loader

29 लाख लोगों को कोरोना से बचा लिया सरकार ने?

सरकार के इस दावे पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि उसने रोकथाम के उपाय कर 29 लाख लोगों को कोरोना संक्रमित होने से बचा लिया और 78 हज़ार लोगों को मौत के मुँह में जाने से रोक लिया।

मॉडलिंग पर सवाल

मैथेमैटिकल मॉडलिंग के विशेषज्ञ और इंस्टीच्यूट ऑफ मैथेमैटिकल साइसेंज के प्रोफ़ेसर गौतम मेनन ने मशहूर पत्रकार करण थापर से कहा है कि सरकार का यह निष्कर्ष उस मॉडल पर आधारित है जो पारदर्शी नहीं है और देश से कहा जा रहा है कि वह इसे बग़ैर सवाल किए पूरी तरह स्वीकार कर ले। 
देश से और खबरें
गौतम मेनन ने कहा कि इस मैथेमैटिकल मॉडलिंग में किन आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया, किसी को पता नहीं। लिहाज़ा, इसके नतीजे की सचाई को परखने का कोई उपाय भी नहीं है।
मैथेमैटिकल मॉडलिंग में पूर्वानुमानों का इस्तेमाल किया जाता है और नतीजे उसी के अनुरूप होते हैं। चूँकि यह नहीं पता कि किन पूर्वानुमानों का प्रयोग किया गया है, इसलिए नतीजे का भी पता नहीं। वे कहते हैं, ‘आप इसमें कूड़ा डालेंगे तो कूड़ा ही निकलेगा।’

कितने लोगोे को बचाया?

गौतम मेनन ने करण थापर से बातचीत में कहा कि उन्होंने मॉडलिंग से अनुमान लगाया है कि 8 हज़ार से 32 हज़ार लोगों की जान बचाई गई है। लेकिन इसके उलट बॉस्टन कंसलटेंसी ग्रुप ने एक मॉडल बनाया और उस आधार पर अनुमान लगाया कि रोकथाम के उपायों से 2.10 लाख लोगों की जान बचाई गई।
बता दें कि अमेरिका स्थित यह कंपनी मैनेजमेंट के क्षेत्र में सलाह देती है,स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसका कोई अनुभव नहीं है। जब इसकी सेवाएं ली गईं, यह सवाल भी उठा था कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार को सलाह देने के लिए बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्र में सलाह देने वाली कंपनी को क्यों चुना गया। 
गौतम मेनन ने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि भारत में एक करोड़ कोरोना मामले होंगे, जो अभी तक उजागर ही नहीं हुए हैं। अधिकतर लोगों में बाहर से कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे होंगे, पर उनमें वायरस होगा।
यह मुमकिन है कि ये लोग वायरस से ग्रसित होंगे, पर दूसरों की तुलना में संक्रमण फैलाने की क्षमता इनमें कम होगी। 

प्रवासी मज़दूर

प्रोफ़ेसर मेनन ने बातचीत के दौरान बताया कि करोड़ों प्रवासी मज़दूर अपने गृह राज्य लौटे हैं, उनमें प़ॉजिटिव होने की दर राष्ट्रीय औसत से दूनी या तीन गुनी होगी। ये बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ स्थित अपने घरों को लौटे हैं। इसकी पूरी संभावना है कि जल्द ही इन राज्यों में कोरोना संक्रमण की तेज़ रफ़्तार देखी जा सकती है।
लेकिन 65 दिनों के लॉकडाउन के बाद लोगों को मास्क और सैनिटाइज़र वगैरह का इस्तेमाल करना आ गया है और अब वे इससे निपटने में अधिक सक्षम हैं। इसके अलावा मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों की तुलना में गाँवों में जनसंख्या घनत्व कम है। 
मेनन ने यह भी कहा है कि कोरोना संक्रमण अपने चरम पर अगस्त में पहुँचेगा, यह थोड़ा जल्दी भी पहुँच सकता है। 

रिकवरी रेट

प्रोफ़ेसर मेनन ने करण थापर से कहा कि इस रोग से लोगों के ठीक होने की दर भारत में 42.80 प्रतिशत है, जो बहुत ऊँची दर नहीं है। स्पेन में यह दर 69 प्रतिशत है और वहाँ 27,121 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में यह दर 65 प्रतिशत है और वहाँ 33,229 लोगों की मौत हो चुकी है। 
प्रोफ़ेसर गौतम मेनन ने स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि भारत में पाए जाने वाला वायरस उतना ख़तरनाक नहीं है, जितना दूसरे देशों के वायरस हैं। उन्होंने सवाल किया कि आख़िर किस आधार पर यह कहा जा रहा है। 

कम वेंटीलेटर 

मेनन ने सरकार के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि भारत में मृत्यु दर कम (2.87  प्रतिशत) है, यहां पॉजिटिव होने की दर भी कम (4.9 प्रतिशत) है और यहां सिर्फ 3 प्रतिशत लोगों को आइसीयू में भर्ती करना होगा और महज 0.5 प्रतिशत लोगों को वेंटीलेटर की ज़रूरत होगी। लेकिन दूसरी ओर भारत के 90 प्रतिशत लोग 60 साल से कम उम्र के हैं। 
प्रोफ़ेसर मेनन ने करण थापर से बातचीत में कहा कि मैथेमैटिकल मॉडलिंग के लिए सही आँकड़े ज़रूरी हैं और यह कई बार मुश्किल से मिलता है, ख़ुद उन्हें भी दिक्क़त हुई थी। उदाहरण के लिए जब कोरोना के मामले आने शुरू हुए, यह जानना ज़रूरी है कि उस समय इनफ्लुएंजा जैसे रोगों से कितने लोग संक्रमित होकर अस्पताल गए थे। इससे यह जानने में सहूलियत होगी कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत कब हुई। 
नेशनल सेंटर फ़ॉर डिजीज़ कंट्रोल इस तरह के आँकड़े साप्ताहिक प्रकाशित करता है, पर उसने फरवरी के बीच में आँकड़े देना ही बंद कर दिया। पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि संक्रमण पहले ही शुरू हो चुका था।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें