loader
fb/madisharma

किसने प्रायोजित किया यूरोपीय सांसदों का कश्मीर दौरा? 

यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों को जम्मू-कश्मीर जाने के लिए निमंत्रित करने और यात्रा आयोजित करने वाला संगठन वूमन्स इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (डब्ल्यूईएसटीटी) यानी वेस्ट विवादों में हैं। बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स स्थित इस ग़ैर-सरकारी संगठन ने यूरोपीय संसद के सदस्यों को चिट्ठी लिख कर न्योता दिया और उन्हें बताया कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलवाया जाएगा और उन्हें जम्मू-कश्मीर जाकर वहाँ की स्थिति ख़ुद देखने का मौका मिलेगा। 
सम्बंधित खबरें
वेस्ट ने 7 अक्टूबर को यूरोपीय सांसदों को ख़त लिख कर कहा कि वह 'भारत के प्रधानमंत्री हिज एक्सलेंसी (महामहिम) नरेंद्र मोदी' से एक 'वीआईपी मीटिंग' आयोजित कर रहा है। 
दिलचस्प बात यह है कि इस चिट्ठी में यह बिल्कुल साफ़ कर दिया गया है कि इस यात्रा में 'आप अपनी निजी हैसियत से हमारे वीआईपी गेस्ट बन कर जाएंगे और यूरोपीय संसद के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के तौर पर नहीं जाएंगे।'

इस चिट्ठी में यह कहा गया है कि वेस्ट यूरोपीय संसद, कई सरकारों और ग़ैरसरकारी संगठनों के साथ मिल कर काम करता है। वह ख़ास कर दक्षिण एशिया में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करता है। 

चिट्ठी पर मादी शर्मा का हस्ताक्षर है। 

कौन है मादी शर्मा

वेस्ट की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, मादी शर्मा वेस्ट की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। यह भी कहा गया है कि 'वह मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी मादी समूह चलाती हैं। वह सोशल कैपिटलिस्ट हैं और नए विचारों का प्रयोग कर आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण हितैषी समाज का गठन करना चाहती हैं।' 

Questions raised over NGO that organised EU MPs Kashmir visit - Satya Hindi
वेस्ट ने यह चिट्ठी लिख कर क्रिस डेविस और दूसरे यूरोपीय सांसदों को न्योता था और पूरी जानकारी दी थी।

यह भी बेहद दिलचस्प बात है कि जिस दौरे को लेकर इतना  प्रचार हुआ, प्रधानमंत्री ने खुद इन सांसदों से मुलाक़ात की, उन्हें आधिकारिक तौर पर भारत सरकार ने भोज दिया, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उनसे मुलाक़ात कर कश्मीर के बारे में बताया, उस यात्रा की वेस्ट की वेबसाइट पर कोई चर्चा तक नहीं है।

मादी शर्मा ने अपने आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर भी इस दौरे का कोई जिक्र नहीं किया है।  

इस चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि इन सांसदों की यात्रा और ठहरने का इंतजाम इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन अलाइन्ड स्टडीज़ कर रहा है। 

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन अलाइन्ड स्टडीज़ का कार्यालय दिल्ली के सफ़दरजंग इनक्लेव में है। इस संस्था से संपर्क करने की कोशिशें नाकाम रहीं। 

Questions raised over NGO that organised EU MPs Kashmir visit - Satya Hindi
आईआईएनएस की वेबसाइट पर कश्मीर दौरे की कोई चर्चा नहीं है। iins.org
यह भी बेहद दिलचस्प है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यह स्पष्ट कर दिया कि इस यात्रा से वह नहीं जुड़ा हुआ है। इसी तरह यूरोपीय संघ और यूरोपीय संसद की आधिकारिक वेबसाइट पर भी कश्मीर यात्रा को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। 
दिल्ली स्थित डेलीगेशन ऑफ़ द यूरोपियन यूनियन इन इंडिया एंड भूटान को भी इस दौरे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं है। सोमवार को इसने भी कहा था कि कश्मीर दौरे से उसे कोई मतलब नहीं है। 

वेस्ट ने ब्रिटेन से यूरोपीय संसद के लिए चुने गए सदस्य क्रिस डेविस को भी न्योता दिया था। उन्होंने कहा है कि पहले उन्हें भी कश्मीर जाने का न्योता मिला था, वह राजी भी हो गए थे, पर जब उन्होंने कहा कि वह वहाँ सेना या पुलिस के किसी आदमी को साथ लिए बग़ैर जाएँगे तो न्योता वापस ले लिया गया।

डेविस ने इसकी पुष्टि कर दी है। डेविस को वेस्ट ने ही न्योता दिया था। उनसे कहा गया था कि वह 28 अक्टूबर को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल सकते हैं, कश्मीर जाकर वहाँ के हालत का जायजा ले सकते हैं और 30 अक्टूबर को वहाँ प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं। 

इसी तरह इरीना वॉन वेज़ को भी पहले न्योता गया, बाद में निमंत्रण वापस ले लिया गया। वह यूरोपीय संसद के लिए लंदन से चुनी गई हैं। 
Questions raised over NGO that organised EU MPs Kashmir visit - Satya Hindi
इरीना वॉन वेज़, सदस्य, यूरोपीय संसदfb/irinavonweisse

ब्रिटेन की पार्टी ने जताया विरोध!

अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिन्दू' ने ख़बर दी है कि मादी शर्मा ने क्रिस डेविस के इस आग्रह को ठुकरा दिया कि 'वह अपनी मर्ज़ी से जहाँ चाहें कश्मीर में घूमें।' शर्मा ने कहा कि 'थोड़ी सी सुरक्षा से आपको कोई दिक्क़त नहीं होगी।' जब डेविस नहीं माने तो शर्मा ने यह कह कर न्योता रद्द कर दिया कि 'इस स्थिति में हम आपकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते।'  

इसके बाद ब्रिटेन की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने एक बयान जारी कर इस पर गुस्सा जताया। 

गहराता रहस्य

'वेस्ट' को लेकर रहस्य गहराता जा रहा है। उस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि 14 देशों में इसकी शाखाएँ हैं। पर इसका बजट इतना छोटा है कि इस दावे पर ही सवाल उठते हैं। 'इंडिया टुडे' ने ख़बर दी है कि 'वेस्ट' को पिछले साल कुल मिल कर 24 हज़ार पौंड की आय हुई, यह लगभग 19 लाख रुपये होता है। सवाल यह है कि इस 24 हज़ार पौंड में वह 14 देशों में तो साधारण दफ़्तर भी नहीं चला सकता, इतने में तो किसी छोटे-मोटे दफ़्तर का भाड़ा तक नहीं निकलेगा। 
इसी तरह वेस्ट का दावा है कि यह बेल्ज़यम, फ्रांस, पोलैंड, ब्रिटेन के अलावा अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, भारत, बांग्लादेश, नेपाल और तुर्की में सक्रिय है। पर इसके वेबसाइट पर जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक वेस्ट से सिर्फ 5 महिलाएँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सिर्फ़ एक पूरे समय के लिए काम करती है। 
सवाल यह भी उठता है कि एकदम अनाम, अनजान ग़ैरसरकारी संगठन के कहने पर भारत के प्रधानमंत्री अपने व्यस्त दिनचर्या से कैसे समय निकाल पाए, कैसे राजकीय भोज दे दिया और कैसे देश के सुरक्षा सलाहकार इस अनाधिकारिक टीम से मिलने चले गए। वेस्ट से जुड़ा रहस्य गहराता ही जा रहा है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रमोद मल्लिक

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें