प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही कुंभ को प्रतीकात्मक तौर पर मनाने का आह्वान कर कुंभ के समापन को लेकर जो भी संकेत दिया हो, लेकिन बीजेपी की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने दो टूक कहा कि कुंभ की समाप्ति की घोषणा नहीं हो सकती। हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर कहा कि कुछ विशिष्ट घाटों पर भीड़ को रोकने के लिए स्नान पर पाबंदी लगाई जा सकती है। उनका यह बयान तब आया है जब कई साधु-संत कुंभ को जारी रखने के पक्ष में हैं। वह भी तब जब कई संतों के संक्रमण व एक संत की मौत के बाद दो अखाड़ों ने कुंभ के समापन की घोषणा कर दी थी।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आज ट्वीट किए जाने के बाद उमा भारती ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने ट्वीट में कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि कुंभ को समाप्त किया जा रहा है।
5) यह भ्रम हो रहा है की कुंभ को समाप्त किया जा रहा है । इसीको स्पष्ट करना ज़रूरी है । गंगा की धारा की अमृतवेला जस की तस रहेगी । बस मेले एवं भीड़ को समेटना है ।@PMOIndia @BJP4UK
— Uma Bharti (@umasribharti) April 17, 2021
कुंभ के पक्ष में उन्होंने ट्वीट कर उसके महत्व को लोगों को बताया है। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'विश्व के धार्मिक इतिहास में कुंभ का अपना एक महत्त्व है। 4 स्थानों पर एक विशेष समय पर विशेष नदियों में स्नान दुर्लभ माना जाता है।' उन्होंने कहा कि हरिद्वार में गंगा की धारा में यह अमृतवेला शिवरात्रि से अक्षयतृतीया तक रहती है तथा सारी विश्व बिरादरी के आस्थावान लोग इस घड़ी में पुण्य प्राप्त करने के लिए आतुर रहते हैं।
उन्होंने साफ़ किया, 'यह अमृतवेला शिवरात्रि से अक्षयतृतिया तक रहेगी ही। समस्या यह है कि वर्तमान में पूरी दुनिया भीषण संकट में है। एक दूसरे से दूरी रखना ज़रूरी है जो कि विशाल भीड़ में संभव ही नहीं है।' इसी के साथ उन्होंने कहा कि कुंभ की समाप्ति की घोषणा नहीं हो सकती है।
ट्विटर थ्रेड के आख़िर के ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी को ट्वीट करते हुए लिखा है, 'मैं सभी श्रद्धालुओं से अपील करती हूँ कि यह अमृतवेला 2025 में मकरसंक्रांति से प्रयागराज में आ जायेगी तब भी सभी को यह पुण्य स्नान प्राप्त हो जाएगा।'
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा है कि उन्होंने संतों से प्रार्थना की है कि कुंभ अब प्रतीकात्मक तौर पर ही जारी रखा जाए।
उन्होंने कहा है कि उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से फोन पर बात की है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ को प्रतीकात्मक रखे जाने पर कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में ताक़त मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी की इस प्रार्थना पर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री के आह्वान का सम्मान करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि कोरोना के हालात के मद्देनज़र लोग भारी संख्या में कुंभ में स्नान करने नहीं आएँ।
इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट के बाद स्वामी अवधेशानंद ने भी ट्वीट कर इस पर बयान जारी किया।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के बीच हरिद्वार में कुंभ मेले को लेकर संतों में गतिरोध पैदा होने की ख़बरें आई थीं। यह गतिरोध कोरोना संक्रमण के कारण बना। कोरोना से एक संत की मौत हो गई है। कई संत संक्रमित हैं। हरिद्वार में बड़े पैमाने पर यह फैल रहा है। और इसीलिए दो अखाड़ों- निरंजनी और आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल से कुंभ समापन की घोषणा कर दी थी। लेकिन कुछ संतों ने कहा था कि कुंभ पहले से तय समय तक चलता रहेगा।
जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा की थी कि कुंभ अपनी तय अवधि तक चलेगा। अमर उजाला की शुक्रवार को आई रिपोर्ट में कहा गया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुंभ किसी संस्था या अखाड़ा का नहीं है। उन्होंने घोषणा की थी कि कुंभ ज्योतिष है और अपनी अवधि तक चलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना नियमों का पालन करते हुए शंकराचार्य छावनी लगी रहेगी।
उस रिपोर्ट के अनुसार निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी की मांग की थी। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार इन अखाड़ों ने कहा था कि मेला समापन का अधिकार केवल मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है, घोषणा करने वाले संत माफी नहीं मांगते तो वह अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते। उन्होंने यह भी कहा था कि उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी और स्वामी अवधेशानंद गिरि का बयान ऐसे समय में आया है जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज़ अब 2 लाख से ज़्यादा आने लगे हैं और ये लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
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