loader

वी-डेम इंस्टीच्यूट : चुनावी अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है भारत

पहले अमेरिकी के फ्रीडम हाउस और अब स्वीडन के वेराइटीज़ ऑफ डेमोक्रेसीज़ (वी-डेम) इंस्टीच्यूट ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि वहाँ लोकतंत्र कमज़ोर हुआ है। वी- डेम इंस्टीच्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि भारत में 'चुनावी अधिनायकवाद' का उदय हो रहा है, यह सेंशरशिप के मामले में पाकिस्तान के बराबर और नेपाल व बांग्लादेश से बदतर है। 

नेपाल से बदतर

स्वीडन के उप-प्रधानमंत्री रॉबर्ट रिडबर्ग की मौजूदगी में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले 10 सालों में मीडिया, अकादमिक जगत और नागरिक समाज की आज़ादी में कटौती की गई है। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले की सरकारों ने सेंसरशिप लागू नहीं की थी, पर इस मामले यह अब पाकिस्तान के बराबर और नेपाल व बांग्लादेश से बदतर हो चुका है। 

रिपोर्ट के अनुसार,

"मोदी सरकार राजद्रोह, अवमानना और आतंकवाद-निरोधी क़ानूनों का इस्तेमाल आलोचकों का मुँह बंद करने के लिए करती है। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से 7,000 लोगों पर राजद्रोह का मुक़दमा लगाया गया है, इनमें से अधिकतर उसके आलोचक हैं।"


डेमोक्रेसी रिपोर्ट 2021, वी- डेम इंस्टीच्यूट

यूएपीए का दुरुपयोग

इसमें यह भी कहा गया है कि बीजेपी ने फ़ॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट का इस्तेमाल सिविल सोसाइटी के कामकाज को नियंत्रित करने में किया। इसी तरह रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिन्दुत्व से जुड़े संगठनों को कामकाज में अधिक आज़ादी दी गई। 

इस स्वीडिश रिपोर्ट में कहा गया है कि "अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट (यूएपीए) का इस्तेमाल सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों और राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने, डराने-धमकाने और जेल में डालने के लिए किया जाता है। अकादमिक जगत में लोगों का मुँह बंद करने के लिए यूएपीए का इस्तेमाल किया जाता है। नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध करने वाले विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों पर इसका इस्तेमाल किया गया।" 

वी डेम इंस्टीच्यूट के अनुसार, जो कभी सबसे बड़ा लोकतंत्र था, वह इन कारणों से चुनावी अधिनायकवाद के स्तर तक उतर आया है।

अधिनायकवाद की शुरुआत

इंस्टीच्यूट ने आँकड़ों का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला कि किस तरह अधिनायकवाद शुरू होता है और उसका क्या पैटर्न होता है। 

इसने अधिनायकवाद के पैटर्न के बारे में बताया है, सबसे पहले मीडिया को नियंत्रित किया जाता है और अकादमिक जगत पर नकेल कसी जाती है। इसके साथ ही ध्रुवीकरण बढाने के लिए राजनीतिक विरोधियों से बदतमीजी की जाती है और सरकारी माध्यमों का इस्तेमाल कर दुष्प्रचार किया जाता है। इतना सबकुछ होने के बाद लोकतंत्र की बुनियाद-चुनाव और संस्थाओं पर चोट किया जाता है। 

इस शोध में पाया गया है कि पिछले 10 साल में दुनिया के अलग-अलग इलाक़ों में लोकतंत्र को कमज़ोर किया गया है, ऐसा दक्षिण एशिया, एशिया प्रशांत, पूर्वी यूरोप और लातिनी अमेरिका में हुआ है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, ब्राजील और तुर्की दुनिया के 10 देशों में है, जहां लोकतंत्र में सबसे अधिक क्षरण हुआ है। 

फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट

इसके पहले अमेरिकी थिंकटैंक फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अधिनायकवाद में धंसता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली दंगों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ भीड़ की हिंसा का हवाला दिया गया है। सरकार की आलोचना करने वालों पर राजद्रोह के मुक़दमे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन का यकायक एलान और उसे बेहद सख़्ती से लागू करने की बात भी कही गई है।

सरकार ने इसे खारिज कर दिया था। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें