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प्राइवेसी पॉलिसी पर दबाव न डाले, नोटिफ़िकेशन न भेजे वाट्सऐप: केंद्र

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि वाट्सऐप अपने यूजरों पर नयी प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार करने के लिए दबाव डाल रहा है। इसने कहा है कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के क़ानून बनने से पहले वाट्सऐप अपनी नयी प्राइवेसी पॉलिसी की यूजरों से सहमति पाने के लिए हर रोज़ नोटिफ़िकेशन पर नोटिफ़िकेशन भेजे जा रहा है। सरकार ने कहा है कि यह यूजरों से सहमति प्राप्त करने का सही तरीक़ा नहीं है और यह एक ट्रिक यानी चाल है। इसीलिए सरकार ने कोर्ट से अपील की है कि वह निर्देश दे कि वाट्सऐप अपने यूजरों को ऐसा नोटिफ़िकेशन न भेजे। 

केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने अपनी बात हलफनामा देकर रखी है। यह उसके प्रतिक्रिया में है जिसमें वाट्सऐप की नयी प्राइवेसी पॉलिसी के ख़िलाफ़ कई अपील दायर की गई हैं। इनमें से एक अपीलकर्ता चैतन्या रोहिल्ला की ओर से दावा किया गया था कि वाट्सऐप की नयी प्राइवेसी पॉलिसी यूजर के निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। 

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इस मामले में पिछले महीने ही सरकार ने दोहराया था कि वाट्सऐप अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों को हटा ले। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा था कि 15 मई 2021 के बाद प्राइवेसी पॉलिसी को स्थगित करने से वाट्सऐप को यह छूट नहीं मिल गई कि वह भारतीय यूजरों के लिए यूजरों की पसंद, डेटा सुरक्षा और सूचना की गोपनीयता के मूल्यों का सम्मान न करे।

सरकार का यह हलफनामा याचिकाकर्ताओं के दावों का समर्थन करता है। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, हलफनामा में केंद्र सरकार ने कहा है कि यह प्राइवेसी पॉलिसी नियमों का उल्लंघन करती है क्योंकि यह एकत्र किए जा रहे संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा के प्रकारों को स्पष्ट करने में विफल रहा है और उपयोगकर्ताओं को उस संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी के बारे में जानकारी देने में भी विफल रहा है जो एकत्र की जाती है।

वाट्सऐप इस समय अपने उन यूजरों को लगातार मैसेज भेज रहा है कि वे उसकी नई शर्तों को मान लें जिन्होंने नई शर्तें स्वाकार नहीं की हैं। जिन्होंने नई शर्तें नहीं स्वीकार की हैं उनको इन दिनों वाट्सऐप चैट खोलते ही एक पॉप-अप आ रहा है जिसमें कुछ शर्तें बताई जा रही हैं और उन्हें मानने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे ही मैसेज फ़रवरी महीने में भी आ रहे थे कि अगर आप नहीं मानते हैं तो आपकी सेवा 8 फ़रवरी से समाप्त। लेकिन बाद में इसके समय को बढ़ा दिया गया था। इसके लिए नयी तारीख़ जो 15 मई तय थी उसे भी फ़िलहाल स्थगित कर दिया गया है।
वाट्सऐप की जो ये नई प्राइवेसी पॉलिसी है वह यूरोप के लोगों के लिए नहीं है। इसको लेकर भी सरकार नाराज़गी जता चुकी है। इसने यूरोप में उपयोगकर्ताओं की तुलना में भारतीय उपयोगकर्ताओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार के मुद्दे को उठाया है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा था कि, 'जैसा कि आप साफ़ तौर पर जानते हैं, कई भारतीय नागरिक रोजमर्रा की ज़िंदगी में संवाद करने के लिए वाट्सऐप पर निर्भर हैं। इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए भारतीय उपयोगकर्ताओं पर अनुचित नियम और शर्तों को लागू करना वाट्सऐप का न केवल ग़लत, बल्कि ग़ैर-ज़िम्मेदार रवैया भी है, विशेष रूप से वे रवैये जो यूरोप में उपयोगकर्ताओं और भारतीय उपयोगकर्ताओं के साथ भेदभाव करते हैं।'

मंत्रालय ने अपने संदेश में वाट्सऐप का ध्यान दिलाया था कि कैसे उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी मौजूदा भारतीय क़ानूनों और नियमों के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती है।

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आरोप है कि अब तक वाट्सऐप की सेवा इनक्रिप्टेड थी यानी उसे कोई देख-पढ़ नहीं सकता था लेकिन उसकी नई पॉलिसी के बाद यह प्राइवेसी ख़त्म हो जाएगी और कंपनी के पास उसे इस्तेमाल का अधिकार होगा। पुरानी पॉलिसी में जहाँ यह कहा गया था कि वाट्सऐप बेहद मज़बूत प्राइवेसी पॉलिसी में यक़ीन रखता है लेकिन नई पॉलिसी में इसका कहीं कोई ज़िक्र नहीं है। इसको लेकर भी आरोप लगाया जा रहा है कि क्या यूज़र की प्राइवेसी ख़तरे में है और उसके डेटा को कंपनी किसी को भी और कभी भी बेच सकती है?

यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि यह सब फ़ेसबुक द्वारा वाट्सऐप के अधिग्रहण के बाद हुआ। यह विवाद इसलिए भी उठा है कि अब फ़ेसबुक एक नये बिज़नेस मॉडल पर काम कर रहा है जिसके तहत वह उन कंपनियों से पैसे लेगा जो वाट्सऐप कस्टमर से डील करते हैं।

यानी किसी भी तरह के व्यापारिक सौदे में फ़ेसबुक एक तयशुदा राशि वसूलेगा। अभी तक वाट्सऐप पर हर तरह के कमर्शियल लेन-देन फ्री हैं।

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जब इसी साल फ़रवरी में ये आरोप वाट्सऐप पर लगे थे तो इन्हीं आरोपों के बीच वाट्सऐप ने पूरे पेज का विज्ञापन देकर सफ़ाई दी थी। विज्ञापन में वाट्सऐप ने साफ़ किया था कि वह न तो निजी संदेशों को देख सकता है और न ही कॉल को सुन सकता है। इसमें दावा किया गया है कि 'हर निजी संदेश, फ़ोटो, वीडियो, वॉइस मैसेज, और डॉक्यूमेंट जो आप अपने दोस्तों, परिवारों और सह कर्मियों को एक एक कर या ग्रुप में भेजते हैं वे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से सुरक्षित हैं। ये सिर्फ़ आप लोगों के बीच ही रहते हैं।' इसमें यह भी कहा गया है कि वाट्सऐप की तरह फ़ेसबुक भी निजी जानकारी नहीं देख सकता है। फिर भी वाट्सऐप के इन दावों पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी

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