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आख़िर कांवड़ यात्रा क्यों कराना चाहते हैं सीएम योगी आदित्यनाथ?

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच क्या कांवड़ यात्रा कराई जानी चाहिए। जिस उत्तराखंड में लगभग 3 करोड़ कांवड़िए जल लेने जाते हैं, वहां के मुख्यमंत्री ने कांवड़ यात्रा कराने से इनकार कर दिया है लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर हाल में कांवड़ा यात्रा कराना चाहते हैं। 

कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा के कई इलाक़ों से कांवड़िए जल लेने हरिद्वार और दूसरी जगहों पर आते हैं और वापस अपने शहरों में पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

कांवड़ यात्रा हर साल होती है और इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन बीते दो साल से देश कोरोना संक्रमण की मार से जूझ रहा है। सरकार, डॉक्टर्स, एक्सपर्ट्स सभी ने ताक़त झोंकी हुई है कि किसी भी तरह संक्रमण के मामलों को शून्य के स्तर तक लाया जाए और यह तब होगा जब भीड़-भाड़ वाले आयोजन नहीं होंगे। 

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सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

कांवड़ यात्रा में आने वाले कांवड़ियों की संख्या जब 3 करोड़ के आसपास है तो ऐसे वक़्त में कैसे इसकी इजाजत दी जा सकती है। जैसे ही उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा को हरी झंडी दी, सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर दिया और साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि उसने कोरोना के वक़्त में कांवड़ यात्रा कराने के लिए हां क्यों की है। 

सवाल यह है कि एक ओर जब पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि बाज़ारों और पर्यटन स्थलों पर बिना मास्क लगाए लोगों की तसवीरें चिंता का कारण हैं और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं होना गंभीर विषय है तो ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा कराने के लिए जिद क्यों करनी चाहिए।

नज़दीक हैं विधानसभा चुनाव 

उत्तर प्रदेश में सात महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और कांवड़ यात्रा में हिंदू नौजवानों के विशेष उत्साह को देखते हुए योगी आदित्यनाथ इस यात्रा को रद्द कर उनकी नाराज़गी को मोल लेना नहीं चाहते। पिछले साढ़े चार साल में योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व की राजनीति के नए ब्रांड बनकर उभरे हैं और बीते कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो खटपट हुई थी, उसने उनकी छवि को और मजबूत किया है। 

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नहीं झुके योगी!

योगी के बारे में कहा जा रहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी आलाकमान के सामने भी नहीं झुके। योगी आदित्यनाथ को कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने के लिए जाना जाता है हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कई बार प्रदेश के हर व्यक्ति के सम्मान, सुरक्षा और विकास की बात कही है। 

बीजेपी शासित राज्यों में योगी आदित्यनाथ सबसे चर्चित मुख्यमंंत्री हैं और 2022 के चुनाव में बीजेपी को अपने चेहरे पर जीत दिलाने की सियासी ख़्वाहिश रखते हैं।

कांवड़ यात्रा का प्रचार 

कांवड़िए जिस तरह कई किमी. लंबी पैदल यात्रा करते हैं, वह सोशल मीडिया, टीवी, अख़बारों में काफी चर्चित होती है। हिंदुत्व की राजनीति करने वाले राजनीतिक फ़ायदे के लिए इसका विशेष रूप से प्रचार करते हैं और निश्चित रूप से इससे उन्हें फ़ायदा भी मिलता है। इस दौरान कई जगहों पर कांवड़ियों के लिए खाने, आराम करने के पंडाल भी लगाए जाते हैं। 

यहां याद दिलाना होगा कि कुछ साल पहले कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए थे और यह सब यही दिखाने के लिए किया गया था कि योगी आदित्यनाथ के प्रदेश में कांवड़ यात्रा पूरी शान के साथ हो रही है।

छवि पर पड़ेगा असर! 

अगर उत्तर प्रदेश में चुनाव से कुछ महीने पहले यह यात्रा नहीं होगी तो निश्चित रूप से योगी आदित्यनाथ की मज़बूत नेता वाली छवि पर असर पड़ेगा और यह कहा जाएगा कि वह इस यात्रा को नहीं करवा पाए। 

इसलिए योगी सरकार हर हाल में यात्रा कराना चाहती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी नज़र टेढ़ी कर दी है। देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस बारे में क्या फ़ैसला लेता है। लेकिन यह साफ है कि योगी आदित्यनाथ अपनी फ़ायर ब्रांड हिंदुत्व नेता वाली छवि को बनाए रखने के लिए इस यात्रा का आयोजन कराना चाहते हैं और चुनाव तो इसके पीछे एक वजह है ही। 

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क़मर वहीद नक़वी

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