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जेएनयू हमला : दिल्ली के लेफ़्टीनेंट गवर्नर ने की निंदा, पुलिस से कहा, कड़ी कार्रवाई करे

दिल्ली के लेफ़्टीनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए पुलिस से कहा है कि वह कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। उन्होंने ट्वीट किया, 'जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों पर हुआ हमला बहुत ही निंदनीय है। मैंने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह जेएनयू प्रशासन के साथ मिल कर क़ानून व्यवस्था बनाए रखे और हिंसा करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करे। स्थिति की निगरानी की जा रही है।' 

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इन हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों पर नकाबपोश गुंडों द्वारा किए गए हमले से वे हतप्रभ है, जिसमें कई लोग घायल हो गए हैं। 

उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्र पर जिन फ़ासिस्टों ने कब्जा कर रखा है, वे बहादुर छात्रों की आवाज़ से डरते हैं। जेएनयू में हुई आज की हिंसा इस डर को दिखाती है।’ 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस कांड पर चिंता जताई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'जेएनयू में हुई हिंसा को जानकर मैं बहुत आहत हूँ। छात्रों पर बेरहमी से हमला किया गया। पुलिस को तुरंत हिंसा को रोकना चाहिए और शांति बहाल करनी चाहिए। अगर हमारे छात्र विश्वविद्यालय परिसर के अंदर सुरक्षित नहीं रहेंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा?'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जेएनयू पर नकाबपोश गुंडों के हमलों की निंदा की है। उन्होंने कहा, ‘आज की वारदात की मैं साफ़ शब्दों में निंदा करती हूं। पिछले कुछ हफ़्तों में जो कुछ कहा गया है उसके बावजूद सरकार चाहती है कि सभी विश्वविद्यालय सुरक्षित रहे।’ निर्मला सीतारमण ने जवाहर लाल नेहरू विश्विविद्यालय से पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि वे जिस जगह का जानती हैं, वहाँ ज़बरदस्त बहसें हुआ करती थी, पर हिंसा की कोई जगह नहीं थी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा,  ‘जेएनयू में जो कुछ हुआ है, उसकी तसवीरें मैंने देखी हैं। मैं इस हिंसा की निंदा करता हूं। यह विश्वविद्यालय की परंपरा और संस्कृति के ख़िलाफ़ है।’
कांग्रेस सांसद व मशहूर लेखक शशि थरूर ने ट्वीट किया, ‘यह अविश्वसनीय है। यह 1930 के जर्मनी में अपनाई गई रणनीति है, भारत की 2020 की नहीं। मैं सम्बन्धित अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे इसे रोकें। वे भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक दुनिया में देश की जो छवि है, उसे नष्ट कर रहे हैं।’
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क़मर वहीद नक़वी

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