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शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र की पहचान: अमेरिका 

किसान आंदोलन पर पॉप सिंगर रियाना के ट्वीट और इस आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिले समर्थन से भले ही बीजेपी सरकार बौखलाई हो, लेकिन इस बीच अमेरिका ने भी अब टिप्पणी कर दी है। भारत में किसान आंदोलन पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र की पहचान है। अमेरिका की तरफ़ से यह टिप्पणी तब आई है जब बीजेपी की मोदी सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि सरकार इस शांतिपूर्ण आंदोलन को जारी नहीं रहने देना चाहती है और इसलिए सड़क पर कई स्तर के बैरिकेड लगा रही है, दीवारें खड़ी कर रही है, कंटीले तार और कीलें लगा कर घेरेबंदी कर रही है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ युद्ध की तैयारी करती हुई दिख रही है।

अब सवाल है कि रियाना के ट्वीट के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा आधिकारिक तौर पर बयान जारी किया गया था तो क्या अमेरिकी विदेश मंत्रालय की इस ताज़ा टिप्पणी के बाद भी कुछ ऐसा ही होगा? यह सवाल इसलिए कि किसानों के प्रदर्शन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एक बयान पर भारत ने तो ऐसी ही चेतावनी दी थी। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि 'ऐसी कार्रवाई संबंधों को बेहद नुक़सान पहुँचाएँगी'।

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तब ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा हमेशा शांतपूर्ण प्रदर्शन के बचाव में खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा था, 'किसानों के विरोध के बारे में भारत से ख़बरें आ रही हैं। स्थिति चिंताजनक है और हम सभी परिवार और दोस्तों के बारे में बहुत चिंतित हैं। मुझे पता है कि आप में से कई लोगों के लिए यह एक वास्तविकता है। मैं आपको याद दिला दूँ, कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण विरोध के अधिकारों की रक्षा करेगा।' ट्रूडो गुरुनानक की 551वीं जयंती पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे और वह ख़ासकर कनाडा में सिख समुदाय को संबोधित कर रहे थे।

भारत में किसानों के प्रदर्शन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बोलने के क़रीब 4 दिन बाद भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था। इसके साथ ही औपचारिक तौर पर भारत ने ट्रूडो के बयान की निंदा की थी। भारत ने कनाडा के दूसरे सांसदों द्वारा किसानों के प्रदर्शन पर भी बोलने पर आपत्ति की थी। 
us state department says peaceful protests hallmark of democracy on farmers protest - Satya Hindi

अब ताज़ा मामला अमेरिका का है। किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार की आलोचनाओं के बीच तीन नये कृषि क़ानूनों के किसानों के विरोध के सवाल पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया दी है। 'पीटीआई' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान है और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही कहा है।' 

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अमेरिका प्रोत्साहित करता है कि बातचीत के माध्यम से पार्टियों के बीच किसी भी मतभेद को हल किया जाए।

हालाँकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कृषि क़ानूनों के सुधार का स्वागत भी किया है। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'सामान्य तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका ऐसे क़दमों का स्वागत करता है जो भारत के बाज़ारों की दक्षता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करेंगे।' उन्होंने संकेत दिया कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए भारत सरकार के क़दम का समर्थन करता है। किसानों के लिए निजी निवेश और बाज़ार के अधिक पहुँच को आकर्षित करता है।

इस बीच भारत में किसान विरोध के समर्थन में कई अमेरिकी सांसद भी सामने आए हैं। एक सांसद इल्हान उमर ने भारत में अपनी आजीविका के लिए विरोध कर रहे सभी किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'भारत को अपने मूल लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, सूचनाओं के मुक्त प्रवाह की अनुमति देनी चाहिए, इंटरनेट की पहुँच बहाल करनी चाहिए और विरोध प्रदर्शन को कवर करने के लिए हिरासत में लिए गए सभी पत्रकारों को छोड़ देना चाहिए।'

एक अन्य सांसद हेली स्टीवंस ने कहा, 'मैं भारत में नए कृषि सुधार क़ानूनों का विरोध करने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कथित कार्रवाई से चिंतित हूँ।'

बता दें कि किसानों के विरोध प्रदर्शन को सरकार द्वारा कुचले जाने का आरोप किसान तो लगा ही रहे हैं और विपक्ष के नेता भी लगा रहे हैं। किसानों पर पुलिस के लाठी चार्ज, आँसू गैस के गोले दागे जाने और पानी की बौछारें छोड़े जाने की ख़बरें आती रहीं। अब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर दीवारें खड़ी की जा रही हैं और कीलें ठोकी जा रही हैं। प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। 

किसान प्रदर्शन से जुड़े एक हैशटैग चलाने वाले ट्विटर खातों व ट्वीट पर सरकार ने कार्रवाई करने का आदेश निकाला है। विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकार मनदीप पूनिया को गिरफ़्तार किया गया था जिन्हें अब कोर्ट से ज़मानत मिल चुकी है।

इन्हीं घटनाक्रमों को लेकर मंगलवार को अमेरिकी पॉप सिंगर रियाना ने ट्वीट कर पूछा था कि "हम इस पर चर्चा क्यों नहीं कर रहे हैं?" उन्होंने उसके साथ भारत में चल रहे किसान आन्दोलन पर सीएनएन में छपी ख़बर को शेयर किया था। इसके बाद कई लोगों ने उनका समर्थन किया था।

अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी  मीना हैरिस ने पिछले महीने अमेरिकी संसद में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के समर्थकों के जबरन घुस जाने और तोड़फोड़ करने की वारदात को भारत में किसान आन्दोलन से जोड़ा।

उन्होंने कहा, "यह महज संयोग नहीं है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में एक महीने पहले हमला हुआ था और हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकंतत्र पर हमला देख रहे हैं। हमें किसान आन्दोलन पर हो रहे अर्द्धसैनिक हिंसा और इंटरनेट बंद किए जाने पर गुस्सा होना चाहिए।"

रियाना के ट्वीट करने के बाद यह मामला इतना ज़्यादा उछला कि इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर औपचारिक रूप से रियाना के ट्वीट को 'ग़ैर-जिम्मेदाराना' बताया था और कहा था कि तथ्यों की पड़ताल कर ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचना चाहिए।

कई केंद्रीय मंत्रियों ने इस पर ट्वीट किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, 'ऐसे अहम मुद्दों पर कोई टिप्‍पणी करने से पहले हम आग्रह करना चाहेंगे कि तथ्‍यों के बारे में ठीक से पता लगाया जाए और मामले पर उचित समझ रखते हुए कुछ कहा जाए।'

मंत्रियों ने  #IndiaAgainstPropaganda और #IndiaTogether  जैसे हैशटैग के साथ ज़ोरदार जवाबी हमला बोला। इस पलटवार में केंद्रीय मंत्री ही नहीं, कई फ़िल्म कलाकार और चोटी के खिलाड़ी भी शामिल हैं, जिन्होंने रियाना और दूसरों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इस पर पूरा देश एकजुट है।

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अमित कुमार सिंह

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