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नागरिकता संशोधन विधेयक: असम, त्रिपुरा में विरोध जारी; मोदी बोले - चिंता न करें

मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से तो पास कराने में सफल रही है लेकिन असम और त्रिपुरा में इस विधेयक का विरोध जारी है। पिछले कई दिनों से विधेयक के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर हैं। बुधवार को भी गुवाहाटी, दिसपुर सहित कई इलाक़ों में विधेयक का जबरदस्त विरोध हुआ था। इसके बाद गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ़्यू बढ़ा दिया गया। बृहस्पतिवार को भी विधेयक के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। 

लोगों के पुरजोर विरोध और आक्रोश को देखते हुए सेना को तैनात करने के लिए तैयार रखा गया है। बुधवार को ही असम के दस ज़िलों में मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया गया था। इन जिलों में  लखीमपुर, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, जोरहाट, गोलाघाट आदि शामिल हैं। इसके अलावा त्रिपुरा में सेना को पहले से ही तैनात कर दिया गया है और राज्य में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। 

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इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि असम के लोगों को नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चिंतित होने की कोई ज़रूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं असम के लोगों को विश्वास दिलाता हूँ कि आपके अधिकार, पहचान और आपकी संस्कृति को कोई नहीं छीन सकता।’ मोदी ने एक अन्य ट्वीट कर कहा, ‘केंद्र सरकार और वह ख़ुद खंड 6 की भावना के अनुसार असम के लोगों के राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और ज़मीन के अधिकारों को संवैधानिक रूप से संरक्षित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।’

प्रदर्शन के कारण असम के तिनसुकिया और लुमडिंग इलाक़ों में 12 व 13 दिसंबर को 12 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है और 10 ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द किया गया है। बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने दिसपुर में कई बसों में आग लगा दी थी। 

असम के लोगों का कहना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने से असम समझौता, 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। पूर्वोत्तर के छात्र संगठन नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (नेसो), ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने और कई अन्य संगठनों ने विधेयक के विरोध में आवाज़ बुलंद करते हुए मंगलवार को 11 घंटे का बंद बुलाया था।

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असम, त्रिपुरा में जनजीवन प्रभावित

त्रिपुरा में नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर हैं। बीजेपी के सहयोगी दल इंडीजीनस पीपल फ़्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) सहित कई संगठन नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। असम और त्रिपुरा में इस विधेयक के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन के कारण आम जनजीवनख़ासा प्रभावित हुआ है। असम के राजनीतिक दल असम गण परिषद का कहना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं के आने से असम बर्बाद हो जाएगा। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर में विधेयक के विरोध को लेकर उठे सवालों का लोकसभा में चर्चा के दौरान जवाब दिया था। शाह ने कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम इनर लाइन परमिट से सुरक्षित हैं और उन्हें इस विधेयक को लेकर डरने की ज़रूरत नहीं है। दीमापुर के छोटे इलाक़े को छोड़कर पूरा नगालैंड इनर लाइन परमिट से सुरक्षित है, इसलिए उन्हें भी डरने की ज़रूरत नहीं है।’ 

इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार का तर्क यह है कि इन देशों में हिंदुओं समेत दूसरे अल्पसंख्यकों का काफ़ी उत्पीड़न होता है, जिसके कारण वे भागकर भारत में शरण लेते हैं और मानवीय आधार पर ऐसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जानी चाहिए। सरकार का कहना है कि इसीलिए नागरिकता विधेयक लाया गया और इसमें इन देशों से आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, ईसाईयों को नागरिकता देना तय किया गया। इन देशों से आए मुसलिम शरणार्थियों को नागरिकता क़ानून से बाहर रखने के पीछे सरकार का तर्क यह है कि इन मुसलिम देशों में धर्म के आधार पर मुसलमानों का उत्पीड़न नहीं हो सकता। 

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क़मर वहीद नक़वी

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