loader

राफ़ेल विमान सौदे पर फिर हंगामा क्यों? जानिए, कब क्या हुआ

देश में एक समय राजनीतिक तूफ़ान ला देने वाले राफ़ेल लड़ाकू विमान सौदे पर फिर से विवाद हो गया है। फ़्रांस के एक ऑनलाइन पोर्टल मीडियापार्ट ने एक सनसनीखेज़ रिपोर्ट जारी की है। इसने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि राफ़ेल लड़ाकू विमान को बनाने वाली कंपनी यानी दसॉ एविएशन ने 2007 से 2012 के बीच एक बिचौलिया कंपनी को 7.5 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके दस्तावेज़ होने के बाद भी सीबीआई व ईडी ने जाँच नहीं की। इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। जानिए, आख़िर यह विवाद क्या है और इसमें कब क्या हुआ-

2007 : यूपीए सरकार ने भारतीय वायु सेना की माँग पर 126 लड़ाकू हवाई जहाज़ खरीदने से जुड़ी निविदाएं जारी कीं। 

ताज़ा ख़बरें
जनवरी, 2012 : फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एवियेशन ने सबसे कम कीमत की निविदा डाली। जिन 126 लड़ाकू जहाजों की आपूर्ति की बात कही गई थी, तय हुआ था कि उनमें से 18 जहाज़ तैयार कर फ़्लाई अवे स्थिति में फ्रांस से उड़ा कर भारत लाया जाएगा। दसॉ शेष 108 लड़ाकू जहाज़ भारत में सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एअरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिल कर बनाएगी। 

2014 : दसॉ और एचएएल ने एक समझौते पर दस्तख़त किए। बातचीत पूरी हो गई, पर अंतिम क़रार नहीं हुआ था। 

जून 2015 : रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 126 लड़ाकू विमान खरीदने की निविदा वापस ले ली। 

अप्रैल 2015 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस के दौरे पर गए और वहीं 36 राफ़ेल विमान खरीदने का एलान कर दिया। 

जनवरी 2016 : तत्कालीन फ़्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस पर भारत आए, राफ़ेल विमान खरीदने के मुद्दे पर भारत और फ्रांस के बीच सहमति पत्र पर दस्तख़त हुए। 

देश से और ख़बरें
नवंबर 2018 : राफ़ेल विमान खरीद के मुद्दे पर लंबी सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई में बने खंडपीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रखा। 

14 दिसंबर, 2018 : राफेल लड़ाकू विमान खरीद मामले में कोर्ट की देखरेख में जाँच कराने की माँग की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि लड़ाकू जहाज़ की कीमत तय करना उसका काम नहीं है। 

मई, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और मशहूर वकील प्रशांत भूषण की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी कर फ़ैसला सुरक्षित रखा। 

ख़ास ख़बरें

अक्टूबर, 2019 : भारत को पहला राफ़ेल विमान मिला। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस में एक कार्यक्रम में इसे स्वीकार किया। 

नवंबर, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने तमाम पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें