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गाय सांस में छोड़ती है ऑक्सीज़न, उत्तराखंड के सीएम ने कहा

भारतीय जनता पार्टी के कई नेता अपने अजब-गज़ब और अवैज्ञानिक बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। कई बार वे ऐसी बात बोल जाते हैं जो विज्ञान के सिद्धांतों के एकदम ख़िलाफ़ होती हैं, हर तरह के तर्क और समझ से परे होती हैं। 

इस कड़ी में ताज़ा नाम जुड़ा है उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का। उन्होंने कहा है कि गाय श्वांस लेते समय तो ऑक्सीजन लेती है ही, वह ऑक्सीजन छोड़ती भी है।

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 यह नामुमकिन है। कोशिकाओं में मौजूद ग्लूकोज़ श्वांस में लिए गए ऑक्सीज़न के साथ प्रतिक्रिया कर कार्बन डाई ऑक्साइड बनाती है। यह बुनियादी विज्ञान की बात है और प्राथमिक स्कूल के बच्चों को पढ़ाई जाती है। 
रावत जी ने यह भी फरमाया कि गाय को सहलाने से सांस से जुड़े रोग ठीक हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उनका तो यह भी मानना है कि गाय के पास रहने से टीबी ठीक हो जाती है।
और तो और, इस तरह की बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कह चुके हैं। 

चुनाव प्रचार के बीच मोदी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि 1988 में उनके पास एक डिजिटल कैमरा था और उन्होंने रंगीन तसवीर ई-मेल से दिल्ली भेजी थी।

सच्चाई यह है कि भारत में 1995 से पहले आम लोगों की पहुँच में इंटरनेट और ई-मेल जैसी सुविधाएँ थी ही नहीं। 

प्रधानमंत्री ने इसी इंटरव्यू में बालाकोट हवाई हमले को लेकर कहा है कि बादलों की वजह से हवाई जहाज़ रडार की पकड़ में नहीं आते, यह सोच कर उन्होंने हमले का आदेश दे दिया था। 

सच तो यह है कि रडार इलेक्ट्रॉनिक तरंगों पर काम करता है और वह ख़राब मौसम में भी बहुत दूर मौजूद चीजों को भी बिल्कुल सही ढंग से ट्रैक कर लेता है।

नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर 2013 को पटना में एक रैली में कहा था, 'नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षण संस्थान बिहार के गौरव रहे हैं।' सच तो यह है कि तक्षशिला भारत में ही नहीं है। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है।

पटना की रैली में मोदी ने कहा था, सिकंदर ने पूरी दुनिया जीत ली थी, पर बिहार में वह हार गया। सच तो यह है कि सिकंदर को पंजाब से ही लौट जाना पड़ा था। 

सवाल यह उठता है कि बीजेपी के नेता इस तरह की बातें कहते ही क्यों है? क्या वे अज्ञानता वश ऐसा करते हैं या जानबूझ कर इस तरह की बातें कहते रहते हैं। वजह जो हो, बीजीपे के नेता एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 

अकबर ने माँगी थी जान की भीख?

राजस्थान बीजेपी प्रमुख मदन लाल सैनी ने कहा है कि एक बार मुगल बादशाह अकबर को राजपूत रानी से जान की भीख माँगनी पड़ी थी। महाराणा प्रताप की जयंती पर एक कार्यक्रम के दौरान सैनी ने कहा कि अकबर चरित्रहीन था और महिलाओं के प्रति उसका व्यवहार ख़राब था। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में महाराणा प्रताप से उसकी तुलना नहीं की जा सकती है। हालाँकि अकबर के बारे में टिप्पणी करते हुए उन्होंने इतिहास में दर्ज कोई प्रमाण नहीं दिए। इससे पहले उन्होंने जुलाई 2018 में भी मुगल शासन का ज़िक्र करते हुए हुमायूँ को बाबर का पिता बता दिया था, जबकि तथ्य यह है कि मुगल शासन के संस्‍थापक बाबर का बेटा हुमायूँ था।

बाबर को बता दिया था हुमायूँ का बेटा

मदन लाल सैनी ने जुलाई 2018 के एक कार्यक्रम में कहा था कि हुमायूँ की मौत के वक़्त बाबर ज़िंदा था। सैनी के अनुसार, हुमायूँ और बाबर के बीच भी गाय को लेकर चर्चा हुई थी और हुमायूँ ने बाबर को गाय का सम्मान करने की बात कही थी। सैनी ने तब कहा था, ‘जहाँ तक मुझे पता है जब हुमायूँ मर रहा था तो उसने बाबर को बुलाकर कहा अगर तुमको हिंदुस्तान में शासन करना है तो तीन चीजों का ध्यान रखना। एक तो गाय, दूसरा ब्राह्मण और फिर महिला, इनका अपमान नहीं होना चाहिए, हिंदुस्तान इनको सहन नहीं करता है।’

यह टिप्पणी सैनी ने अलवर में मॉब लिंचिंग की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए की थी। अलवर में गाय ले जा रहे अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति को गोरक्षकों ने घेरकर पीटा जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। 

हालाँकि अलवर की घटना पर टिप्पणी करते हुए मदनलाल कई ग़लतियाँ कर गए थे। पहली तो यह कि उन्होंने बाप को बेटा और बेटे को बाप बता दिया था। सच यह है कि बाबर के बेटे का नाम हुमायूँ था। लेकिन उन्होंने हुमायूँ को बाबर का पिता बता दिया। हुमायूँ की मृत्यु 1556 में हुई थी, जबकि बाबर की मौत 1531 में ही हो गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि मरते समय हुमायूँ बाबर को इस तरह की नसीहत कैसे दे सकता है।

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क़मर वहीद नक़वी

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