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नोटबंदी में सौ लोग मरे, शाहीन बाग़ में कोई क्यों नहीं मरा: दिलीप घोष

इससे बेहूदा तर्क क्या कोई और हो सकता है कि नोटबंदी के दौरान एटीएम से पैसा निकालने के लगी लाइनों में तो लोग मर गए लेकिन शाहीन बाग़ में कोई नहीं मरा। लेकिन बीजेपी के नेताओं के मुताबिक़ यह तर्क है और इस तर्क को सोशल मीडिया में बीते कई दिनों से उनके द्वारा जमकर शेयर किया जा रहा है। मुख्य मीडिया में इस तर्क को पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने रखा है। 

दिलीप घोष ने मंगलवार को कोलकाता प्रेस क्लब में कहा, 'नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन में अभी तक कोई मरा क्यों नहीं।’ इस क़ानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि नोटबंदी के दौरान एटीएम से पैसा निकालने के लिए लगी लाइनों में खड़े 100 से ज़्यादा लोग मर गए थे। 

घोष ने कहा, ‘मुझे इस बात पर आश्चर्य होता है कि 2 से 3 घंटे तक लाइनों में लगे लोग मर रहे थे लेकिन अब महिलाएं और बच्चे 4-5 डिग्री तापमान में बैठे हैं लेकिन कोई नहीं मर रहा है। उन्होंने ऐसा कौन सा अमृत पी लिया है। मैं हैरान हूं। उन्हें कितना पैसा मिल रहा है (प्रदर्शन के लिये)।’

घोष ने इस ओर इशारा किया कि शाहीन बाग़ में प्रदर्शन के पीछे कोई बड़ा कारण ज़रूर हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह बेहद दिलचस्प है। लोग शाहीन बाग़ के बारे में कहते हैं कि वहां प्रदर्शन कर रहे महिलाओं और बच्चों को हर दिन 500 रुपये मिल रहे हैं। यह हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) को लेकर सच सामने आ चुका है। शाहीन बाग़ का भी सच सामने आयेगा। हमें भरोसा है कि ऐसा होगा।’ 

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हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया था कि नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के पीछे पीएफ़आई का हाथ था। उत्तर प्रदेश पुलिस भी राज्य में हुई हिंसा के लिये पीएफ़आई को जिम्मेदार बता चुकी है। 

‘कुत्ते की तरह मारा’

घोष ने कुछ दिन पहले नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों को लेकर कहा था कि असम और उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार ने ऐसे लोगों को कुत्ते की तरह मारा है। घोष ने कहा था कि उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक की सरकारों ने नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों पर फ़ायरिंग का आदेश देकर बिलकुल ठीक किया है। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है। 

‘देसी गाय माँ, विदेशी गाय आंटी’ 

घोष ने कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में दावा किया था कि देसी गाय के दूध में सोना होता है और इसीलिये इसका रंग सोने जैसा होता है। देसी और विदेशी गाय की तुलना करते हुए घोष ने यह भी ‘ज्ञान’ दिया था कि कौन सी गाय को माँ कहना चाहिए और कौन सी गाय को आंटी। घोष ने कहा था कि केवल देसी गाय ही हमारी माँ है जबकि विदेशी गाय आंटी जैसी हैं। घोष इससे पहले पुलिस कर्मियों को धमकी देने को लेकर भी विवादों में रहे हैं।  

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दिल्ली में 13 जगहों पर धरना 

दिल्ली में शाहीन बाग़ की ही तर्ज पर 13 और जगहों पर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ धरना चल रहा है और अब यह दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। शाहीन बाग़ को लेकर बीजेपी नेताओं की ओर से लगातार बयानबाज़ी हो रही है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा शाहीन बाग़ को तौहीन बाग़ कह चुके हैं। 

मंगलवार को पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग़ को लेकर ‘घरों में घुसकर बहन-बेटियों से रेप करेंगे’ का बयान दिया था। गृह मंत्री अमित शाह एक जनसभा में कह चुके हैं कि ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाएं कि इसका करंट शाहीन बाग़ में लगे। केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद कह चुके हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शाहीन बाग़ के लोगों के साथ खड़े हैं लेकिन उन लाखों लोगों की आवाज़ उन्हें नहीं सुनाई दे रही जिनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और वे लोग दफ्तर नहीं जा पा रहे हैं?

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क़मर वहीद नक़वी

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