संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि लिंचिंग में शामिल लोग हिंदुत्व के विरोधी हैं और जो ये कहें कि मुसलमान इस देश में नहीं रह सकते, वे हिंदू नहीं हो सकते। भागवत ने यह बयान रविवार को दिया और उनके इस बयान को हिंदू-मुसलमानों के बीच में नफ़रत फैलाने वाले लोगों के लिए कड़े संदेश के रूप में देखा गया।
लेकिन रविवार को ही हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता सूरज पाल अमू ने एक बार फिर मुसलमानों के ख़िलाफ़ वाहियात और अनाप-शनाप बयान दे दिया।
गुड़गांव के पटौदी में हुई महापंचायत में अमू ने बिना मुसलिम समुदाय का नाम लिए कहा, “इन हरामजादों को इस देश से निकालो, ऐसा प्रस्ताव पास होना चाहिए। इन लोगों के जो पार्क पटौदी में बन रहे हैं, उनके पत्थर उखाड़ दो और इन लोगों को मकान और दुकान किराये पर मत दो।” यह महांपचायत धर्म परिवर्तन के मामलों, कथित लव जिहाद और जनसंख्या नियंत्रण पर क़ानून बनाने की मांग को लेकर बुलाई गई थी।
पहले भी उगला था ज़हर
कुछ दिन पहले हरियाणा के मेवात में आसिफ़ नाम के एक मुसलिम नौजवान की कुछ लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इसके बाद बुलाई गई एक महापंचायत में भी सूरज पाल अमू ने इसी तरह ज़हर उगला था। लेकिन उन पर कार्रवाई करने के बजाए बीजेपी ने पिछले महीने उन्हें फिर से हरियाणा बीजेपी का प्रवक्ता बना दिया था। सूरज पाल अमू करणी सेना के अध्यक्ष भी हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने करीना और सैफ़ अली ख़ान की शादी को लव जिहाद बताया और उनके बेटे तैमूर का जिक्र करते हुए कहा कि हमें इतिहास बनाना है, इतिहास बनना नहीं है, ना तैमूर पैदा होंगे, न औरंगज़ेब, बाबर, हूमायूं पैदा होंगे।
सूरज पाल अमू के बयान के बारे में जब ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने हरियाणा बीजेपी के एक बड़े नेता की राय मांगी तो उन्होंने कहा कि यह सूरज पाल का निजी बयान है और इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।
बड़े ओहदों पर रहे हैं अमू
सूरज पाल अमू बीते कई सालों से हरियाणा बीजेपी में बड़े ओहदों पर काबिज़ हैं। उन्हें 2013 में हरियाणा बीजेपी का प्रवक्ता बनाया गया था, इसके बाद 2014 से 2019 तक वह चीफ़ मीडिया को-ऑर्डिनेटर रहे। अभी भी वह हरियाणा बीजेपी में प्रवक्ता के ओहदे पर हैं।
अमू ने पद्मावती फ़िल्म को लेकर 2017 में बयान दिया था कि जो भी दीपिका पादुकोण और संजय लीला भंसाली का सिर काटकर लाएगा, उसे 10 करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा।
मोहन भागवत उस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख हैं, जो देश में सरकार चला रही बीजेपी का मातृ संगठन है। संघ के ढेर सारे संगठन हैं, उनमें हज़ारों स्वयंसेवक हैं और ऐसे में मोहन भागवत के इस बयान का कोई असर इन स्वयंसेवकों पर होना चाहिए था लेकिन होता कुछ नहीं दिख रहा है क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब संघ प्रमुख ने ऐसा बयान दिया है।
2018 में भागवत ने कहा था कि जिस दिन ये कहा जाएगा कि हिंदू राष्ट्र में मुसलमान नहीं होंगे, उस दिन हिंदुत्व नहीं रहेगा।
तब्लीग़ी जमात के नाम पर नफ़रत
लेकिन उसके बाद भी देश में कई जगहों पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ जमकर ज़हर उगला गया, मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुईं। कोरोना की पहली लहर में तब्लीग़ी जमात के नाम पर पूरी कौम को निशाने पर ले लिया गया और सब्जी बेचने वालों से लेकर फेरी लगाने वाले मुसलमानों तक को मोहल्लों-कॉलोनियों से भगाया गया।
सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बकवास लिखी गयीं और आज भी लिखी जा रही हैं और इनमें से 100 के 100 फ़ीसदी लोग वही हैं जो ख़ुद को हिंदुत्व का झंडाबरदार मानते हैं और कई लोग संघ को फ़ॉलो करने की बात करते हुए ख़ुद को गर्व से ‘संघी’ कहते हैं।
सोशल मीडिया पर कोई हिंदू युवक मुसलिमों के साथ फ़ोटो डाल दे, साथ बैठकर खा-पी ले तो कई कट्टरवादी उस हिंदू युवक के पीछे पड़ जाते हैं और इनमें से कई ख़ुद को संघ से जुड़ा हुआ बताते हैं।
कई नेता देते हैं नफ़रती बयान
बीजेपी में इस तरह के बयान देने वाले सिर्फ़ सूरज पाल अमू ही नहीं हैं, दिल्ली बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा, भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के निशाने पर भी मुसलमान ही रहते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी या नहीं, होगी तो कब होगी और कितनी कठोर होगी।
ऐसे में क्या मोहन भागवत का यह बयान सिर्फ़ मीडिया में संघ का उदारवादी चेहरा दिखाने के लिए है। क्योंकि उनके बयानों का कोई असर संघ के स्वयंसेवकों पर हो रहा हो, ऐसा बिलकुल नहीं दिखाई देता।
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