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पत्रकार मनराल के मामले में दिल्ली पुलिस का रवैया मनमानी वाला: एडिटर्स गिल्ड

एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने दिल्ली पुलिस द्वारा अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के स्पेशल कॉरेस्पोन्डेन्ट महेंद्र सिंह मनराल को धमकाने की कड़ी आलोचना की है। गिल्ड ने कहा, ‘यह चिंता का विषय है कि देश में कई जगहों पर पत्रकारों को डराने के लिए आपराधिक क़ानूनों का दुरुपयोग किए जाने की हरक़तें बढ़ती जा रही हैं।’ 

दिल्ली पुलिस ने मनराल से कहा है कि अगर वह जांच में शामिल नहीं होते हैं तो उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। बुधवार को जारी बयान में गिल्ड ने कहा है कि दिल्ली पुलिस का यह रवैया अहंकारी और मनमानी वाला है। 

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मनराल ने एक ख़बर लिखी थी जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के हवाले से कहा था कि तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना साद के वायरल ऑडियो के साथ छेड़छाड़ हुई थी और इसे 20 से ज़्यादा ऑडियो क्लिप्स को जोड़कर बनाया गया था। इस मामले में मनराल को 10 मई को दिल्ली पुलिस द्वारा नोटिस जारी किया गया था। 

गिल्ड ने कहा, ‘मनराल के ख़िलाफ़ किसी क़ानून के तहत मुक़दमा दर्ज नहीं किया गया था लेकिन उन्हें धमकी दी गई कि अगर वह जांच में शामिल नहीं होंगे तो उनके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174 के तहत क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा क़ैद व जुर्माना लगाने की भी धमकी दी गई।’

गिल्ड ने कहा कि ऐसा लगता है कि ऐसा पत्रकार के सोर्स को पकड़ने और दूसरे पत्रकारों को चेतावनी देने के लिए किया गया है। 

पत्रकार पर राजद्रोह का मुक़दमा

गिल्ड ने एक गुजराती पत्रकार धवल पटेल का भी उदाहरण दिया है। धवल ने अपने न्यूज़ पोर्टल ‘फ़ेस ऑफ़ नेशन’ पर यह ख़बर चलाई थी कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को उनके पद से हटाया जा सकता है। इस ख़बर के लिए पटेल पर राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज कर दिया गया। गिल्ड ने कहा है कि यह राजद्रोह, आईपीसी के अलावा विशेष क़ानूनों का भी दुरुपयोग है। 

गिल्ड ने कहा है कि गुजरात और दिल्ली में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई बेहद निराश करने वाली है। पत्रकारों के मुद्दों को उठाने वाली इस संस्था ने कहा है कि सरकार और पुलिस को इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि मीडिया सरकारी ढांचे और लोकतंत्र का अटूट अंग है।

गिल्ड ने इन कार्रवाइयों की निंदा की है और केंद्र व राज्य सरकारों से कहा है कि वे प्रेस की आज़ादी को डराने वाले क़ानूनों का दुरुपयोग होने से रोकें।

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पीसीआई ने भी की निंदा 

गिल्ड के अलावा प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया (पीसीआई) ने भी मनराल के ख़िलाफ़ पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की है। पीसीआई ने कहा है कि इस मामले को एक रिजाइंडर देकर ख़त्म किया जा सकता था लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार रिपोर्टर का उत्पीड़न करने के लिए पुलिस को एक टूल के रूप में इस्तेमाल कर रही है। पीसीआई ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है कि वह दिल्ली पुलिस की इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगाएं।

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क़मर वहीद नक़वी

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