क्या कांग्रेस की बैठक में सरदार वल्लभ भाई पटेल का अपमान किया गया। हाल ही में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को लेकर बीजेपी ने दावा किया कि कश्मीर के एक नेता ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को बदनाम किया है। बीजेपी बार-बार कहती रही है कि पटेल को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वह हक़दार थे। बीजेपी सरदार पटेल को जवाहरलाल नेहरू के सामने खड़ी करती रही है और उनके साथ पक्षपात किए जाने का आरोप लगाती रही है।
बीजेपी ने अब यह ताज़ा आरोप कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को लेकर मीडिया के एक वर्ग की रिपोर्ट के आधार पर लगाया है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह दावा किया गया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल मुहम्मद अली जिन्ना के साथ इसके लिए सहमत थे कि जम्मू-कश्मीर को भारत से बाहर रखा जाए।
संबित पात्रा ने कहा, 'यह आज समाचार में प्रकाशित हुआ। सीडब्ल्यूसी की बैठक में तारिक हमीद कर्रा ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की बात की। उनकी टिप्पणी आपत्तिजनक है।' पात्रा ने कहा, 'उन्होंने कहा कि सरदार पटेल जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते थे, जबकि जवाहरलाल नेहरू जम्मू-कश्मीर को भारत में रखना चाहते थे। इस बैठक में जिस तरह से सरदार पटेल के बारे में बात की जा रही थी -क्या सोनिया गांधी ने इस पर कुछ कहा? गांधी परिवार के प्रति कांग्रेस नेता की चाटुकारिता के कारण पटेल को बदनाम किया गया था।'
संबित पात्रा ने जिन तारिक हमीद कर्रा का ज़िक्र किया उन्होंने शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया था। कुछ मीडिया रिपोर्टों में संकेत दिया गया था कि उन्होंने सरदार पटेल के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। हालाँकि, कांग्रेस ने इस तरह की किसी भी चर्चा से इनकार किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर इस पर सफ़ाई दी। उन्होंने कहा, 'लगता है कि मोदी सरकार की ओर से अफवाह और झूठ फैलाना कुछ अखबारों के लिए आदर्श बन गया है। बीजेपी सरकार से कभी सवाल न करें, विपक्ष के बारे में झूठ फैलाएँ, मोदी सरकार को झूठ से प्रेरित प्रेस कॉन्फ्रेंस को सही ठहराने के लिए कवर फायर दें…। पत्रकारिता का नया मानक है।'
Seems spreading canards and lies, on behalf of Modi Govt, has become the norm for some newspapers.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 18, 2021
Never question the BJP Govt,
Spread lies about Opposition,
Give cover fire to Modi Govt to justify lies driven Press Conferences….
Is the new standard of journalism. pic.twitter.com/MxPAonzgH1
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार कर्रा ने कहा कि उनकी टिप्पणी को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया। समाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि कौन से वर्ग इसे ग़लत तरीक़े से पेश करना चाहते हैं। मैंने आज एक प्रमुख समाचार पत्र में पढ़ा, जहाँ उन्होंने तथ्यों को ग़लत तरीक़े से प्रस्तुत किया था।'
उन्होंने कहा, "मैंने कहा था कि पंडित नेहरू ने जोर देकर कहा था कि जम्मू और कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाया जाए, वह नहीं चाहते थे कि इसे पाकिस्तान जैसा धार्मिक राज्य कहा जाए। मैंने कहा कि सरदार पटेल ने कहा था कि भले ही जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान की ओर चला जाए, जूनागढ़ और हैदराबाद (दो पूर्ववर्ती रियासतों) के संबंध में बातचीत हो सकती है। लेकिन जवाहरलाल नेहरू सहमत नहीं थे और कहा कि, 'नहीं, हम नहीं चाहते कि भारत पर एक धार्मिक राज्य के रूप में ठप्पा लगे जैसा पाकिस्तान पर लगा है'।"
इससे पहले भी बीजेपी सरदार पटेल को लेकर कांग्रेस पर पक्षपात करने का आरोप लगाती रही है। पिछले साल विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने देश के बंटवारे की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति और गवर्नर जनरल के सलाहकार वी. पी. मेनन की जीवनी के हवाले से विस्फोटक दावा किया था।
जयशंकर ने ट्वीट किया था, ‘असली इतिहास पुरुष के साथ न्याय हुआ, जिसका इंतजार लंबे समय से हो रहा था। इस पुस्तक से मालूम हुआ कि नेहरू 1947 में अपनी पहली कैबिनेट में पटेल को शामिल नहीं करना चाहते थे, कैबिनेट मंत्रियों की उनकी सूची में पटेल का नाम छोड़ दिया गया था। साफ़ है, यह बहस का विषय है। लेखक अपने इस खुलासे पर टिकी हुई हैं।’
Learnt from the book that Nehru did not want Patel in the Cabinet in 1947 and omitted him from the initial Cabinet list. Clearly, a subject for much debate. Noted that the author stood her ground on this revelation. pic.twitter.com/FelAMUZxFL
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 12, 2020
चोटी के इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने तुरन्त इसे ग़लत बताया था। बाद में रामचंद्र गुहा ने 1 अगस्त, 1947 को पटेल को लिखी नेहरू की चिट्ठी ही पोस्ट कर दी थी। इस चिट्ठी में नेहरू ने पटेल को अपनी पहली कैबिनेट में शामिल होने का न्योता देते हुए उन्हें कैबिनेट का सबसे मज़बूत स्तम्भ बताया था।
तब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी नेहरू की वह चिट्ठी ट्वीट के साथ साझा की थी। इस चिट्ठी में नेहरू ने पटेल को लिखा, 'प्रिय वल्लभभाई, चूँकि कुछ हद तक औपचारिकताएँ पूरी की जानी हैं, मैं आपको नई कैबिनेट में शामिल होने का न्योता दे रहा हूँ। यह लिखना ज़रूरत से ज़्यादा है क्योंकि आप कैबिनेट के सबसे मजबूत स्तंभ हैं।'
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