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फ़ोटो साभार: फ़ेसबुक/पुष्कर व्यास

किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या

सरकार के साथ नौवें दौर की वार्ता से पहले दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे एक और किसान ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। रिपोर्टों के अनुसार, कृषि क़ानूनों को रद्द नहीं किए जाने को लेकर उसने ऐसा क़दम उठाया। 40 वर्षीय मृतक किसान के साथियों ने कहा है कि उन्होंने इसलिए ऐसा किया क्योंकि सरकार किसानों की माँगों को सुनने से इंकार कर दिया है। किसान नये कृषि क़ानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं और अपनी उपज पर न्यूनतम समर्थम मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। 

सरकार और किसानों के बीच जारी बातचीत के बीच ही अब तक किसानों की आत्महत्या के कई ऐसे मामले आ चुके हैं। किसानों का दावा है कि सर्दी की वजह से भी कई किसानों की मौत हो चुकी है। 

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आत्महत्या का ताज़ा मामला सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को आया। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार मृतक किसान की पहचान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई है। रिपोर्ट के अनुसार मौत से पहले उन्होंने अपने साथी किसानों से कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी मौत से किसानों का आंदोलन सफल होगा।

बता दें कि कृषि क़ानूनों के मसले पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है। बातचीत के दौरान सरकार ने कृषि क़ानूनों में संशोधन की बात कही जबकि किसानों ने फिर कहा कि उन्हें संशोधन नहीं चाहिए, बल्कि उनकी मांग क़ानूनों को रद्द करने की है। 

बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि विभाग के अफ़सर सहित 40 किसान संगठनों के नेता मौजूद रहे थे। बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा, ‘तीनों क़ानूनों को लेकर चर्चा हुई और सरकार का यह आग्रह रहा कि किसान संगठन क़ानूनों को रद्द करने के अतिरिक्त कोई विकल्प दें तो सरकार उस पर विचार करेगी लेकिन चर्चा के बाद भी विकल्प नहीं आ सका।’ किसानों ने बातचीत से पहले ही साफ़ कर दिया था कि वे कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने पर ही बात करेंगे। 

सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों ने अपने आंदोलन को तेज़ कर दिया है। किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने का एलान किया है।
किसानों ने कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर रैली निकालकर केंद्र सरकार को अपनी ताक़त और एकजुटता का अहसास कराया। यह रैली 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल के तौर पर निकाली गई। इससे सरकार ख़ासी परेशान है। अब अगली बैठक 15 जनवरी को दिन में 12 बजे होगी।
farmer commits suicide amid singhu border farmers protest - Satya Hindi
इससे पहले प्रदर्शन करने वाले एक किसान की आत्महत्या की एक ख़बर 2 जनवरी को भी सुर्खियों में आई थी। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर 75 साल की उम्र के एक किसान ने आंदोलन स्थल पर आत्महत्या कर ली थी। 

किसान का नाम कश्मीर सिंह लाडी था और वह यूपी-उत्तराखंड के बॉर्डर पर पड़ने वाले बिलासपुर इलाक़े के रहने वाले थे। कश्मीर सिंह का शव टॉयलेट के अंदर मिला था। भारतीय किसान यूनियन के मुताबिक़ कश्मीर सिंह ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था जिसमें उन्होंने आत्महत्या के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया। कश्मीर सिंह ने कथित तौर पर उस नोट में लिखा था, ‘कब तक हम इस ठंड में बैठे रहेंगे। सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। इसलिए, मैं अपनी जान दे रहा हूँ जिससे कोई रास्ता निकले।’ उन्होंने यह भी लिखा कि उनके पोते आंदोलन स्थल पर ही उनका अंतिम संस्कार करें।

किसानों के आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

संत बाबा राम सिंह ने की ख़ुदकुशी 

दिसंबर में सिंघु बॉर्डर पर सिख धर्म गुरु संत बाबा राम सिंह ने ख़ुदकुशी कर ली थी। तब भी किसानों और आम लोगों ने जबरदस्त आक्रोश का इजहार किया था। संत बाबा राम सिंह ने गोली मारकर आत्महत्या की थी। संत बाबा राम सिंह हरियाणा के करनाल के रहने वाले थे। उन्होंने सुसाइड नोट भी छोड़ा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह किसानों की बेहद ख़राब हालत के कारण यह आत्मघाती क़दम उठा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग संत बाबा राम सिंह के कीर्तन को सुनते थे।

दिसंबर महीने के आख़िर में टिकरी बॉर्डर के पास पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। उनके कथित आत्महत्या नोट में कहा गया था कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों की बातें सुननी चाहिए।'

'एनडीटीवी' के अनुसार, पंजाब के फ़ाज़िल्का ज़िले के जलालाबाद के रहने वाले अमरजीत सिंह ने कथित तौर पर ज़हर खा लिया था। 

उन्होंने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें लिखा था कि वे 'किसान आन्दोलन के समर्थन में अपनी जान की क़ुर्बानी दे रहे हैं ताकि सरकार किसानों की बातें सुने।' 

इस कथित सुसाइड नोट में लिखा गया है, "कृपा करके किसानों, मजदूरों और आम जनता की रोजी-रोटी मत छीनिए और उन्हें ज़हर खाने के लिए मजबूर न कीजिए। सामाजिक तौर पर आपने जनता और राजनीतिक तौर पर आपने अकाली दल जैसे सहयोगी दलों को धोखा दिया है। लेकिन जनता की आवाज़ भगवान की आवाज़ होती है। कहा जा रहा है कि आपको गोधरा जैसा बलिदान चाहिए, इस वैश्विक आंदोलन के जरिये आपकी अंतरात्मा तक आवाज पहुँचाने के लिए मैं अपनी कुर्बानी दे रहा हूँ।"

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क़मर वहीद नक़वी

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