loader

अरुण मिश्रा की विदाई पर विवाद, दवे ने कहा, उन्हें म्यूट किया गया

जस्टिस अरुण मिश्रा की सेरेमोनियल सुनवाई भी विवादों से नहीं बच पायी। जब सुप्रीम कोर्ट का कोई जज रिटायर होता है तो उस दिन आख़िरी सुनवाई के समय सम्मान देने के लिहाज से मुख्य न्यायधीश उन्हे अपनी बेंच में बैठाते हैं । जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो गये । इस मौक़े पर जब मुख्य न्यायधीश के साथ बेंच में वह बैठे थे और उनको विदाई दी जा रही थी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे नहीं बोल पाये ।
दवे ने आरोप लगाया है कि जस्टिस अरुण मिश्रा के ऑनलाइन विदाई समारोह में उन्हें म्यूट कर दिया गया था, वे सबकी बात सुन रहे थे, पर उनकी बात कोई नहीं सुन सकता था। इसके अलावा उन्हें बीच- बीच में कई बार डिसकनेक्ट भी किया गया, पर वह हर बार खुद को कनेक्ट कर लेते थे। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में शिकायत की है और कहा है कि जब तक उनका कार्यकाल नहीं ख़त्म होता, वह इस तरह के कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे।
देश से और खबरें

दवे के आरोप

मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को लिखी चिट्ठी में दवे ने कहा है कि इस पूरे मामले का मक़सद यह था कि वह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी कमेटी की ओर से कुछ न कह सकें। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना से वह बेहद दुखी हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़ जस्टिस बोबडे को लिखी चिट्ठी में दवे ने कहा,

'मैं यह स्वीकार करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस स्तर तक आ गया है कि जज वकीलों से डरते हैं। कृपया यह याद रखें कि जज आते-जाते रहते हैं, वकील बने रहते हैं। इस महान संस्था की असली ताक़त हम हैं क्योंकि हम स्थायी हैं।'


दुष्यंत दवे, वकील, सुप्रीम कोर्ट

'बोलने का मौका नहीं मिला'

दवे का कहना है कि उन्हें बुधवार की सुबह 10.10 बजे सेरेमोनियल बेंच की ओर से ऑनलाइन समारोह का लिंक मिला, उन्होंने इस निमंत्रण को 10.16 पर स्वीकार कर लिया और 10.18 पर इसका एकनॉलेजमेंट भी आ गया। यह कार्यक्रम 12.30 पर शुरू होना था, 12.20 पर वह उससे जुड़ गए।
दवे ने खत में लिखा है, 'मैंने सॉलिसिटर जनरल, अटॉर्नी जनरल और दूसरे लोगों से बात की। जब कार्यवाही शुरू हुई, मैं सबकुछ सुन पा रहा था। वेणुगोपाल से बोलने को कहा गया, जब वे बोल चुके तो मुझे लगा कि अब मुझे बोलने को कहा जाएगा। पर मुझे बोलने को नहीं कहा गया, जाधव को बोलने को कहा गया, उसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा से बोलने को कहा गया। मैं पूरा खेल समझ गया और इसके बाद मैं बाहर निकल आया।'
जस्टिस दवे ने सुप्रीम कोर्ट अवमानना मामले में प्रशांत भूषण की पैरवी की थी। यह मामला जस्टिस अरुण मिश्रा के पास था। उन्होंने प्रशांत भूषण को दोषी पाया था और उन पर एक रुपये का जुर्माना लगाया था। दवे जस्टिस मिश्रा के कटु आलोचक रहे हैं । 
इस पूरे मामले से यह साफ है कि दवे का आरोप है कि उन्हे जानबूझ कर विदाई समारोह में नहीं बोलने दिया गया। शायद लोगों को यह डर लगा हो कि वे विदाई भाषण में जस्टिस मिश्रा की आलोचना कर दें।
दवे ने अरुण मिश्रा को अपनी शुभकामनाएं देते हुए लिखा, 'सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अपनी ओर से मैं जस्टिस अरुण मिश्रा के बाकी बचे लंबे जीवन के लिए प्रसन्नता की कामना करता हूं, आपका जीवन लाभप्रद हो। मैं भगवान महाबलेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह आपको आत्मचिेंतन करने और अपनी अंतरात्मा को सुनने की ताक़त दें।'
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें