loader

किसान आंदोलन: चुनाव में हार के डर से सरकार ने किया सरेंडर!

दिल्ली के बॉर्डर्स पर बीते साल जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तो किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह अपने फ़ैसलों पर अडिग रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी झुका देगा। 

पंजाब से शुरू हुई किसान आंदोलन की चिंगारी तब शोला बनती दिखाई दी जब राज्य के हजारों लोग दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आकर डट गए। उन्हें अपने साथी राज्य हरियाणा के किसानों का भी भरपूर साथ मिला और कुछ ही दिन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड और राजस्थान तक किसान आंदोलन खड़ा हो गया। 

बीजेपी को राजनीतिक झटके 

अब बारी बीजेपी को राजनीतिक झटके देने की थी। पहले पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने साथ छोड़ा तो उसके बाद राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने। फिर भी सरकार अपने फ़ैसले पर अडिग रही और उसने ये दिखाने की कोशिश की कि वह कृषि क़ानूनों के मसले पर पीछे नहीं हटेगी। 

ताज़ा ख़बरें
लेकिन धीरे-धीरे यह आंदोलन जोर पकड़ गया। तमाम जनवादी संगठन, किसान-मजदूर संगठन, विपक्षी दल किसानों के समर्थन में और कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आए।
किसानों ने भारत बंद से लेकर रेल रोको जैसे कई आयोजन किए तो आंदोलन में आने वाला कोई भी शख़्स भूखा-प्यासा न रहे, कम के कम सिंघु, ग़ाज़ीपुर और टिकरी बॉर्डर पर इसका पूरा ध्यान रखा।

बीजेपी नेताओं का विरोध 

अप्रैल-मई के महीने में बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों ने एलान किया कि वे बीजेपी को हराने के लिए काम करेंगे। बंगाल चुनाव में बीजेपी को बड़ी शिकस्त मिली। साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेताओं का जोरदार विरोध शुरू हो गया। 

Samyukta Kisan Morcha led farmers protest called off  - Satya Hindi

हालात ये बन गए कि बीजेपी के नेताओं के लिए छोटी-मोटी जनसभाएं तक करना मुश्किल हो गया। इन राज्यों के कई गांवों में बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के नेताओं के आने पर पाबंदी के पोस्टर लगा दिए गए। 

अब बीजेपी और केंद्र सरकार को समझ आने लगा था कि किसानों से लड़ पाना उनके लिए आसान नहीं है। आंदोलन बहुत मजबूत हो चुका था और किसान कहते थे कि वे 5 साल तक बॉर्डर्स पर ही बैठे रहेंगे।

सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन के समर्थकों ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को बैकफ़ुट पर धकेल दिया था।

बीजेपी और मोदी सरकार को संघ परिवार, तमाम एजेंसियों से यह फीडबैक मिल चुका था कि किसान आंदोलन से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के चुनाव में बड़ा नुक़सान हो सकता है और पंजाब में बची-खुची सियासी जमीन भी ख़त्म हो सकती है। किसानों और विपक्ष के बढ़ते दबाव और चुनावी हार के डर से 19 नवंबर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क़ानूनों की वापसी का एलान कर दिया। 

देश से और ख़बरें

अब किसानों को भी समझ आ गया था कि सरकार दबाव में आ गयी है। इसलिए उन्होंने छह मांगें और सरकार के सामने रख दीं। सरकार ने थोड़ी ना-नुकुर के बाद इनमें से अधिकतर मांगों को मान लिया और किसानों ने भी आंदोलन स्थगित करने का एलान कर दिया। 

सरकार को दिखाई ज़मीन 

किसानों ने कहा है कि अगर सरकार अपने वादों से इधर-उधर हुई तो वे फिर से उसकी नकेल कस देंगे। निश्चित रूप से इस आंदोलन ने सातवें आसमान पर उड़ रही बीजेपी और मोदी सरकार को ज़मीन दिखा दी और यह भी समझाने की कोशिश की है कि लोकतंत्र में ताक़त अवाम के पास है न कि हुक़ूमतों के पास। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
पवन उप्रेती

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें