges pm modi insulted bihar cm nitish kumar over caste census - Satya Hindi

तेजस्वी यादव तो तर्क देते आए हैं कि 'जब जानवरों की गणना हो सकती है तो जाति जनगणना क्यों नहीं?' उन्होंने तो यहाँ तक मांग की थी कि यदि केंद्र सरकार सहमत नहीं है तो नीतीश कुमार सरकार को ख़ुद से ही ऐसा कर देना चाहिए। तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश कुमार को या तो बिहार के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहिए या प्रधानमंत्री से बात कर इस मुद्दे को उठाना चाहिए। 

इसी बीच नीतीश कुमार ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना से कुछ लोगों को दिक्कतें होंगी, यह बात पूरी तरह निराधार है। नीतीश ने पिछले हफ़्ते पत्रकारों से कहा था, 'यह केंद्र पर निर्भर है कि वह जाति की जनगणना करे या न करे... हमारा काम अपने विचार रखना है। यह मत सोचो कि एक जाति पसंद करेगी और दूसरी नहीं... यह सभी के हित में है।' उन्होंने कहा था, 'समाज में कोई तनाव पैदा नहीं होगा। खुशी होगी। हर वर्ग के लोगों को योजनाओं से लाभ होगा।' 

बिहार से और ख़बरें

नीतीश कुमार ने कहा था कि जब बिहार विधानसभा ने जाति आधारित जनगणना के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा तो किसी भी बीजेपी विधायक ने कोई आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने सवाल किया, 'फिर कुछ हलकों से आपत्ति क्यों उठाई जा रही है, यह मेरी समझ से परे है।'

पिछले महीने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित आबादी की जनगणना नहीं करने के लिए नीति के रूप में तय किया है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें