नागरिकता संशोधन विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इस विधेयक को पेश किया। शाह ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर घोर अत्याचार हुए और इन देशों में अल्पसंख्यक आबादी घट गई। उन्होंने दुहराया कि इन देशों में धार्मिक रूप से प्रताड़ना सहने वाले लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। विधेयक के तहत अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है और इसे संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है।
विधेयक संविधान पर हमला: कांग्रेस
कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है और यह लोकतंत्र के भी ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि बंटवारे की राजनीति को बंद किया जाना चाहिए। शर्मा ने कहा कि 1937 में हिंदू महासभा के नेता वीडी सावरकर ने दो राष्ट्रों की थ्योरी दी थी और हिंदू महासभा की बैठक में इस थ्योरी को पास किया गया था न कि कांग्रेस इसे लाई थी। उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा और मुसलिम लीग ने देश के बंटवारे का समर्थन किया था। शर्मा ने कहा कि भारत ने हमेशा से ही शरणार्थियों को शरण दी है लेकिन कभी भी धर्म को आधार नहीं बनाया।
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