प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने प्रवासी मज़दूरों की तरफ से आँखें मूंद ली हैं, उनके मौलिक अधिकारों का पालन नहीं किया जा रहा है।
केंद्र को नोटिस
इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस देकर कहा कि वह एक सप्ताह में याचिका में कही गई बात का जवाब दे। इस याचिका में अदालत से गुहार की गई है कि वह अधिकारियों को आदेश दे कि जगह-जगह फंसे मज़दूरों को अपने घर लौटने दें।भूषण ने अपनी याचिका में कहा है कि लॉकडाउन की वजह से मज़दूरों की स्थिति बहुत खराब है। इनमें से 90 प्रतिशत लोगों को राशन या वेतन नहीं मिला है। वे अपने घर लौटने के लिए ब्याकुल हैं, पर उन्हें अपने घर लौटने नहीं दिया जा रहा है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने कहा है कि वे अपने-अपने मज़दूरों को निकाल कर ले जाएंगी।
बिहार सरकार ने इसका विरोध किया है। उसका कहना है कि यह लॉकडाउन का उल्लंघन है, आपदा प्रबंधन अधिनियम के नियमों के उलट है, यह ग़ैरक़ानूनी है।
इसके पहले गृह मंत्रालय ने 19 अप्रैल को दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा था कि मज़दूर राज्य के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं। दिशा निर्देश में राज्य सरकारों से कहा गया था कि वह इन मज़दूरों के लिए खाने पीने और परिवहन का इंतजाम करे।
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