loader

सोशल मीडिया पर क्यों फैलाया जा रहा है इसलामोफ़ोबिया?

क्या नागरिकता संशोधन क़ानून पारित होने के बाद सोशल मीडिया पर इसलामोफ़ोबिया का माहौल तैयार किया जा रहा है? क्या उनके ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि वॉट्सऐप पर एक के बाद एक सैकड़ों मैसेज डाले गए हैं और ट्विटर व फ़ेसबुक पर पोस्ट के अलावा मीम बना कर प्रसारित किए गए हैं। 
अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘द वायर’ ने एक अध्ययन में पाया है कि नागरिकता क़ानून पारित होने के बाद सोशल मीडिया पर मुसलिम विरोधी सामग्रियों की बाढ़ आ  गई है।
देश से और खबरें
कुछ लोगों ने इस पर खुशी जताई है कि एनआरसी लागू होने के बाद मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को नागरिकता क़ानून के लिए बधाइयाँ दी हैं और कांग्रेस व दूसरे राजनीतिक दलों को मुसलिम-परस्त, देश का दुश्मन, राष्ट्रविरोधी तक कहा गया है। सोशल मीडिया के ज़्यादातर पोस्ट के स्रोत को छुपाया गया है, अधिकतर पोस्ट फ़ेक अकाउंट से किए गए हैं। अधिकतर पोस्ट को हिन्दू धर्म से जोड़ा गया है और ‘जय श्री राम’ लिखा गया है। 
कुछ पोस्ट में एनआरसी को हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ा हुआ पहला कदम बताया गया है और उस पर काफ़ी खुशी जताई गई है। इसके साथ ही हिन्दू राष्ट्र बनाने के चार कदम के बारे में जानकारी दी गई है।
Islamophobia on social media, hatred against Muslims propagated - Satya Hindi
'द वायर' से साभार
पोस्ट में कहा गया है कि पहले एनआरसी, उसके बाद नागरिकता क़ानून, फिर जनसंख्या नियंत्रित करने से जुड़ा क़ानून, उसके बाद समान नागरिक क़ानून। ये सभी कदम उठा लिए गए तो भारत निश्चित तौर पर हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा। 

Islamophobia on social media, hatred against Muslims propagated - Satya Hindi
'द वायर' से साभार
कुछ पोस्ट में कहा गया है कि किस तरह मुसलमानों को शारीरिक चोट पहुँचाए बग़ैर ही उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी और उसके बाद उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। 
Islamophobia on social media, hatred against Muslims propagated - Satya Hindi
'द वायर' से साभार
कुछ पोस्ट में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बेबुनियाद बातें कही गई हैं। यह कहा गया है कि सिर्फ़ 1 प्रतिशत मुसलमान भारत के पक्ष में नारे लगाते हैं, 95 प्रतिशत मुसलमान भारत हिन्दू नारे लगाते हैं।
Islamophobia on social media, hatred against Muslims propagated - Satya Hindi
'द वायर' से साभार
कुछ पोस्ट इतने आपत्तिजनक हैं कि हम उसे प्रकाशित नहीं कर सकते। 
नागरिकता संशोधन क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें