सोमवार को तीन राज्यों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री शपथ लेंगे। इस मौके पर कांग्रेस विपक्षी दलों की एकजुटता दिखा कर मोदी सरकार की नींद हराम करने की तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती और बंगाल की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के नहीं आने से संदेश यही जा रहा है कि विपक्षी एकता की दिशा में अभी बहुत काम होना बाक़ी है।
अहमद पटेल को दी गई है ज़िम्मेदारी
तीनों मुख्यमंत्रियों के शपथग्रहण समारोह में तमाम विपक्षी नेताओं को न्योता देने और उन्हें कार्यक्रम में लाने की ज़िम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की तरफ से कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल को सौंपी गई है। अहमद पटेल पिछले तीन दिन से तमाम नेताओं को न्योता देने और शपथग्रहण समारोह में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित करने की क़वायद में जुटे हैं। विपक्षी नेताओं को दिल्ली से तीनों राज्यों में जाने के लिए विशेष रूप से चार्टर प्लेन बुक किया गया है। रविवार देर रात तक नेताओं के कार्यक्रम तय करने की क़वायद चलती रही। चुनावी नतीजे आने से एक दिन पहले विपक्षी दलों की बैठक में शरीक हुए क़रीब-क़रीब सभी नेता तीनों राज्यों के समारोहों में भी शिरकत करके विपक्षी एकता का मजबूत संदेश देंगे। कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक़ लगभग सभी नेताओं ने शपथग्रहण समारोह में शिरकत करने या अपने प्रतिनिधि भेजने की मंज़ूरी दे दी है।कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. ऐंटनी और पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम तीनों राज्यों के शपथग्रहण समारोह में शरीक होंगे।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथग्रहण समारोह में शरीक होंगे जबकि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह राजस्थान में सुबह होने वाले अशोक गहलोत के शपथग्रहण समारोह में शिरकत करेंगे। सूत्रों के मुताबिक़ केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन तीनों मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह में शिरकत करेंगे। इन दोनों का कांग्रेस के मंच पर आना ज़्यादा अहमियत इसलिए रखता है कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस और इनकी पार्टियों के बीच सीधी टक्कर है। इसके बावजूद अगर वे शपथ समारोह में शरीक होकर कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में एकजुटता दिखाते हैं तो यह बीजेपी के ख़िलाफ़ एक बड़ा संदेश होगा।
ममता-माया नहीं आ रहीं
शपथग्रहण समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नहीं आ रही हैं। उनकी जगह उनके प्रतिनिधि आने वाले हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का शरीक होना तय है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी प्रमुख मायावती की तरफ़ से शरीक होने पर पुख़्ता जानकारी नहीं मिली है और समझा जाता है कि वे नहीं आ रहीं। तीनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने निजी तौर पर भी मायावती को शपथग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता दिया है।उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का आना भी संदिग्ध है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी शपथ समारोह में शरीक होंगे। इनके अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी के साथ ही उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा भी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के शपथग्रहण में शामिल होंगे।
वामपंथी नेताओं में सीपीएम से सीताराम येचुरी और सीपीआई से डी. राजा के अलावा कुछ और नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन उनके बेटे हेमंत सोरेन और झारखंड विकास पार्टी के नेता बाबूलाल मरांडी के भी शपथग्रहण समारोह में शिरकत करने की बात है। उत्तर प्रदेश से आरएलडी नेता अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत के भी शपथग्रहण में शरीक होने की आशा है। इनमें से ज़्यादातर नेता कांग्रेस की तरफ से जाएँगे जबकि मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों के सरकारी प्लेन या हेलिकॉप्टर से अपनी सुविधा के हिसाब से शिरकत करेंगे।
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