अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान के इस आग्रह को ठुकरा दिया कि कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई रोक दी जाए, क्योंकि पाकिस्तानी तदर्थ जज बीमार होने की वजह से मौजूद नहीं हैं। पाकिस्तानी जज तस्सदुक हुसैन जीलानी को दिल का दौड़ा पड़ गया और वे सुनवाई के दौरान वहाँ मौजूद नहीं थे।
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवस मंसूर ख़ान ने अपने देश का पक्ष रखते हुए कहा कि कुलभूषण व्यापारी नहीं, भारत के जासूस हैं। उनकी पाकिस्तान में मौजूदगी भारत की पाकिस्तान नीति का खुलासा करती है क्योंकि भारत अपने पड़ोसी देश को बर्बाद करना चाहता है।
पाकिस्तानी वकील खवार क़ुरैशी ने तर्क दिया कि भारत यह बताए कि उसने जाली पासपोर्ट पर कुलभूषण को 17 बार यात्रा क्यों करने दिया। उन्होंने कहा कि भारत अधिकार का दुरुपयोग करता है, विश्वास का उल्लंघन करता है और ग़ैरक़ानूनी काम करता है, लिहाज़ा उसकी अर्ज़ी को खारिज कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जाधव का इक़बालिया बयान बिल्कुल सही और विश्वास करने योग्य है।
क़ुरैशी ने कहा कि जाधव जासूस हैं और जासूस को उसके देश की सरकार के प्रतिनिधि से मिलने नहीं दिया जाता है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि भारत को इस मामले में अपना प्रतिनिधि जाधव तक नहीं पहुँचने दिया गया है। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के एक अख़बार में छपे बयान के हवाले से कहा कि नई दिल्ली की नीति पाकिस्तान को नेस्त-नाबूद करना है और इसलिए ही जाधव जैसे जासूस को पाकिस्तान भेजा जाता है।
इस मामले पर चार दिनों तक सुनवाई चलनी है। दो दिनों की सुनवाई बाकी है।
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