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देखिए सबूत कि कैसे आपका मीडिया पूरी तरह बन चुका है गोदी मीडिया!

भारतीय मीडिया के एक वर्ग पर पिछले छह साल से ये आरोप लगते रहे हैं कि वह सत्ता प्रायोजित ख़बरों को चलाता है। मतलब कि सरकार की ओर से जो दिखाने का संकेत हो, वही चैनल पर दिखेगा। उसके ख़िलाफ़ जाने पर सत्ता की नाराज़गी का डर है। कभी निर्भीक और सच की पत्रकारिता करने वाला भारतीय मीडिया इस तरह के गंभीर आरोपों के कारण सवालों के घेरे में है। 

अब एक ताज़ा वाक़या सामने आया है, जिससे ऐसा लगता है कि वास्तव में सरकार की ओर से कही जाने वाली बातों को ही मेन स्ट्रीम मीडिया दिखाता है, चलाता है और उसे ऐसा करने के लिए ‘निर्देश’ मिलते हैं। नीचे लिखी ख़बर न्यूज़ लांड्री से साभार ली गई है। 

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3 दिसंबर को मेन स्ट्रीम मीडिया के कई पत्रकारों को वॉट्स एप पर प्रकाश जावड़ेकर के कार्यालय से एक लिस्ट भेजी गई। तीन पत्रकारों ने न्यूज़ लांड्री को इस बात को कन्फर्म किया कि जावड़ेकर के मीडिया एडवाजइजर एस. सत्यनारायणन ने यह लिस्ट उन्हें भेजी थी। 

लिस्ट के अलावा भेजे गए डॉक्यूमेंट्स में एक ऐसा डॉक्यूमेंट भी था, जिसमें लिखा था कि नए कृषि अध्यादेशों के बाद कुछ किसान उत्पादक संगठनों की सफलता की कहानी। इसमें इसमें कृषि क़ानूनों के फ़ायदों के बारे में बताया गया था। इसमें इन संगठनों की कांटेक्ट डिटेल्स भी दी गई थीं। 

दूसरे डॉक्यूमेंट में देश भर के 25 ऐसे किसानों के नाम थे जिन्हें नए कृषि क़ानूनों के बाद फ़ायदा हुआ है। इसमें इन किसानों के मोबाइल नंबर भी थे। तीसरे डॉक्यूमेंट में फ़ॉर्मर फ़ीडबैक लिखा गया था। इसमें 8 किसानों के नाम थे और बताया गया था कि कृषि क़ानूनों से किस तरह इन किसानों का काम बेहतर हुआ है। 

इसके अगले ही दिन 4 दिसंबर को भारत के बड़े मीडिया समूह टीवी टुडे नेटवर्क के अंग्रेजी न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे ने एक ख़बर अपनी वेबसाइट पर दिखाई। इस ख़बर में नए कृषि क़ानूनों से कुछ किसानों को फ़ायदा होने की बात कही गई। 

इंडिया टुडे की ख़बर में कहा गया कि नए कृषि क़ानूनों ने किसानों को ज़्यादा आज़ादी दी है और उनका मुनाफ़ा भी बढ़ा है। उत्तराखंड के रूड़की के एक किसान मनमोहन भारद्वाज ने इंडिया टुडे से कहा, ‘ये क़ानून किसानों के हित में हैं लेकिन दिक्क़त ये है कि हमारे देश में राजनीति बहुत है और जो लोग विपक्ष में हैं वे सत्ता में बैठे लोगों को हटाने के लिए इकट्ठे हो गए हैं।’ 

भारद्वाज के साथ ही मध्य प्रदेश के हरदा और देवास के किसान क्रमश: कमल पटेल और राम विलास गुर्जर से भी बात की गई। इसके अलावा मदुरै के किसान आर. नलप्पन से भी बात हुई। 

चैनल के एंकर राहुल कंवल ने इस ख़बर को ट्वीट किया। 

वेबसाइट में ख़बर को छापने के बाद 7 दिसंबर को इस ख़बर को इंडिया टुडे ने अपने प्राइम टाइम में टीवी चैनल पर चलाया। प्राइम टाइम का मतलब वो वक़्त जिस समय सबसे ज़्यादा लोग आपको देखते हैं। इस ख़बर में भारद्वाज, पटेल और गुर्जर की बाइट्स को चलाया गया। 
अब यहां दिलचस्प या मीडिया के ‘मैनेज’ होने वाली बात ये है कि इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में जिन किसानों को दिखाया, उनके नाम जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से भेजी गई लिस्ट में थे। मतलब लिस्ट में भारद्वाज, गुर्जर और पटेल तीनों का ही नाम था और जो ‘ऊपर’ से भेजा गया, उसे चला दिया गया।
इससे साफ पता चलता है कि यह एक तरह का मीडिया मैनेजमेंट ही है। सरकार ‘मैनेज’ कर रही है और चैनल ‘मैनेज’ हो रहे हैं। साधारण भाषा में कहें तो सरकार ने ख़बर प्लांट करवाई है। 

Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
इंडिया टुडे पर चली कमल पटेल की बाइट।
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
इंडिया टुडे पर चली राम विलास गुर्जर की बाइट।
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
इंडिया टुडे पर चली मनमोहन भारद्वाज की बाइट।
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से पत्रकारों को भेजे गए डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट।
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से पत्रकारों को भेजे गए डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट।

इंडिया टुडे ने जावड़ेकर के कार्यालय से भेजी गई इस लिस्ट के आधार पर ही किसानों की बाइट ले ली और सरकारी चैनल डीडी न्यूज़ ने भी उन्हीं किसानों की बाइट्स को चलाया। इससे साफ पता चलता है कि सरकार के मंत्रियों की ओर से देश के बड़े चैनलों को कंटेंट दिया जा रहा है कि वे इस पर स्टोरी करें, ये स्टोरी चलाएं और चैनल वही कर रहे हैं। 

4 से 6 दिसंबर के बीच डीडी न्यूज़ ने कमल पटेल, राम विलास गुर्जर की बाइट्स को चलाया। फिर से याद दिला दें कि इन तीनों के नाम जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से भेजी गई लिस्ट में थे। 

इसके अलावा डीडी न्यूज़ ने मध्य प्रदेश के उज्जैन के किसान दिनेश बैरागी की बाइट को भी चलाया। बैरागी के कहे हुए को ख़ुद जावड़ेकर ने ट्वीट किया। 
बैरागी का नाम भी जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से भेजी गई लिस्ट में था। 
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से पत्रकारों को भेजे गए डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट।
इसी तरह जावड़ेकर के कार्यालय से जितेंद्र भोई और मोहम्मद असलम के नाम भी लिस्ट में भेजे गए थे। इनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में किया था। जितेंद्र भोई की बाइट को सीएनएन ने अपने कार्यक्रम में चलाया। 
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
Kisan andolan in delhi news channel planted stories of government - Satya Hindi
जावड़ेकर के कार्यालय की ओर से पत्रकारों को भेजे गए डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट।

मोदी सरकार के बारे में कहा जाता है कि इसने मीडिया को जबरदस्त ढंग से 'मैनेज' किया हुआ है। मेन स्ट्रीम मीडिया के कई ऐसे हिंदी और इंग्लिश चैनल हैं, जो मोदी के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ उठते ही आवाज़ उठाने वालों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल देते हैं। 

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जिस तरह दिल्ली में किसानों का आंदोलन बड़ा होता जा रहा है, ऐसे वक़्त में मोदी सरकार के लिए यह ज़रूरी था कि मेन स्ट्रीम मीडिया के चैनल्स में ऐसे किसानों की बाइट्स चला दी जाएं जो ये कहें कि नए कृषि क़ानून उनके फ़ायदे के लिए हैं। 

केवल सूचना और प्रसारण मंत्रालय ही नहीं कई और मंत्रालयों के बारे में कहा जाता है कि वे न्यूज़ चैनलों को ‘डायरेक्ट’ करते हैं कि उन्हें क्या दिखाना चाहिए और क्या नहीं।

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क़मर वहीद नक़वी

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