स्कूल में औसत दर्जे का होने से ही क्या आदमी की तकदीर तय हो जाती है? इसी हफ़्ते हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मानें तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह खुद इसके उदाहरण हैं। उन्होंने लिखा है कि वह स्कूल में औसत दर्जे का छात्र थे यानी परीक्षा में अंक लाने में औसत दर्जे के थे, लेकिन वह बेहद सम्मानित और गर्व करने वाला 'शौर्य चक्र' का सम्मान पाने वाले शख्स हैं।
कैप्टन वरुण सिंह ने यह बात हरियाणा के अपने स्कूल आर्मी पब्लिक स्कूल चांदीमंदिर कैटोनमेंट के प्रधानाचार्य को लिखे एक ख़त में कही है। उनका यह ख़त अब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। उन्होंने यह ख़त इसी साल सितंबर महीने में तब लिखा था जब उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उस ख़त में उन्होंने स्कूली छात्रों को संबोधित किया था। वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने उस ख़त को ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह ख़त हर बच्चे, हर छात्र को पढ़ना चाहिए।
Group Captain #VarunSingh का ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है , जो उन्होंने शौर्य चक्र मिलने के बाद क़रीब तीन महीने पहले अपने स्कूल की प्रिंसिपल को लिखा था।
— Vinod Kapri (@vinodkapri) December 9, 2021
ये पत्र हर बच्चे को, हर छात्र को पढ़ना चाहिए।
ख़ासतौर पर पत्र का 12-13 पैरा। pic.twitter.com/a67WRRyLfo
प्रधानाचार्य को लिखे पत्र में ग्रुप कैप्टन सिंह ने कहा है कि वह बहुत ही औसत छात्र थे। उन्होंने लिखा है, 'मैंने मुश्किल से 12वीं क्लास में फर्स्ट डिविजन हासिल किया था। फिर भी मैंने 12वीं क्लास में अपने अनुशासन में कोई कमी नहीं आने दी। मैं खेल और अन्य ग़ैर-शैक्षिक गतिविधियों में भी औसत था।'
ग्रुप कैप्टन ने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि पिछले साल वह एक तेजस विमान उड़ा रहे थे, जिसमें एक बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने उड़ान के बीच एक भीषण दुर्घटना को टाल दिया और इसीलिए उन्हें अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
उन्होंने ख़त में लिखा है, 'औसत दर्जे का होना ठीक है... लेकिन यह किसी भी तरह से जीवन में आने वाली चीजों का पैमाना नहीं है। ...आप जो भी काम करते हैं, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें... कभी उम्मीद न खोएं।'
उन्होंने लिखा था, 'औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो यह एक उपलब्धि है उसकी सराहना होनी चाहिए।'
उन्होंने आगे लिखा था, 'पर यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह न सोचें कि आप औसत दर्जे के ही रहेंगे। आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।'
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