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साध्वी प्रज्ञा के स्तन कैंसर होने के दावे में कितनी सच्चाई है?

साध्वी प्रज्ञा सिंह की जाँच करने वाले जेजे अस्पताल के डॉक्टर टी. पी. लहाणे का कहना है कि प्रज्ञा को कैंसर नहीं था जबकि राम मनोहर इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइन्सेज के डॉक्टर एस. एस. राजपूत का दावा है कि प्रज्ञा को कैंसर था और तीन बार उनका ऑपरेशन किया गया था। सच्चाई क्या है? पढ़ें सत्य हिन्दी की पड़ताल। 
क़मर वहीद नक़वी
भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के स्तन कैंसर के दावे पर विवाद खड़ा हो गया है। उनके कैंसर होने के दावे पर परस्पर विरोधी बातें सामने आ रही हैं। मुंबई के जेजे अस्पताल के डीन डॉक्टर टी. पी. लहाणे का कहना है कि प्रज्ञा को कैंसर नहीं था क्योंकि उन्होंने जो जाँच किए थे, उसमे कैंसर का कोई लक्षण नहीं पाया गया था। दूसरी ओर लखनऊ स्थित राम मनोहर इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइन्सेज के डॉक्टर एस. एस. राजपूत का दावा है कि प्रज्ञा को कैंसर था और तीन बार उनका ऑपरेशन किया गया था।
यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि मालेगाँव धमाका मामले की अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा जेल में बंद थी, उन्होंने कैंसर होने की बात कही थी, उस आधार पर ज़मानत माँगी थी और उन्हें ज़मानत मिली भी उसी आधार पर थी। कुछ दिन पहले उन्होंने दावा किया कि उनका कैंसर गोमूत्र और पंचगव्य के मिश्रण पीने से ठीक हो गया था। 
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'प्रज्ञा को नहीं था कैंसर'

‘मुंबई मिरर’ अख़बार की एक ख़बर के मुताबिक़, जिस जेजे अस्पताल में साध्वी के कैंसर की जाँच की गई थी, उसके डीन डॉक्टर टी. पी. लहाणे ने साफ़ कहा कि प्रज्ञा सिंह में कैंसर का कोई लक्षण नहीं पाया गया था।

साध्वी प्रज्ञा पर किए गए सीए 125 ब्रेस्ट मार्कर टेस्ट का नतीजा ऋणात्मक था। उनके एमआरआई स्कैन और ईसीजी की रिपोर्ट बिल्कुल सामान्य थी।


डॉक्टर टी. पी. लहाणे, डीन, जेजे अस्पताल

इस मामले में दिलचस्प मोड़ तब आ गया जब राम मनोहर इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइन्सेज के कार्डियोथोरैसिक वस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टर एस. एस. राजपूत ने कहा कि 2011 में कैंसर का पता लगने के बाद साध्वी ने ऑपरेशन करवाया था। उन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा, 'मैंने कैंसर को फैलने से रोकने के लिए 2008, 2011 और 2017 में उनके ऑपरेशन किए थे।' 

जेल अधिकारी 2008 में प्रज्ञा को जेजे अस्पताल ले कर आए थे, जहाँ के पैनल पर मैं था। उनके दाहिए स्तन के ऊपरी हिस्से में एक गाँठ पाई गई, ऑपरेशन कर उसे निकाला गया। बाद में उसकी जाँच की गई तो पाया गया कि यह कैंसर से जुड़ा मामला था।


डॉक्टर एस. एस. राजपूत, राम मनोहर इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइन्सेज

इसके बाद 2011 में प्रज्ञा का स्तन सूज गया और उसमें दर्द होने लगा। डॉक्टर राजपूत कहते हैं, 'वह 2011 में फिर मेरे पास आईं। मैंने उनके दाहिए स्तन का दो-तिहाई हिस्सा काट कर निकाल दिया। उस हिस्से की जाँच की गई तो कैंसर की पुष्टि हो गई।' इसके बाद 2017 में भी वह उनके पास गईं और एक बार फिर ऑपरेशन हुआ। इस साल जनवरी में प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक बार फिर डॉक्टर राजपूत से मिली और जाँच करवाया। डॉक्टर राजपूत कहते हैं कि इस जाँच में कैंसर का कोई लक्षण नहीं पाया गया। इससे लगा कि उनका कैंसर ठीक हो गया। 
प्रज्ञा ठाकुर ने कुछ दिन पहले यह कह कर सबको चौंका दिया था कि उनका ब्रेस्ट कैंसर गोमूत्र और पंचगव्य का मिश्रण पीने से ठीक हुआ।

कैंसर की वजह से ही मिली थी ज़मानत

याद दिला दें कि अदालत में ज़मानत याचिका दायर करते समय साध्वी प्रज्ञा के वकील ने कहा था कि उनकी मुवक्किल स्तन कैंसर से पीड़ित हैं, वह इतनी बीमार हैं कि बग़ैर दूसरे का सहारा लिए चल भी नहीं सकतीं, लिहाज़ा उन्हें ज़मानत दे दी जाए। उस समय प्रज्ञा सिंह ठाकुर जेल में थीं और सरकारी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बंबई हाई कोर्ट की जज शालिनी फन्सलकर जोशी और रंजीत मोरे ने इसे स्वीकार कर लिया था। उन्होंने ज़मानत याचिका में कहा था,

ज़मानत याचिका के साथ दिए गए मेडिकल सर्टिफ़िकेट से यह साफ़ है कि याचिकाकर्ता को स्तन कैंसर है। मेडिकल सर्टिफ़िकेट से यह भी लगता है कि याचिकाकर्ता बग़ैर दूसरों के सहारे चल भी नहीं सकतीं। यह भी साफ़ है कि उनका आयुर्वेदिक उपचार चल रहा है। हमारी राय में आयुर्वेदिक उपचार से स्तन कैंसर का इलाज नहीं हो सकता।


शालिनी फन्सलकर जोशी और रंजीत मोरे, जज, बंबई हाई कोर्ट

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या प्रज्ञा का कैंसर इलाज से ठीक हुआ, जिसके लिए उन्होंने ज़मानत ली थी? लेकिन वह तो दावा करती हैं कि उनका कैंसर गोमूत्र पीने से ठीक हुआ। आख़िर उनके इस दावे में कितनी सच्चाई है?

'गोमूत्र से कैंसर का इलाज नहीं'

टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉक्टर राजेंद्र बडवे ने ‘मुंबई मिरर’ से बात करते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया है। कैंसर विषेशज्ञ डॉक्टर बडवे का मानना है कि गोमूत्र से कैंसर ठीक होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है।
डॉक्टर बडवे ने ज़ोर देकर कहा, ‘किसी तरह का कोई अध्ययन इस तरह के दावों की पुष्टि नहीं करता है। स्तन कैंसर के इलाज के लिए पूरी दुनिया में सिर्फ़ रेडियोथेरैपी, केमोथेरैपी और इम्यूनोथेरैपी को ही स्वीकार किया गया है।’
टाटा मेमोरियल सेंटर के उप निदेशक और कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज चतुर्वेदी ने भी 'मुंबई मिरर' से कहा, ‘इस तरह के बयान कैंसर के मरीजों को गुमराह करेंगे जो वैसे भी काफ़ी देरी से इलाज के लिए अस्पताल जाते हैं।’

डॉक्टर राजपूत गोमूत्र से कैंसर के इलाज के दावे से सहमत नहीं है। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'मैंने प्रज्ञा से कहा कि यह उनकी आस्था हो सकती है, पर मैं इसके नतीजे पर कुछ नहीं कह सकता।' प्रज्ञा सिंह का मामला दिलचस्प इसलिए भी है कि उन पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है और मकोका के तहत उन पर कार्रवाई की गई है। क्या था मामला?

एनआईए को फटकार

उत्तरी महाराष्ट्र स्थित मालेगाँव के मुसलिम बहुल इलाके में स्कूटर में बँधे बम के फटने से छह लोग मारे गए थे और 101 ज़ख़्मी हो गए थे। इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर अभियुक्त हैं। उस बम धमाके में मारे गए एक व्यक्ति के पिता निसार सैयद ने प्रज्ञा की ज़मानत के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है। राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी ने इस पर अदालत से कहा कि उसके पास प्रज्ञा के ख़िलाफ़ सबूत नहीं है।
विशेष जज वी. एस. पडलका ने एनआईए को फटकार लगाते हुए कहा कि इस समय तो यह कहा ही नहीं जा सकता है कि अभियुक्त के ख़िलाफ़ प्रथम दृष्ट्या आरोप नहीं हैं। अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर को बरी करने की एनआईए की अर्ज़ी खारिज कर दी है।
अदालत ने यह भी कहा कि वह यह नहीं कह सकती है कि साध्वी को चुनाव लड़ने से रोका जाए क्योंकि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, इस पर विचार करना चुनाव आयोग का काम है।
प्रज्ञा ठाकुर ने गोमूत्र सेवन से कैंसर ठीक होने का दावा भले ही होशियारी में किया हो, पर यह तो कहा ही जा सकता है कि इस मामले की जाँच हो। ऐसा होने पर उनकी ज़मानत खारिज भी हो सकती है।

बीजेपी का दाँव उल्टा पड़ा?

साध्वी प्रज्ञा चर्चा में इसलिए भी हैं कि उन्हें बीजेपी ने हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में भुनाने और कांग्रेस को कथित हिन्दू आतंकवाद के मुद्दे पर घेरने के लिए चुनाव में उतारने का फ़ैसला किया। लेकिन साध्वी ने 26/11 मुंबई हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों का सामना करते हुए मुंबई पुलिस के एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर विवादास्पद बयान दे दिया था। उन्होंने करकरे के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, बताया कि उनके श्राप की वजह से वह मारे गए थे और उन्हें देशद्रोही तक कह दिया। पूरे देश में इस पर इतनी ज़बरदस्त प्रतिक्रिया हुई कि बीजेपी बुरी तरह फंस गई। कांग्रेस को घेरने की मंशा से उतारी गई प्रज्ञा सिंह ठाकुर की वजह से उसे ही हर जगह जवाब देने पड़े, वही घिर गई। 
ऐसे में यदि साध्वी प्रज्ञा की ज़मानत रद्द कर दी जाती है तो भारतीय जनता पार्टी की मुसीबत और बढ़ जाएगी। उसे इस पर सफ़ाई देनी पड़ेगी कि उसका उम्मीदवार आतंकवाद के आरोप में जेल में है। बीजेपी उसे हिन्दुत्व के आइकॉन के रूप में भी पेश नहीं कर पाएगी। उसे चुनाव में इसका ख़ामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रज्ञा सिंह की ज़मानत रद्द होती है या नहीं। 
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