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कुनाल कामरा पर एक और अवमानना केस की मंजूरी

पहले से ही सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के लिए अवमानना मामले का सामना कर रहे कुनाल कामरा पर एक और अवमानना केस चलाने की मंजूरी दी गई है। कुनाल कामरा ने सीजेआई एस ए बोबडे के ख़िलाफ़ ताज़ा ट्वीट 18 नवंबर को किया था। इस पर इलाहाबाद के एक वकील अनुज सिंह ने अवमानना केस चलाने के लिए एटॉर्नी जनरल से अनुमति माँगी थी।

अवमानना केस के लिए अनुमति माँगे जाने पर एटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सहमति देते हुए लिखा कि वह ट्वीट 'पूरी तरह अश्लील और घृणित' था। उन्होंने कहा कि ट्वीट से जानबूझकर सीजेआई का अपमान किया गया है और उस सुप्रीम कोर्ट का भी जिसका वह नेतृत्व करते हैं। 

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एटॉर्नी जनरल ने आगे कहा, 'मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह (ट्वीट) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कम करने के साथ-साथ इस विश्वास को भी डिगाएगा जो न्याय मांगने वाली जनता का सर्वोच्च न्यायालय की संस्था में है…। इस वजह से सहमति प्रदान करता हूँ।'

कामरा के ख़िलाफ़ अवमानना मामलों में आठ दिनों में एटॉर्नी जनरल की यह दूसरी मंजूरी है। इससे पहले 12 नवंबर को भी उन्होंने कामरा के ख़िलाफ़ एक अवमानना मामले की मंजूरी दी थी। तब उन्होंने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद अर्णब गोस्वामी को ज़मानत दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी। 
वीडियो में देखिए, अर्णब रिहा तो बाक़ी जेल में क्यों?

अर्णब गोस्वामी को ज़मानत देते हुए कोर्ट ने इस बात पर निराशा जताई थी कि हाई कोर्ट किसी नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी की सुरक्षा के लिए अपने न्यायिक अधिकारों का प्रयोग करने में असफल रहा। इसने कहा कि अगर यह अदालत आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है तो यह विनाश के रास्ते पर ले जाने वाला होगा। 

अर्णब गोस्वामी की ज़मानत मामले में कुनाल कामरा ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे। क़ानून के एक छात्र और दो वकीलों ने अवमानना का केस चलाने के लिए मंजूरी माँगी थी। 24 घंटे के अंदर ही एटॉर्नी जनरल ने अनुमति दे दी थी।

एटॉर्नी जनरल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद कुनाल कामरा ने इस मामले में अपनी सफ़ाई दी और कहा था कि वह न तो वकील करेंगे और न ही माफ़ी माँगेंगे, जुर्माना भरेंगे। उन्होंने जजों और केके वेणुगोपाल को संबोधित एक ख़त लिखा है और उसे ट्वीट किया है। 

उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'मेरा इरादा अपने ट्वीट को वापस लेने या उनसे माफ़ी माँगने का नहीं है। मेरा मानना ​​है कि वे ख़ुद इसका अर्थ समेटे हुए हैं।' उन्होंने उसमें लिखा है कि हाल में जो ट्वीट मैंने किए हैं उन्हें अदालत की अवमानना माना गया है। उन्होंने लिखा है कि मेरे नज़रिए से 'प्राइम टाइम स्पीकर' के पक्ष में पक्षपाती फ़ैसला के लिए ये ट्वीट थे। 
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क़मर वहीद नक़वी

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