ट्विटर और सरकार के बीच तकरार के बीच यह 'कू' कैसे चर्चा में आ गया? चर्चा भी हुई तो ऐसी-वैसी नहीं, ट्विटर पर कू ऐप के नाम से ट्रेंड करने लगा। क्या आपने इससे पहले कू का नाम सुना था? आइए, हम आपको बताते हैं कि यह चर्चा में कब आया, अब यह ट्रेंड क्यों कर रहा है और इस पर इतना शोर क्यों मचा है।
कू चर्चा में तब आया है जब ट्विटर और सरकार के बीच तनातनी को लेकर हलचल मची हुई है। हाल ही में सरकार ने ट्विटर से यह कहते हुए 1178 ट्विटर खातों को बंद करने के लिए कहा था कि ये खाते पाकिस्तान और खालिस्तान से सहानुभूति रखते हैं। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया था। इससे तनातनी बढ़ने की आशंका जताई गई। आज ही इस पर तनातनी इसलिए बढ़ गई कि ट्विटर ने उन सभी खातों को बंद करने से इनकार कर दिया है। ट्विटर ने अपने आधिकारिक ब्लॉग में कहा है, 'हमने कंट्री विदहेल्ड कंटेट नीति के तहत कई अकाउंट को भारत के अंदर ब्लॉक कर दिया है। ये अकाउंट भारत के बाहर चालू हैं।'
कुछ दिन पहले ही जब सरकार ने 100 ट्विटर खातों को बंद कराया था और 150 ट्वीट हटवाए थे तब कुछ ही घंटों में ट्विटर ने एकतरफ़ा फ़ैसला लेते हुए उन सभी खातों और ट्वीट को बहाल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने खुली चेतावनी दी थी कि या तो ट्विटर सरकार के आदेशों की अनुपालना करे या नतीजे भुगते।
ट्विटर और सरकार में तकरार के बीच कई केंद्रीय मंत्री और सरकारी विभाग कू ऐप पर एक्टिव हो गए हैं। कई मंत्रियों ने बकायदा ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है कि वे अब कू पर उपलब्ध हैं।
आख़िर 'कू' है क्या?
एक बात तो साफ़ है कि इसे ट्विटर का भारतीय विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। साफ़ शब्दों में कहें तो यह ट्विटर की तरह ही माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट है। ट्विटर की तरह लोगों को फॉलो किया जा सकता है और 'कू' को लाइक और 'रिकू' किया जा सकता है। ऑडियो या वीडियो-आधारित पोस्ट भी की जा सकती है। ट्विटर की तरह 'कू' में भी हैशटैग की व्यवस्था है। ट्विटर की तरह ही '@' प्रतीक का उपयोग करके अपनी पोस्ट में किसी अन्य व्यक्ति को भी टैग किया जा सकता है। कू पर पोल्स पोस्ट करने, फ़ोटो और वीडियो साझा करने का विकल्प भी है।
इसकी ऐप भी गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। हालाँकि यह चर्चा में अब आया है लेकिन यह क़रीब एक साल पहले ही आ चुका था।
इसको अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने पिछले साल मार्च में बनाया था। सरकार के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को जीतकर यह ऐप चर्चा में आई। इनोवेशन चैलेंज जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में भी इस ऐप का ज़िक्र किया था।
लेकिन ट्रेंड तब हुआ जब केंद्रीय मंत्रियों ने इस ऐप का इस्तेमाल शुरू किया। कू ऐप पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा जैसे नेता इस ऐप पर आए। नीति आयोग, दूरसंचार, आईटी, इंडिया पोस्ट, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, और MyGovIndia जैसे विभाग भी कू पर मौजूद हैं।
कू पर रविशंकर प्रसाद का वेरिफ़ाइड हैंडल है। पीयूष गोयल ने ट्विटर पर घोषणा की कि वह भी कू पर मौजूद हैं और उन्होंने कू पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए कहा।
I am now on Koo.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) February 9, 2021
Connect with me on this Indian micro-blogging platform for real-time, exciting and exclusive updates.
Let us exchange our thoughts and ideas on Koo.
📱 Join me: https://t.co/zIL6YI0epM pic.twitter.com/REGioTdMfm
शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर कहा कि वह कू वेबसाइट पर मौजूद हैं। संबित पात्रा ने भी ऐसा ही ट्वीट किया है। इनके अलावा ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव, पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ी ने भी कू पर खाते बनाए हैं।
कू की खासियत
कू एक भारत-आधारित ऐप है और लोगों को उनकी भाषा में पोस्ट करने की अनुमति देता है। साइन अप करते समय यह भारतीय भाषाओं में से चुनने को कहता है। केवल एक भाषा चुनने का ही विकल्प है। कू पर अंग्रेजी व हिंदी के अलावा कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मराठी, बंगाली, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, असमिया और गुजराती भाषाएँ उपलब्ध हैं।
कू की पॉलिसी के बारे में राधाकृष्ण कहते हैं कि वह चाहते हैं कि भारतीय भाषाओं में बोलने वाले लोगों को मंच उपलब्ध कराया जाए। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति वाला मंच है। उन्होंने कहा, 'जीवन के लिए ख़तरा, भीड़ की हिंसा का ख़तरा होने पर अपवाद होंगे। राधाकृष्ण ने कहा कि वे चीजें हैं जहाँ हम देश के क़ानून का पालन करेंगे।' यह पूछे जाने पर कि क्या कू उन यूज़र पर प्रतिबंध लगाएगा जो मंच पर दूसरों को ट्रोल करते हैं, उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक ऐसी स्थितियों से निपटा नहीं है और ऐसा होने पर वह प्रतिक्रिया देंगे।
अपनी राय बतायें