loader

नागरिकता क़ानून पर जनमत संग्रह की माँग की ममता बनर्जी ने

नागरिकता क़ानून पर चले रहे देशव्यापी आन्दोलन के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने की माँग की है।

ममता बनर्जी ने गुरुवार को कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की एक रैली को सम्बोधित करते हुए सवाल उठाया कि आजादी के इतने वर्षों के बाद हमें नागरिकता साबित करने की क्यों जरूरत है? उन्होंने मांग की है कि नागिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी पर जनमत संग्रह कराया जाए। इसे संयुक्त राष्ट्र मॉनिटर करे। 

तृणमूल कांग्रेस की इस फ़ायर ब्रांड नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को उनके नाम लिए बग़ैर चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा, 'जनमत संग्रह के बाद देखते हैं कि कौन जीतता है।' केन्द्र सरकार को चुनौती देते हुए ममता ने कहा : 

अगर तुम हारते हो तो तुम्हें इस्तीफा देकर जाना होगा। मैं तुमको चुनौती देती हूँ। देश को फेसबुक और सांप्रदायिक दंगों का इस्तेमाल कर विभाजित करने की कोशिश मत करो।


ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

पूरे पश्चिम बंगाल में दीदी नाम से मशहूर ममता बनर्जी ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी नेता तब कहां थे जब स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया जा रहा था? यह शर्मनाक है कि हमारे अभिभावकों को दस्तावेज निकालने पड़ रहे हैं।' 
ममता बनर्जी ने बीजेपी पर चोट करते हुए कहा, उन्होंने पहले कहा कि आधार ज़रूरी है, अब कह रहे हैं कि यह जरूरी नहीं है। बीजेपी को भले ही 32 फ़ीसदी वोट मिले, लेकिन 68 फ़ीसदी लोगों ने वोट नहीं दिया है।''
बता दें कि नागरिकता संशोधन क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें