पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के लिए काम करने वाले दो शख़्स जयपुर में पकड़े गए हैं। भारतीय सेना के ख़ुफ़िया विभाग और राजस्थान पुलिस ने सोमवार को यह कार्रवाई की। ये दोनों रक्षा विभाग के कर्मचारी हैं और सेना के रणनीतिक प्रतिष्ठानों के बारे में आईएसआई को जानकारी दे रहे थे।
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक़, राजस्थान पुलिस ने लखनऊ में स्थित सैन्य ख़ुफ़िया विभाग के द्वारा दिए गए इनपुट के आधार पर रक्षा कर्मचारी विकास कुमार (29) और चिमन लाल (22) को दबोच लिया। विकास कुमार सेना के गोला-बारूद डिपो और चिमन लाल सेना की आर्मी की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (एमएफ़एफ़आर) में तैनात था। चिमन रक्षा विभाग में संविदा कर्मचारी है। चिमन लाल हर दिन एमएफ़एफ़आर में रखे वाटर डिस्ट्रिब्यूशन रजिस्टर की फ़ोटो और कई और सूचनाएं विकास को भेजता था।
अनुष्का नाम के फर्जी अकाउंट से फंसाया
कार्रवाई से पहले सैन्य ख़ुफ़िया विभाग ने यह सुनिश्चित कर लिया था कि विकास कुमार भारतीय सेना के लड़ाई का आदेश, सैन्य सूचना से संबंधित चीजें पाकिस्तान के पास भेज रहा था। विकास गोला-बारूदों की फोटो, मात्रा, किस तरह के हैं, यूनिट्स कब प्रैक्टिस के लिए आती-जाती हैं, सेना के सीनियर अफ़सर पैसे के बदले क्या कर सकते हैं और दूसरी सूचनाएं भेजता था।
आईएएनएस के मुताबिक़, जांच में यह भी पता चला है कि विकास को तीन बैंक अकाउंट में पैसे मिल रहे थे। इनमें से एक उसके भाई का था। लखनऊ के सैन्य ख़ुफ़िया विभाग की ओर से जनवरी, 2020 में यह सूचना उत्तर प्रदेश एंटी टैरर स्कवॉड के साथ शेयर की गई थी।
इसके बाद विकास की निगरानी की गई और एजेंसियों ने उस पर नजर बनाए रखी। इस दौरान पता चला कि विकास को चिमन लाल से भी कई सूचनाएं मिल रही थीं। बीच में लॉकडाउन की वजह से ख़ुफ़िया विभाग का यह ऑपरेशन रुका रहा। पिछले महीने इसे राजस्थान पुलिस के साथ साझा किया गया। इसके बाद इस बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा की गई।
विकास कुमार के पिता भी सेना में रहे हैं। विकास राजस्थान के झूंझनू जिले के बहादुरवास गांव का और चिमन बीकानेर जिले के अजितमाना गांव का रहने वाला है।
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक़, पूछताछ के दौरान कुमार ने स्वीकार किया कि पीआईओ के फ़ेसबुक प्रोफाइल की ओर से पिछले साल मार्च-अप्रैल में उसे फ़्रेंड रिक्वेस्ट आई थी। इसके बाद दोनों वॉट्स ऐप पर बात करने लगे और ऑडियो और वीडियो कॉल भी कीं।
यह पीआईओ एक भारतीय वॉट्सऐप नंबर यूज कर रही थी और उसने कहा था कि वह मुंबई के कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट के मुख्यालय में काम करती है। सूत्रों के मुताबिक़, उसके कहने पर विकास कई वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल हो गया।
अनुष्का ने अपने बॉस से मिलवाया
आईएएनएस के मुताबिक़, इसके बाद उसने विकास को अपने बॉस अमित कुमार सिंह से मिलवाया। अनुष्का की तरह यह भी एक फर्जी नाम वाला शख़्स था और पाकिस्तान में बैठा था। यह शख़्स भी भारतीय वॉट्स ऐप नंबर यूज कर रहा था और उसने कहा कि वह मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस (एमईएस) में काम करता है।
विकास और इस शख़्स के बीच में बातचीत होने के बाद अनुष्का चोपड़ा ने अपना अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया। विकास ने इस शख़्स को सेना से जुड़ी सूचनाएं देने पर पैसे देने का वादा किया।
विकास ने स्वीकार किया कि उसे इस शख़्स से 75 हज़ार रुपये मिले थे, जिसमें से उसने 9 हज़ार रुपये चिमन लाल को दिये थे। दोनों को जल्द ही स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा। दोनों को दबोचने के इस ऑपरेशन को ‘डेजर्ट चेज’ नाम दिया गया था।
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