loader

सत्यपाल मलिक के बयान पर राम माधव बोले- सारे समझौतों की जांच हो

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कुछ दिन पहले एक बयान देकर सियासत में खलबली मचा दी थी। मलिक ने कहा था कि जब वे कश्मीर के उप राज्यपाल बने, तब उनके पास दो फ़ाइलें आयी थीं। 

मलिक के मुताबिक़, एक फ़ाइल में अंबानी शामिल थे जबकि दूसरी फ़ाइल में आरएसएस के एक बड़े अफ़सर। राज्यपाल ने कहा था कि जिन विभागों की ये फ़ाइलें थीं, उनके सचिवों ने उन्हें बताया था कि इन फ़ाइलों में घपला है और सचिवों ने उन्हें यह भी बताया कि इन दोनों फ़ाइलों में उन्हें 150-150 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। 

मलिक ने कहा कि उन्होंने इन दोनों फ़ाइलों से जुड़ी डील को रद्द कर दिया था। मलिक के इस बयान पर कि ‘दूसरी फ़ाइल में आरएसएस के एक बड़े अफ़सर’ शामिल थे, इसे लेकर खासी चर्चा बीते दिनों में पत्रकारिता से लेकर सियासी गलियारों में हो चुकी है। 

ताज़ा ख़बरें

चर्चा इसी बात को लेकर हुई कि आख़िर वह आरएसएस के बड़े अफ़सर कौन थे। आरएसएस और बीजेपी पर नज़र रखने वाले लोगों ने इन संगठनों के तमाम पदाधिकारियों के नाम सामने रखे। लेकिन इसी बीच, बयान आया है बीजेपी के बड़े नेता राम माधव का। 

राम माधव ने रविवार को कहा है कि सत्यपाल मलिक जब तक जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल रहे, तब तक हुए सभी समझौतों की फ़ाइल्स की जांच होनी चाहिए। 

माधव ने पत्रकारों से कहा, “सत्यपाल मलिक ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा है कि जम्मू-कश्मीर में एक फ़ाइल में मेरा नाम था और इस बारे में पैसे देने का भी जिक्र था। इस तरह के आरोप झूठे हैं। मेरा नाम या मेरे कहने पर किसी तरह की फ़ाइल का सवाल ही नहीं उठता।” 

राम माधव ने कहा, “मलिक ने आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति का बार-बार जिक्र किया है, मैं दिल्ली लौटने के बाद इस बारे में क़ानूनी राय लूंगा लेकिन मैं यह भी चाहता हूं कि मलिक के उप राज्यपाल रहने के दौरान हुए सभी समझौतों की जांच हो।”

संघ में अहम पदों पर रह चुके राम माधव ने कहा, “मलिक ने कहा है कि उन्होंने दो समझौतों को रद्द कर दिया था, इन्हें क्यों रद्द किया गया। इस बात की जांच होनी चाहिए कि सरकार अगर कुछ समझौते कर चुकी है तो इन्हें रद्द क्यों किया गया।” माधव ने उन अफ़सरों के ख़िलाफ़ भी जांच की मांग की जिन्होंने मलिक को रिश्वत ऑफ़र की थी। 

Satya Pal Malik on Ram madhav  - Satya Hindi

अहम पदों पर रहे राम माधव 

यहां बताना होगा कि राम माधव बीजेपी और संघ में अहम पदों पर रह चुके हैं। लेकिन बीते कुछ वक़्त से बीजेपी संगठन में उनकी उपेक्षा की ख़बर काफी चर्चा में रही थी। पिछले साल सितंबर में जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी नई टीम का एलान किया था तो इसमें सबसे बड़ा नाम जिसे नड्डा की टीम में जगह नहीं मिली थी, वह राम माधव का ही था। राम माधव संघ से ही बीजेपी में आए थे और राष्ट्रीय महासचिव बने थे। उन्हें ताक़तवर महासचिव माना जाता था। 

राम माधव के पास पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से लेकर जम्मू-कश्मीर तक का संगठन का काम था। जम्मू-कश्मीर में तो पीडीपी-बीजेपी की सरकार बनाने का श्रेय ही राम माधव को ही दिया जाता रहा था।

राम माधव ने बीते साल महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौक़े पर एक लिखा था। इसमें उन्होंने गांधी की तारीफ में पुल बांधने के साथ ही मोदी सरकार को आईना दिखाने का काम किया था। राम माधव ने लिखा था, “गांधी अपने आलोचकों का सम्मान करते थे जबकि तानाशाह विरोध को बर्दाश्त नहीं करते।”

माधव ने अपने इस लेख में यह भी लिखा था कि तानाशाह अपने ‘ककून’ में रहते हैं, जी हुज़ूरों और ‘हेंचमैन्स’ से घिरे रहते हैं। हिटलर से लेकर स्टालिन तक यही कहानी दोहराई गयी।” 

देश से और ख़बरें

माधव के द्वारा हिटलर और स्टालिन का जिक्र करने से तमाम पत्रकारों, राजनेताओं की भौहें चढ़ गयी थीं और यह चर्चा आम थी कि बीजेपी की सत्ता और संगठन से अब राम माधव के संबंध पहले जैसे नहीं रह गए हैं। इसके अलावा माधव का यह कहना भी तानाशाह विरोध को बर्दाश्त नहीं करते, इसे लेकर भी तब जोरदार चर्चा हुई थी कि आख़िर उनका इशारा किस तरफ़ है। 

मलिक ने नया बयान यह दिया है कि आरएसएस के उस अफ़सर का नाम लेना सही नहीं होगा लेकिन सब जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आरएसएस का प्रभारी कौन था। 

मलिक के सीधे आरोप और राम माधव का तगड़ा पलटवार इस बात को बताता है कि आने वाले दिनों में यह बात यहीं नहीं थमेगी बल्कि और भड़केगी क्योंकि राम माधव ने क़ानूनी राय लेने की बात भी कही है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें