loader

अर्णब-पार्थो की कथित चैट में जज को ख़रीदने की बात हुई!

रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी और न्यूज़ चैनलों की टीआरपी रेटिंग देने वाली एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच की जो कथित वॉट्सऐप चैट लीक हुई है, उससे आए दिन बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं। ताज़ा खुलासा यह है कि दोनों के बीच की इस कथित चैट में किसी जज को ख़रीदने की बात हो रही है और अर्णब ने बातचीत के दौरान इसका विरोध भी नहीं किया है। 

24 मई, 2017 को पार्थो दासगुप्ता, जो उस वक्त बार्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे, वे कथित रूप से एक चैट के दौरान किसी मामले को लेकर अर्णब से बात कर रहे हैं। पार्थो कहते हैं कि इस मामले में किसी बेहतर वकील की ज़रूरत है और वह उस रात को किसी जज के साथ सेटिंग करने जा रहे हैं।

ताज़ा ख़बरें

इसके जवाब में अर्णब कथित रूप से कहते हैं कि कोई वकील ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि दूसरा वकील आक्रामक है। इस पर पार्थो जवाब देते हैं कि इसीलिए उन्होंने उसे दूसरे वकील के रूप में नियुक्त किया है। अगले दो संदेशों में पार्थो कहते हैं जज को ख़रीद लो। इस पर अर्णब कहते हैं कि नोट में सिर्फ़ एक लाइन लिखने की ज़रूरत है। ये साफ नहीं है कि अर्णब और दासगुप्ता किस मामले को लेकर बात कर रहे हैं। 

जिस तरह यह बातचीत हो रही है, उस पर हैरानी होना स्वाभाविक है। क्योंकि यहां पर जज को ख़रीदने को लेकर बातचीत हो रही है। इन कथित चैट्स को लेकर जबरदस्त बवाल के बाद भी अर्णब ने इनके उनके होने से इनकार नहीं किया है। 

देखिए, इस विषय पर चर्चा-

कांग्रेस ने बोला हमला 

इस मामले को कांग्रेस ने बेहद जोरदार ढंग से उठाया है। मनमोहन सिंह सरकार में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति में शामिल रहे एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे और सलमान खुर्शीद के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इसे बेहद गंभीर बताया है। सभी नेताओं ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मोदी सरकार पर इसे लेकर हमला बोला। 

सलमान ख़ुर्शीद ने कहा कि न्यायपालिका पर इस तरह की टिप्पणी बेहद तकलीफदेह है और सवाल खड़े करती है। उन्होंने कहा, ‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि किसी जज को प्रभावित किया जा सकता है। लेकिन कोई इतना दुस्साहस कर रहा है कि वह जज को ख़रीदने की बात कर रहा है और इसे क़तई स्वीकार नहीं किया जा सकता।’ 

ख़ुर्शीद ने कहा, ‘जो बातचीत हुई है, क्या उससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश की गई है और क्या न्यायपालिका से कोई ग़लत फ़ैसला लेने में ये लोग सफल रहे।’ पूर्व विदेश मंत्री ख़ुर्शीद ने पूछा, ‘अब जज क्या करेंगे। क्या न्यायपालिका अपनी आंखें बंद कर लेगी या इस पर भरोसा वापस आ सके, इसके लिए कोई क़दम उठाकर उदाहरण पेश करेगी।’ 

ख़ुर्शीद ने यह भी कहा कि हम न्यायपालिका के साथ खड़े हैं और इसे राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए। ख़ुर्शीद ने पूछा कि अगर जज ही बिकने लगे तो लोकतंत्र में क्या बाक़ी रह जाएगा?

पूर्व गृह मंत्री सुशील शिंदे ने कहा कि अर्णब ने जो किया वह पत्रकारिता पर लांछन है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि आख़िर अमित शाह ट्राई के काम में क्यों दख़ल दे रहे थे? 

मोदी का लुटियंस गैंग

पवन खेड़ा ने पूछा, ‘क्या अर्णब गोस्वामी सरकार को कंट्रोल कर रहे थे या सरकार उन्हें कंट्रोल कर रही थी लेकिन दोनों ही हालात में लोकतंत्र को नुक़सान हुआ।’ उन्होंने कहा कि ये नरेंद्र मोदी का अपना लुटियंस गैंग दिख रहा है जिसके सीईओ अर्णब गोस्वामी हैं। 

पवन खेड़ा ने कहा, ‘हम जानना चाहते हैं कि अर्णब को ये सूचनाएं कैसे मिलीं और उन्होंने ये सूचनाएं किस-किसको दीं।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस बारे में जवाब देना चाहिए।
अर्णब और पार्थो दासगुप्ता के बीच कथित रूप से जो बातचीत हुई है, उसमें सचिवों की नियुक्ति, बालाकोट एयरस्ट्राइक के बारे में कथित रूप से जानकारी होने, कैबिनेट में फेरबदल, पीएमओ तक पहुंच होना और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कामकाज से जुड़े संदेश शामिल हैं, इसे लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। 
देश से और ख़बरें

अर्णब की पार्थो दासगुप्ता के साथ लीक हुई कथित चैट के बाद न्यूज़ इंडस्ट्री में तूफ़ान का जैसा माहौल है। टीआरपी स्कैम को लेकर पहले ही मुसीबतों से दो-चार हो चुके अर्णब गोस्वामी और पार्थो दासगुप्ता के बीच हुई बातचीत में पीएमओ, रजत, ‘AS’, प्रकाश जावड़ेकर जैसे नाम सामने आए हैं। यह कथित चैट 1 हज़ार पन्नों की बताई जा रही है। 

लीक हुई इस वाट्सऐप चैट में अर्णब गोस्वामी कथित तौर पर पार्थो से कुछ बातों को पीएमओ के साथ साझा करने और सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को 'किसी काम का नहीं' बताने की बात कहते हैं।

अर्णब के कथित चैट को लेकर विपक्षी दलों ने इसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग केंद्र सरकार से की है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें