loader

मौतें छिपा कर बड़े ख़तरे को न्योत रही है सरकार

जानबूझ कर अपनी नाक बचाने के लिए कोविड19 से होने वाली मौतों के आँकड़ों को कम करके दिखाना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ख़तरनाक़ खेल साबित हो सकता है। महामारी से होने वाली हर मौत दुखदायी है। लेकिन उन के आँकड़े छिपा कर हम भविष्य में और भी बड़े संकट को न्योता दे रहे हैं।
शिवकांत | लंदन से

भारत में रहने वालों के लिए यह ख़बर नई नहीं है। श्मशानों में जलती चिताओं और दाहकर्म के लिए प्रतीक्षा की कतारों को देख कर कोरोना से मरने वालों के सरकारी आँकड़ों पर संदेह होना स्वाभाविक है। पर अब इस संभावना को लेकर विदेशी मीडिया में भी चर्चा होने लगी है। 

'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने आज अपने दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख जेफ़री जेंटलमन की एक लंबी रिपोर्ट छापी है। लगभग एक सप्ताह पहले 'रॉयटर्स' ने एलस्डेयर पॉल की एक रिपोर्ट छापी थी। पिछले साल विज्ञान पत्रिका 'लान्सेट' में पत्रलेखा चटर्जी ने भारत सरकार के आँकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे।

राहत कार्य में लगे समाजसेवियों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कोरोना से होने वाली मौतों में केवल उन्हीं को गिना जा रहा है जिनके शव अस्पतालों के मुर्दाघरों से श्मशान जा रहे हैं।

जिन लोगों की अस्पतालों में जगह न मिलने या अस्पताल न जा पाने के कारण घरों पर ही मौत हो रही है, उन्हें नहीं गिना जा रहा।

मौतें छिपा रही हैं सरकारें

स्वास्थ्य सेवाओं के चरमरा जाने के कारण मुर्दाघऱों में जगह ही नहीं है। इसलिए बहुत से शवों को मौत का कारण दर्ज किए बिना ही दाहकर्म के लिए भेज दिया जा रहा है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आज के बयान से ऐसा आभास भी मिल रहा है कि कुछ राज्य सरकारों में अब कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या कम दिखाकर अपने प्रशासन की बेहतरी जताने की होड़ भी चल रही है। 

hiding corona death as coronavirus spreades - Satya Hindi

पिछले साल केरल और तमिलनाडु के बेहतर कोविड-प्रबंधन के ढोल पीटे जा रहे थे। कोविड19 की इस दूसरी लहर से पहले दिल्ली, छत्तीसगढ़, असम और कर्नाटक अपनी पीठ थपथपा रहे थे।

बड़े संकट को न्योता

जानबूझ कर अपनी नाक बचाने के लिए कोविड19 से होने वाली मौतों के आँकड़ों को कम करके दिखाना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ख़तरनाक़ खेल साबित हो सकता है। महामारी से होने वाली हर मौत दुखदायी है। लेकिन उन के आँकड़े छिपा कर हम भविष्य में और भी बड़े संकट को न्योता दे रहे हैं।

प्राकृतिक विपदा या महामारी की गंभीरता के आयाम को देखकर ही उसका सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधन और इच्छाशक्ति जुटाई जा सकती है। यदि कोरोना से होने वाली जनहानि और धनहानि के सही आयाम को छिपाया गया तो न भारत के लोग उसे उतनी गंभीरता से लेंगे और न दुनिया के लोग।

उसका असर मौजूदा संकट से निपटने के लिए ज़रूरी तत्परता पर तो पड़ेगा ही, लोग भविष्य में आने वाले संकट का सामना करने के लिए भी तैयार नहीं हो पाएँगे।

छिपाए न छिपेगा

यह सही है कि मरने वालों की सही संख्या और मौत के कारणों के सही आँकड़े छिपे नहीं रहेंगे, देर-सवेर सामने आ ही जाएँगे। क्योंकि लोगों को अपने-अपने कारणों से मरने वाले परिजनों की मौत कहीं न कहीं दर्ज करानी होगी और मौत के प्रमाणपत्र लेने होंगे।

लेकिन इस देरी का असर मौजूदा और भावी संकट से निपटने के लिए ज़रूरी तत्परता पर पड़ सकता है। आशा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व समुदाय भारत सरकार पर सही आँकड़ों का दबाव बढ़ाएगा।

(शिवकांत के फ़ेसबुक पेज से साभार)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शिवकांत | लंदन से

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें