loader

प्रसाद : 45 देशों में पेगासस का इस्तेमाल, भारत निशाने पर क्यों?

पेगासस जासूसी मामले में भंडाफोड़ होने और कई सनसनीखेज जानकारियाँ बाहर आने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी बचाव की मुद्रा में आ गई है।

पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पूछा है कि जब 45 देश पेगासस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भारत क्यों निशाने पर लिया जा रहा है, भारत में इस पर इतना बावेला क्यों मचा हुआ है?

बता दें कि भारत के 'द वायर' समेत 16 मीडिया कंपनियों के कंसोर्शियम ने काफी गहन छानबीन और फ़ोरेंसिक जाँच के बाद कहा है कि इज़रायल में बने जासूसी सॉफ़्टवेअर या स्पाइवेअर पेगासस का इस्तेमाल कर भारत के 300 लोगों की जासूसी की गई है, उनके फ़ोन इंटरसेप्ट किए गए हैं। 

ख़ास ख़बरें

रविशंकर प्रसाद की सफाई

पहले तो इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रद्योगिकी मंत्रालय ने इस पर गोल मोल जवाब दिया और कहा कि सरकार सिर्फ तय प्रोटोकॉल के आधार पर ही राष्ट्रहित में इस तरह की जासूसी करती है। उसने यह भी कहा कि ये बातें तथ्यों के आधार पर नहीं हैं।

लेकिन अब रविशंकर प्रसाद ने यह कह कर कि 45 देशों में जो हो रहा है, वह भारत में होने पर बावेला क्यों, बहस को नया मोड़ दे दिया है। उनके कहने का तो यही अर्थ है कि भारत में उन 45 देशों की तरह ही यह जासूसी हुई है और इस पर विरोध का कोई मतलब नहीं है। 

रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

पेगासस बनाने वाले एनएसओ ने कहा है कि मुख्य रूप से पश्चिमी देश इस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में भारत को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? भारत को निशाने पर कौन ले रहा है?


रविशंकर प्रसाद, पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग संसद के मानसून सत्र के ठीक पहले क्यों यह खबर ले आए और क्यों इस तरह का वातावरण तैयार कर दिया?

प्रसाद ने राहुल गांधी का नाम लिए बग़ैर कहा कि कुछ लोगों के नाम पहले इसमें डाले गए और उसके बाद निकाल दिए गए। 

उन्होंने इसके साथ ही कहा,

क्या हम इससे इनकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल का एजेंडा भारत का विरोध करना है?


रविशंकर प्रसाद, पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री

मंत्री की सफाई

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने इसे बिना किसी तथ्य के 'सनसनीखेज कहानी' बताते हुए कहा कि वेब पोर्टल की रिपोर्ट खुद ही स्पष्ट करती है कि लिस्ट में कोई नंबर मौजूद होने का यह मतलब नहीं है कि उसकी जासूसी की गई है।

उन्होंने कहा कि ख़ुद उनका नाम उस सूची में है। 

BJP responds to journalists snooping by pegasus software   - Satya Hindi

आईटी मंत्री ने कहा, "ऐसी सेवाएं किसी के लिए भी, कहीं भी, और कभी भी खुले तौर पर उपलब्ध हैं। आमतौर पर सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ दुनिया भर में निजी कंपनियां भी इसका इस्तेमाल करती हैं। यह भी विवाद से परे है कि डेटा का निगरानी या एनएसओ से कोई लेना-देना नहीं है। इसका भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं हो सकता है कि डेटा का उपयोग किसी भी तरह निगरानी के बराबर है।"

उन्होंने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले ऐसी खबर आना यह कोई 'संयोग नहीं' है

नीतीश ने कहा, गंदी बात!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पेगासस सॉफ़्टवेअर पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "ये गलत है। ये सब गंदी बातें हैं, सब फ़ालतू चीज़ है। किसी को डिस्टर्ब करना अच्छी बात नहीं है। मेरे हिसाब से बिल्कुल बेकार बात हैं।"

उन्होंने कहा, "नई टेक्नॉलोजी का दुरुपयोग हो रहा है। इसका बुरा असर भी पड़ रहा है। कई जगह लोगों को परेशानी हो रही है। काम करना चाहते हैं, उसमें बाधा आती है। कोई ग़लत काम करता है तो उस पर शुरू से ही कार्रवाई करने का प्रावधान होता है।" 

BJP responds to journalists snooping by pegasus software   - Satya Hindi

क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?

फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया।

इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट। 'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें