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जिम कार्बेट में मोदी : डैमेज कंट्रोल, जो हो न सका

पुलवामा हमले के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़िल्म शूटिंग क्यों करते रह गए, जिम कार्बेट में घूमते और नौका विहार क्यों करते रहे, कांग्रेस के इन सवालों पर मोदी सरकार बुरी तरह घिर गई लगती है। कांग्रेस ने आज दिन में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर यह मुद्दा उठाया था, लेकिन कई घंटों बाद यह ख़बर लिखे जाने तक बीजेपी और सरकार की तरफ़ से कांग्रेस के आरोपों का कोई खंडन नहीं आया। हालाँकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाया।

ख़बर चलते ही मचा हड़कंप 

कांग्रेस के सवालों से खलबलाई सरकार में ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिशें शुरू हुईं। बड़े रहस्यमय तरीक़े से शाम को क़रीब 5.08 मिनट पर कुछ टीवी चैनलों और वेबसाइटों पर यह ख़बर चली कि प्रधानमंत्री मोदी पुलवामा हमले की जानकारी देर से मिलने से बहुत नाराज़ हैं और उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से पूछा है कि समय से उन्हें इस घटना की ख़बर क्यों नहीं मिल पाई। इन चैनलों पर यह भी ख़बर चली कि अजीत डोवाल ने पलटकर सुरक्षा एजेंसियों से जवाब तलब किया।

narendra modi in jim corbett damage control - Satya Hindi
'न्यूज़ एक्स' पर ख़बर चली कि प्रधानमंत्री डोभाल से नाराज़ हैं, और जल्दी ही यह ख़बर हटा भी ली गयी।
narendra modi in jim corbett damage control - Satya Hindi
'न्यूज़ 18' की हिंदी वेबसाइट पर भी यह ख़बर आयी, लेकिन थोड़ी देर बाद ही इस लिंक पर दूसरी ख़बर दिखने लगी।
लेकिन जितने रहस्यमय ढंग से यह ख़बर ब्रेक हुई थी, थोड़ी देर बाद उतने ही रहस्यमय तरीक़े से सारे चैनलों से ग़ायब भी हो गई। कुछ चैनलों के वरिष्ठ पत्रकारों ने इस ख़बर को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया। लेकिन ये ट्वीट भी कुछ देर बाद अचानक ग़ायब हो गए। यानी उन्हें डिलीट कर दिया गया। 
‘सत्य हिन्दी’ को मिली जानकारी के मुताबिक़, सरकार के एक बड़े ऊँचे अधिकारी की तरफ़ से कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को यह ख़बर दी गई थी। सफ़ाई यह दी गई कि मौसम बहुत ख़राब था, इसलिए प्रधानमंत्री को समय पर सूचना नहीं दी जा सकी।
  • जैसे ही यह ख़बर चली कि प्रधानमंत्री को पुलवामा हमले की सूचना मिली ही नहीं थी, सोशल मीडिया पर लोग कूद पड़े कि अगर वाक़ई प्रधानमंत्री को इतनी गंभीर घटना की जानकारी कई घंटों तक नहीं मिली, तो यह तो देश की सुरक्षा के लिए और भी गंभीर सवाल है। कई पत्रकारों ने इस सवाल पर सरकार को घेरा। 
  • सोशल मीडिया पर यह सवाल फैलते ही बीजेपी और सरकार के स्तर पर यह चर्चा हुई कि इससे तो प्रधानमंत्री कार्यालय और सरकार और भी ग़हरी मुसीबत में फंस सकते हैं। यह कहा गया कि दूरसंचार की क्रांति के इस युग में यह तर्क किसी के गले नहीं उतरेगा कि प्रधानमंत्री को तीन घंटे तक यह सूचना नहीं दी जा सकी। 
पुलवामा हमला इतना बड़ा हमला था कि प्रधानमंत्री को फौरन इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी। ऐसे में आनन-फानन में प्रधानमंत्री को देर से सूचना मिलने की ख़बर को हटा लेने का निर्णय हुआ। 
‘सत्य हिन्दी’ को मिली जानकारी के मुताबिक़, फौरन ही सरकार और बीजेपी का तंत्र सक्रिय हुआ और टीवी चैनलों को फ़ोन किए जाने लगे। और देखते-देखते चैनलों से ख़बर हटा ली गई। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी ट्विटर हैंडल से ख़बर को डिलीट कर दिया।

बीजेपी-कांग्रेस आए आमने-सामने

कांग्रेस ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके यह आरोप लगाया कि पुलवामा हमले के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम कार्बेट में फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे। कांग्रेस का कहना था कि जब जवानों के शव गिने जा रहे थे तब प्रधानमंत्री नौका विहार कर घड़ियाल देख रहे थे। स्थानीय अख़बारों में इस तरह की ख़बरें छपी थीं। 

narendra modi in jim corbett damage control - Satya Hindi
कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद बीजेपी की तरफ़ से जवाबी हमला हुआ और कांग्रेस पर सेना का मनोबल तोड़ने और पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाया गया। लेकिन बीजेपी ने जिम कार्बेट में फ़िल्म की शूटिंग में प्रधानमंत्री की व्यस्तता को लेकर कांग्रेस के आरोप का खंडन नहीं किया। 
  • ‘सत्य हिन्दी’ को मिली जानकारी के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल फ़िल्म की शूटिंग में व्यस्त रहे, बल्कि प्रधानमंत्री ने 5 बजकर 13 मिनट पर उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक सभा को टेलीफ़ोन से संबोधित किया। दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर प्रधानमंत्री के इस भाषण का प्रसारण भी किया गया। 
narendra modi in jim corbett damage control - Satya Hindi
पुलवामा हमले के समय प्रधानमंत्री रुद्रपुर में फ़ोन पर महारैली को संबोधित कर रहे थे। रैली के प्रसारण के साथ ही हमले की ख़बर भी डीडी न्यूज़ पर चल रही थी।
हैरानी की बात यह है कि जब दूरदर्शन प्रधानमंत्री मोदी की रुद्रपुर सभा का सीधा प्रसारण कर रहा था, उसी समय उसकी स्क्रीन पर नीचे पुलवामा में हुए हमले की ख़बर भी चल रही थी।
  • ‘अमर उजाला’ के नैनीताल संस्करण के मुताबिक़, ‘शाम को छह बजकर तीस मिनट पर मोदी धनगढ़ी गेट पर पहुँचे और वहाँ पर अधिकारियों से दस मिनट तक बातचीत की। जब छह बजकर चालीस मिनट पर उनका काफ़िला धनगढ़ी गेट से बाहर निकला, तो लोगों ने मोदी जिंदाबाद के नारे लगाए। प्रधानमंत्री ने सबका अभिवादन किया। उसके बाद मोदी रामनगर के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पहुँचे और वहाँ चाय-नाश्ता किया। दस मिनट रुकने के बाद प्रधानमंत्री का काफ़िला आगे निकल गया।’
narendra modi in jim corbett damage control - Satya Hindi
  • ‘दैनिक हिंदुस्तान’ के नैनीताल संस्करण में छपी ख़बर के मुताबिक़, ‘देर शाम 8.15 पर प्रधानमंत्री मोदी का काफ़िला लामाचौड़ पहुँचा। उसके बाद क़रीब 8.24 बजे कुसुमखेड़ा पहुँचा। यहाँ से प्रधानमंत्री का काफ़िला गैस गोदाम रोड होते हुए 8.35 बजे पंचायत घर से रामपुर रोड को निकल गया।’ 
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‘अमर उजाला’ की ख़बर से यह साफ़ है कि पुलवामा हमले के बाद भी प्रधानमंत्री अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक़ चलते रहे। सवाल यह उठता है कि क्या 7.15 बजे तक यानी पुलवामा हमले के क़रीब चार घंटे बाद तक प्रधानमंत्री मोदी को पुलवामा हमले की जानकारी नहीं थी? 

क्या किसी को नहीं थी जानकारी?

अगर पल भर के लिए मान भी लें कि प्रधानमंत्री को न तो अजीत डोवाल ने, न ही सरकार के ख़ुफ़िया तंत्र के किसी बड़े अफ़सर ने पुलवामा हमले की जानकारी नहीं दी थी, तब भी ऐसा कैसे हो सकता है कि उस समय प्रधानमंत्री के इर्द-गिर्द उनके साथ चल रहे अफ़सरों, पुलिसवालों और स्थानीय लोगों में से किसी को भी पुलवामा हमले की जानकारी नहीं थी? यह बिलकुल ही असंभव लगता है क्योंकि तब तक पुलवामा हमले की ख़बर पूरे देश में न्यूज़ चैनलों, हज़ारों वेबसाइटों और सोशल मीडिया की लाखों पोस्टों के जरिये देश के हर उस आदमी तक पहुँच चुकी थी जिसके हाथ में एक स्मार्टफ़ोन रहा होगा। क्या हम मान लें कि उस समय प्रधानमंत्री के आस-पास जितने भी लोग थे, उनमें से किसी को पुलवामा हमले की ख़बर नहीं थी? क्या यह संभव है? और अगर लोगों को यह ख़बर थी तो किसी ने प्रधानमंत्री को इस बारे में नहीं बताया होगा, ऐसा कैसे संभव है। 

ये सब सवाल जब सोशल मीडिया पर उठने लगे तो बीजेपी और सरकारी तंत्र को अहसास हुआ कि प्रधानमंत्री को सूचना न होने की ख़बर फैलाकर डैमेज कंट्रोल की जो कोशिश की गई थी, वह तो और तो ज़्यादा बड़ा डैमेज कर गई। इसलिए मीडिया संस्थानों में फ़ोन आने शुरू हो गए, देर रात तक पत्रकारों के फ़ोन घनघनाते रहे कि यह ख़बर न चले। 

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क़मर वहीद नक़वी

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