इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी सीजेआई एस ए बोबडे द्वारा गुरुवार को बुलाई गई कॉलेजिएम की बैठक के समय को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ही कम से कम दो जजों ने सवाल उठाए हैं। कॉलेजिएम की यह बैठक सुप्रीम कोर्ट में जज के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा के लिए बुलाई गई है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने यह ख़बर सूत्रों के हवाले से दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सवाल उठाने वाले जजों का तर्क है कि चूँकि राष्ट्रपति ने अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है तो यह पदस्थ सीजेआई के लिए ठीक नहीं होगा कि वह कोई सिफारिश करें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 6 अप्रैल को जस्टिस एनवी रमना को भारत के अगले सीजेआई यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है। वह 24 अप्रैल को पदभार ग्रहण करेंगे और अगले साल यानी 2022 में 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे। जस्टिस रमना देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा सीजेआई एसए बोबडे ने पिछले महीने उनके नाम की सिफारिश की थी। बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं।
कॉलेजिएम के फ़ैसले पर कई बार गतिरोध भी पैदा हो चुका है और यह इसलिए कि कई बार इसकी सिफ़ारिश को सरकार से हरी झंडी नहीं मिली है। और अब जब जजों ने कॉलेजियम की बैठक को लेकर सवाल उठाए हैं उससे भी विवाद होता दिख रहा है। वैसे कॉलेजियम में सीजेआई के अलावा सुप्रीम कोर्ट के ही 4 वरिष्ठतम जज भी होते हैं।
बहरहाल, अख़बार ने लिखा है कि समझा जाता है कि यह बैठक नये सीजेआई की नियुक्ति से जुड़ी अधिसूचना जारी होने से पहले से ही तय थी, लेकिन सवाल उठने के बाद भी सीजेआई बोबडे ने अपने फ़ैसले में कोई बदलाव नहीं किया।
तो क्या सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कोई नियम है जो सेवानिवृत्त होने वाले सीजेआई को ऐसी नियुक्ति से रोकता है? इस सवाल का जवाब पूर्व सीजेआई आर एम लोढा देते हैं।
पूर्व सीजेआई आर एम लोढा ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, ' इस बात की कोई परंपरा नहीं है कि निवर्तमान सीजेआई अपने कार्यकाल के अंत में सिफारिशें नहीं कर सकते हैं, लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि वह अपने सहयोगियों को विश्वास में कैसे लेते हैं।'
फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट में छह जजों की नियुक्ति की जानी है। बाद में इसी साल सीजेआई बोबडे के अलावा जस्टिस अशोक भूषण, नरीमण और नवीन सिन्हा सेवानिवृत्त होंगे।
एक साल से ज़्यादा के अपने कार्यकाल के दौरान सीजेआई बोबडे ने अभी तक एक भी नियुक्ति नहीं की है। लेकिन इसी बीच सीजेआई बोबडे ने कॉलेजिएम की बैठक तब बुलाई है जब त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश पर गतिरोध बना हुआ है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार कुछ सदस्य जस्टिस कुरैशी का नाम लेते हैं। लेकिन जैसा कि पहले हो चुका है सरकार कॉलेजियम की सिफ़ारिश पर आपत्ति कर सकती है। 2019 में भी उन्हें तब त्रिपुरा का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था जब मध्य प्रदेश का मुख्य न्यायाधीश बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार ने आपत्ति की थी और फिर उन्हें त्रिपुरा भेजा गया था।
समझा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर गतिरोध के कारण ही कई योग्य जजों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है।
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