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फ़ाइल फ़ोटो

मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी जेल भेजा जाएगा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर से राजनेता बने मुख़्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश की जेल में भेजने का आदेश दिया है। इसके लिए पंजाब सरकार को दो हफ़्ते का समय दिया गया है। मुख्तार अंसारी का ट्रायल अब यूपी में ही चलेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज एमपी एमएलए कोर्ट तय करेगा कि मुख़्तार अंसारी को किस जेल में रखा जाए। मुख्तार अंसारी के लिए कोर्ट का यह फ़ैसला तगड़ा झटका है। वह यूपी भेजे जाने पर अपनी सुरक्षा पर ख़तरा जताते रहे हैं। अंसारी के ख़िलाफ़ 30 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।

यूपी के मऊ से पाँच बार विधायक रहे मुख़्तार अंसारी रंगदारी मांगने के एक मामले में 2019 से पंजाब के रोपड़ जिले की एक जेल में बंद हैं। उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें वापस अपने राज्य में लाना चाह रही थी जिसका पंजाब विरोध कर रहा था। इसी विवाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा था।  

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उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पंजाब का प्रशासन जिस तरह से मुख़्तार अंसारी को सुरक्षा दे रहा है, वह सही नहीं है। सरकार ने अदालत से कहा था कि उत्तर प्रदेश में अंसारी के ख़िलाफ़ कई मुक़दमे चल रहे हैं और पुलिस को उनकी ज़रूरत है। लेकिन पंजाब सरकार की ओर से कहा गया है कि अंसारी का इलाज चल रहा है और ऐसे में उन्हें नहीं भेजा जा सकता है। 

मुख़्तार को पूर्वांचल की राजनीति का बाहुबली नेता माना जाता है। अंसारी पांच बार विधायक रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उन्हें भू-माफिया भी कहा जाता है। ब्रजेश सिंह के गैंग से उनकी कट्टर दुश्मनी रही है। मुख़्तार के भाई अफ़जाल अंसारी भी राजनेता हैं। मुख़्तार के अलावा कुछ और भू-माफियाओं के ख़िलाफ़ भी योगी सरकार कार्रवाई कर रही है।
मुख़्तार अंसारी का यह मामला कितना बड़ा है यह इससे भी पता चलता है कि इनको एक राज्य से दूसरे राज्य की जेल में भेजने का विवाद दो राज्यों के बीच टकराव के रूप में आया।

विवाद आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया। पिछली सुनवाइयों में पंजाब सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों और अनुच्छेद 32 के तहत एक राज्य दूसरे राज्य पर मुक़दमा नहीं चला सकता है क्योंकि यह संघीय योजना के ख़िलाफ़ है, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया जाए। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब की दलील नहीं मानी। 

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मुख्तार अंसारी के नाम पर मुठभेड़ करने का आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस पर लगते रहे हैं। पिछले साल अगस्त-सितंबर के दौरान मऊ के रिटायर्ड फ़ौजी नायब सूबेदार बलदत्त पांडेय ने आरोप लगाया था कि मुठभेड़ के नाम पर एसटीएफ़ ने उनके निरपराध बेटे की हत्या की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उन्होंने कहा था कि उनके बेटे के विरुद्ध कोई आपराधिक मामला नहीं था, मुख़्तार अंसारी गैंग का शार्प शूटर बताकर उसे फ़र्जी मुठभेड़ में मार डाला गया। 

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बता दें कि तब ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के ज़िलों में गैंगस्टर मुख़्तार अंसारी के नाम पर मऊ सहित अन्य ज़िलों में बड़े पैमाने पर चले पुलिस के 'ऑपरेशन मुख़्तार' ने आम लोगों का जीना दूभर कर दिया। पिछले साल 8 अगस्त को मऊ के राकेश पांडेय नाम के जिस व्यक्ति को वाराणसी एसटीएफ़ ने लखनऊ में कथित मुठभेड़ में मार गिराया, वह लखनऊ के एक अस्पताल में ‘ब्रॉन्काइटिस’ के गंभीर रोग के चलते 5 दिन से भर्ती था। रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने पूर्वांचल में 'ऑपरेशन मुख्तार' के नाम पर बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियाँ भी की थीं।

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क़मर वहीद नक़वी

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