सोशल मीडिया पर काफ़ी ताक़तवर मानी जाने वाली बीजेपी के यूट्यूब चैनल पर वीडियो को लगातार डिसलाइक क्यों मिल रहे हैं? या यूँ कहें कि हाल के दिनों में अपने यूट्यूब चैनल पर बीजेपी कमज़ोर क्यों दिखने लगी है? कोई भी वीडियो प्रकाशित होते ही नापसंद करने वालों की संख्या ज़्यादा क्यों हो जा रही है? ये वीडियो भी किसी छोटे-मोटे नेता के भाषण या कार्यक्रम के नहीं हैं, इनमें प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के स्टार प्रवक्ता तक के हैं। इनमें वे वीडियो भी शामिल हैं जिनमें सरकार की नीतियों की सफलता का बखान किया गया है। अब स्थिति तो ऐसी है कि कई वीडियो में यह तक नहीं दिख रहा है कि कितने लाइक और डिसलाइक किए गए हैं।
आज ही जब बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा झारखंड में ली गई राज्य की पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के वीडियो को क़रीब एक घंटे में ही 12 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने नापसंद कर दिया। क़रीब 1.5 लोगों ने इसे पसंद किया। यह आँकड़ा तब का है जब इस वीडियो को क़रीब साढ़े 15 हज़ार लोगों ने देखा था।
ऐसा पहले शायद ही कभी देखा गया हो कि बीजेपी के यूट्यूब चैनल पर किसी वीडियो में डिसलाइक की संख्या ज़्यादा हो गई हो। लेकिन जब से प्रधानमंत्री ने पिछले हफ़्ते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम किया तो उस वीडियो पर डिसलाइक की संख्या लाखों में हो गई। 12 लाख से ज़्यादा लोगों ने उस वीडियो को डिसलाइक किया जबकि लाइक करने वालों की संख्या क़रीब साढ़े चार लाख ही रही। इस वीडियो को देखने वालों की संख्या 74 लाख से ज़्यादा हो गई है।
लोगों को लगा कि प्रधानमंत्री मोदी का यह वीडियो लोगों को पसंद नहीं आया इसलिए ऐसा किया गया। इसके लिए कहा गया कि NEET और JEE जैसी परीक्षाओं को लेकर और उसका ज़िक्र नहीं किए जाने से युवाओं में नाराज़गी थी और इसी की प्रतिक्रिया में लोगों ने उस वीडियो को नापसंद किया। लेकिन स्थिति इससे कहीं आगे बढ़कर है। पिछले हफ़्ते के बाद जितने भी वीडियो आए हैं उनमें से अधिकतर में डिसलाइक करने वालों की संख्या लाइक करने वालों से काफ़ी ज़्यादा हैं। बाक़ी के कुछ वीडियो में लाइक और डिसलाइक की संख्या ही नहीं दिख रही है।
बीजेपी के यूट्यूब चैनल पर आज ही प्रकाशित एक वीडियो पीएम मोदी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करने का है। क़रीब 4 घंटे में इस वीडियो को 23 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने नापसंद कर दिया जबकि क़रीब 4 हज़ार लोगों ने पसंद किया।
एक दिन पहले बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के वीडियो को 14 हज़ार लोगों ने नापसंद किया जबकि 5.3 हज़ार लोगों ने पसंद किया। पाँच सितंबर के प्रधानमंत्री मोदी के वीडियो को 6.2 हज़ार लोगों ने नापसंद किया जबकि 4.2 हज़ार लोगों ने पसंद किया।
जेपी नड्डा द्वारा ओडिशा में ली गई राज्य पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के पाँच सितंबर के वीडियो में लाइक और डिसलाइक करने वालों की संख्या नहीं दिख रही है।
सोशल मीडिया पर आरोप लगाया जा रहा है कि इसे जानबूझकर दिखाया नहीं जा रहा है। हालाँकि, एक स्थिति यह भी हो सकती है कि इसे किसी ने लाइक या डिसलाइक नहीं किया हो, लेकिन बीजेपी यूट्यूब चैनल पर शायद ही कोई वीडियो हो जिसको लाइक और डिसलाइक नहीं मिला हो।
बीजेपी ने अपने यूट्यूब चैनल पर कोरोना संकट में मोदी सरकार की उपलब्धियों को लेकर एक वीडियो जारी किया है। इसमें मुफ़्त गैस कनेक्शन सहित कई योजनाओं का बखान किया गया है। लेकिन इसे भी 15 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने नापसंद किया है जबकि पसंद करने वालों की संख्या सिर्फ़ 3.1 हज़ार है।
ऐसा नहीं है कि बीजेपी के इस यूट्यूब चैनल पर वीडियो को नापसंद करने वालों की संख्या पहले ज़्यादा थी। दरअसल, पहले पसंद करने वालों की संख्या ही ज़्यादा थी, लेकिन जब से पिछले हफ़्ते लोगों ने नापसंद करना शुरू किया है तब से उनके पहले के वीडियो को भी कई लोगों ने नापसंद करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि पिछले महीने के प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम के वीडियो के डिसलाइक अब 14 हज़ार हो गए हैं जबकि पसंद करने वालों की संख्या क़रीब 11 हज़ार है। इससे पहले पहले 28 जून को अपलोड किए गए 'मन की बात' वीडियो को 6.7 हज़ार लोगों ने पसंद किया था जबकि नापसंद 5.6 हज़ार लोगों ने ही किया था। 31 मई को प्रकाशित मन की बात कार्यक्रम के वीडियो को 6.1 हज़ार लोगों ने पसंद किया था जबकि 5 हज़ार लोगों ने ही नापसंद किया था। 4 महीने पहले 26 अप्रैल वाले वीडियो को 5.2 हज़ार लोगों ने पसंद किया था जबकि 2.3 हज़ार लोगों ने नापसंद किया था। पाँच महीने पहले वाले 'मन की बात' वीडियो को 10 हज़ार लोगों ने पसंद किया था जबकि 3.6 हज़ार लोगों ने नापसंद किया था।
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