loader

लॉकडाउन का असर : बदल गई शॉपिंग की दुनिया

कोरोना और इस महामारी से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने क्या मानव स्वभाव को भी प्रभावित किया है? क्या कोरोना की वजह से हमारे मनोविज्ञान, स्वभाव, व्यवहार व कामकाज के तौर तरीकों में कोई फ़र्क आया है? ये तमाम बातें उठती हैं, जिनका उत्तर लोग लगातार ढूंढ रहे हैं। मनोविज्ञान, स्वभाव, सामाजिक-आार्थिक स्थिति, सेक्स जीवन, सबकुछ प्रभावित हुआ है। सत्य हिन्दी इस पर एक श्रृंखला प्रकाशित कर रहा है। पेश है उसकी तीसरी कड़ी। 

प्रमोद मल्लिक

कोरोना महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन ने खरीद-फ़रोख़्त और बाजार में बुनियादी बदलाव लाए हैं। यह ऐसा बदलाव जिसे क्रांतिकारी कहा जा सकता है, जिसने उपभोक्ताओं की पसंद-नापसंद, प्राथमिकता, खरीदारी के पैटर्न, उसके स्वभाव-सभी चीजों को बदल दिया है। यह बदलाव सबसे साफ़ तौर पर ऑनलाइन शॉपिंग के क्षेत्र में देखा जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनाइटेड नेशन्स कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (अंकटाड) ने 2020 में लगाए गए पहले दौर के लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग में होने वाले परिवर्तनों के अध्ययन के लिए शोध किया।

इस सर्वे में विकसित देश और विकासशील देश, दोनों के उपभोक्ताओं को शामिल किया गया था। इसके अनुसार, विकसित देशों में तो पहले भी ऑनलाइन शॉपिेंग थी जो लॉकडाउन में बढ़ गई, लेकिन विकासशील देशों में पहले यह कम थी और उनमें अधिक विकास हुआ।

ख़ास ख़बरें

अंकटाड का शोध

लॉकडाउन की वजह से यह साफ हो गया कि डिजिटल टेक्नोलॉजी लोगों को घर बैठे आराम से पसंद की चीजें खरीदने का मौका देता है।  इसके साथ ही भुगतान के तरीके में भी पता चला कि डिजिटल पेमेंट आसान ही नहीं तेज और सुरक्षित भी है। जिन देशों में फिलहाल ऑनलाइन बहुत लोकप्रिय नहीं है, वहाँ उसके बहुत तेज़ी से आगे बढ़ने की संभावना है।

क्या है अंकटाड की रिपोर्ट में?

अंकटाड की इस रिपोर्ट के मुताबिक़, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी चीजें, दवा व स्वास्थ्य से जुड़े उपकरण व दूसरे उत्पाद, किताबें व ऑनलाइन पढ़ाई के कोर्स, बहुत अधिक बिके।

एक ओर जहाँ ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ी, वहीं दूसरी ओर इस पर खर्च किए जाने वाले पैसे में कमी आई है। यानी ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने के बावजूद पैसे नहीं बढ़े।

lockdown effect :complete change in online shopping, e-commerce, - Satya Hindi
अंकटाड का सर्वेunctad.org

यह भी देखा गया कि माइक्रोसॉफ़्ट टीम्स, ज़ूम, वीचैट, डिंग टॉक, फ़ेसबक और वॉट्सऐप के जरिए अधिक कारोबार हुआ और वे पहले से बहुत अधिक लोकप्रिय हो गए।

lockdown effect :complete change in online shopping, e-commerce, - Satya Hindi
अंकटाड का सर्वेunctad.org

'रीसर्च एंड मार्केट्स' 

'रीसर्च एंड मार्केट्स' नामक संस्था बाज़ार पर शोध करती है, उसने 'इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन द ई-कॉमर्स मार्केट' नामक शोध प्रकाशित किया।

इस शोध में कहा गया है कि जिन देशों में सूचना प्रौद्योगिकी, इंटरनेट और डिजिटिल पेमेंट जैसी सुविधाएं पहले से थीं, वहां लोगों को कोविड-19 के दौरान सामान खरीदने में अधिक सुविधाएं हुईं। इंटरनेट वगैरह के कारण पहले भी वहाँ ई-कॉमर्स था, लेकिन कोविड-19 के दौरान सोशल डिस्टिंग और लॉकडाउन के कारण यह तेज़ी से बढ़ा। 

जिन क्षेत्रों में वहां पहले से सुविधाएं नहीं थीं, वहां ये सुविधाएं विकसित होती गईं और ऑनलाइन कारोबार बढ़ता गया।

lockdown effect :complete change in online shopping, e-commerce, - Satya Hindi
लॉकडाउन का सबसे बुरा असर पर्यटन व होटल-रेस्तरां उद्योग पर पड़ा।

मैकिंजे का अध्ययन

दुनिया की सबसे बड़े मैनेजमेंट कंसलटेन्सी कंपनी मैकिंजे एंड कंपनी ने अपने विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए 45 देशों में उपभोक्ताओं के व्यवहार पर कोरोना के प्रभाव का अध्ययन किया। इसमें भारत भी है।

इस अध्ययन में कहा गया है कि भारत, चीन और इंडोनेशिया में ऑनलाइन बाज़ार में बहुत ही अधिक संभावनाएं हैं, लेकिन अमेरिका और जापान जैसे विकसित बाज़ार में संभावनाएं कम होने की आशंका है।

lockdown effect :complete change in online shopping, e-commerce, - Satya Hindi

इसमें सबसे ज़्यादा तेज़ी भारत में देखी गई है। भारत में जितने लोगों का सर्वे किया गया, उनमें से 96 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने खरीदारी में नए किस्म के प्रयोग के बारे में सोचा है। इनमें से 78 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे आगे भी ऐसा करते रहेंगे।

मैकिंजे एंड कंपनी के अध्ययन के मुताबिक भारत में जिन उत्पादों की ऑनलाइन खरीद बढ़ीं, उनमें प्रमुख हैं, किराना की चीजें, नाश्ता पानी, खाने की चीजें, शराब, कपड़े। इसके अलावा दवाएं, विटामिन वगैरह की बिक्री भी बढ़ी। लेकिन जूते और मेक अप की चीजों की बिक्री कम हुई।

जूते और मेकअप के सामान की बिक्री कम हुई क्योंकि लोग बाहर नहीं निकल रहे थे तो उन्हें न तो मेकअप करने की ज़रूरत हुई न ही उन्हें नए जूते लेने पड़े।
lockdown effect :complete change in online shopping, e-commerce, - Satya Hindi

भारत में ऑनलाइन क्षेत्र में टाटा समूह और रिलायंस समूह में बड़-बड़े निवेश हुए हैं। 

टाटा क्लिक, स्टार क्विक, टाटा स्काई और क्रोमा चार तो ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म ही हैं, जहां टाटा का सामान मिलता है। सुपर ऐप बिजनेस में यह सारे कारोबार एक साथ हो जाएंगे।

इसके अलावा टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, टाटा ग्लोबल बेवरेजेस, टाइटन, क्रोमा, वेस्टसाइड और लैंडमार्क वो कंपनियां हैं, जो अलग- अलग तरह के सामान सीधे उपभोक्ताओं को बेचती भी हैं और तमाम दूसरे रिटेलरों को सप्लाई भी करती हैं। 

वॉलमार्ट लंबे समय से भारत के बाज़ार में पैर जमाने की कोशिश में है। टाटा ग्रुप के साथ सौदा करते ही उसे इस काम के लिए एक भरोसेमंद और वजनदार पार्टनर मिल जाएगा। देखने की बात यह है कि अब रिटेल के बिजनेस में टाटा और अंबानी घराने की जंग आम खरीदार पर ऑफर्स की बरसात करेगी या छोटे कारोबारियों के लिए मुसीबत बनने के बाद खरीदार का भी तेल निकालने का इंतजाम।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रमोद मल्लिक

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें