loader

सुदर्शन न्यूज़ के कार्यक्रम ‘नौकरशाही जिहाद’ के प्रसारण को मोदी सरकार की हरी झंडी

सुदर्शन न्यूज़ के विवादास्पद कार्यक्रम ‘नौकरशाही जिहाद’ के प्रसारण को केंद्र सरकार ने गुरूवार को हरी झंडी दे दी है। सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके द्वारा 28 अगस्त से रात 8 बजे ‘नौकरशाही जिहाद’ कार्यक्रम का प्रसारण किया जाना था लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके प्रसारण पर रोक लगा दी थी। जस्टिस नवीन चावला ने रोक लगाने का आदेश जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों की ओर से अदालत में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया था। 

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुदर्शन न्यूज़ चैनल को निर्देश दिया है कि उसका कार्यक्रम स्थापित नियमों का उल्लंघन न करे। मंत्रालय ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई की जाएगी। 

ताज़ा ख़बरें

सुरेश चव्हाणके ने 26 अगस्त के आसपास ‘नौकरशाही जिहाद’ कार्यक्रम का एक टीजर वीडियो ट्विटर पर डाला था। इस वीडियो में सुरेश चव्हाणके ने सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की घुसपैठ का आरोप लगाते हुए इसे ‘नौकरशाही जिहाद’ या ‘यूपीएससी जिहाद’ का नाम दिया था। हैरानी की बात यह है कि जिस ट्वीट में उन्होंने यह वीडियो जारी किया था, उसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को भी टैग किया था। 

Sudarshan TV controversial programme Naukarshahi jihad gets nod from centre - Satya Hindi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ सुरेश चव्हाणके।
‘नौकरशाही जिहाद’ वाले सुरेश चव्हाणके के इस वीडियो को दक्षिणपंथी संगठनों ने सोशल मीडिया पर जमकर फैलाया था लेकिन समाज के पढ़े-लिखे लोगों ने उनकी इस बात को बकवास बताया था।सुरेश चव्हाणके पर पत्रकारिता की आड़ में समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के आरोप हैं। इस विषय पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो- 

सुरेश चव्हाणके के इस वीडियो पर सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर आईपीएस एसोसिएशन, आईपीएस अफ़सरों और आईएएस अधिकारियों ने आपत्ति की थी और इसे नफ़रत फैलाने वाला क़रार दिया है। दिल्ली पुलिस में इसके ख़िलाफ़ शिकायत दी गई थी और यूपीएससी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर सख़्त कार्रवाई करने की मांग भी की गई थी। 

देश से और ख़बरें

वैसे, कथित तौर पर नफ़रत फैलाने, मुसलिम विरोधी ऐसी ही ख़बरों के लिए अक्सर सुदर्शन न्यूज़ और सुरेश चव्हाणके निशाने पर रहे हैं। यूपी में कमलेश तिवारी हत्याकांड में असदुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ ख़बर का मामला हो या फिर 'यूपी पुलिस के ख़िलाफ़ मस्जिद के फरमान' के बारे मे ग़लत ख़बर देने का, ऐसी ख़बरें अक्सर ग़लत साबित हुई हैं। फ़ेक न्यूज़ को उजागर करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने 2019 में इस पर एक पूरी रिपोर्ट छापी थी। रिपोर्ट में सुदर्शन न्यूज़ की कई ख़बरों को फ़ेक बताया गया था।

ऑल्ट न्यूज़ के अनुसार, सुदर्शन न्यूज़ ने 1 जुलाई, 2019 के प्रसारण में एक वीडियो चलाया जिसमें हाथ में तलवार लिए लोग आरएसएस कार्यकर्ताओं को मारने के नारे लगाते हुए दिख रहे थे। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि पुराने वीडियो को एडिट कर आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या करने के नारों से इसे जोड़ दिया गया था। सुरेश चव्हाणके ने बुलंदशहर में हिंसा को तब्लीग़ी इज़्तेमा से जोड़ा था जिसे पुलिस ने फ़र्ज़ी ख़बर बताया था। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें