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चिदंबरम पर कोर्ट: गवाह को प्रभावित करने का रत्ती भर भी सबूत नहीं

पी. चिदंबरम को ज़मानत देने का विरोध जिस आधार पर सीबीआई अब तक करती रही थी, उसी पर अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसका कोई सबूत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री के न तो भागने की कोई संभावना है और न ही रत्ती भर इसका सबूत है कि उन्होंने किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की है। 21 अगस्त को गिरफ़्तारी के बाद पहली सुनवाई से ही सीबीआई उनकी ज़मानत का इन्हीं आधारों पर विरोध करती रही थी। हाई कोर्ट में भी उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज़ कर दी गई थी। 

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सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा, 'अपीलार्थी चिदंबरम 74 वर्ष के बताए जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि वह उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं। इन कारणों, तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, हम मानते हैं कि अपीलकर्ता ज़मानत के हकदार हैं।' लेकिन जमानत मिलने के बाद भी चिदंबरम तिहाड़ जेल में रहेंगे, क्योंकि वह 24 अक्टूबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने ईडी को 24 अक्टूबर तक चिदंबरम से पूछताछ की अनुमति दी थी। 

बता दें कि आईएनएक्स मामले में दो एजेंसियाँ सीबीआई और ईडी यानी एनफ़ोर्समेंट डायरेक्टरेट चिदंबरम की गिरफ़्तारी में जुटी रही थीं। सीबीआई ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था, लेकिन ईडी गिरफ़्तार नहीं कर पाई थी। हाल ही में ईडी ने हिरासत माँगी थी और कोर्ट ने उसे पूछताछ की अनुमति दी है। ईडी ने आईएनक्स मामले में ही मनी लांड्रिंग के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार किया है।

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कुछ ही दिन पहले इस मामले में चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति और इंद्राणी मुखर्जी सहित 14 लोगों के ख़िलाफ़ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी। पूर्व वित्त मंत्री को आईएनएक्स मीडिया केस में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ़्तार किया था और उसके बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं। 

आरोप है कि 2007 में जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब नियमों को ताक पर रखकर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलायी गयी थी। यह भी आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता पी. चिदंबरम के ज़रिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से यह मंज़ूरी दिलाई थी। हालाँकि चिदंबरम सीबीआई के इन आरोपों को ख़ारिज़ करते रहे हैं और कहते रहे हैं कि इन कंपनियों के विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंज़ूरी देने में कोई भी गड़बड़ी नहीं की गयी है।

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क़मर वहीद नक़वी

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