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देश की राजनीति में घोटाले और डायरियों का खेल

एक दौर था जब क्रांतिकारी व राजनेता अपनी जेल यात्राओं के दौरान आन्दोलन और देश को लेकर अपने अनुभव पर डायरियाँ लिखते थे जो आज हमारे लिए धरोहर साबित हो रही हैं। और एक आज का दौर है आज़ादी मिलने के बाद का यहाँ सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाले नेताओं और सत्ता के गलियारों में फलने-फूलने वाले दलालों की डायरियों का। इन दलालों और नेताओं की डायरियाँ आज कई भ्रष्टाचार के राज खोलती हैं और देश को शर्मसार होना पड़ता है। ये डायरियाँ बताती हैं कि हमारी शासन-व्यवस्था किस हद तक भ्रष्ट हो चुकी है। फिर एक डायरी चर्चा में आयी है और उसने ‘घोटालों’ का एक पिटारा खोला है जिसने ‘पार्टी विथ डिफरेंस’ की बात कहने वाली बीजेपी को आरोपों में घेर लिया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की यह कोई पहली डायरी नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने सहारा और बिड़ला पेपर्स या डायरी का मुद्दा उठाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर उसकी हवा निकाल दी थी कि इन दस्तावेज़ों को जाँच के लिए ज़रूरी प्रमाण नहीं माना जा सकता। और अब आयी है कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा की डायरी।

‘येदियुरप्पा डायरी’ में आरोप

इस डायरी में बीजेपी और उसके अधिकांश वरिष्ठ नेता आरोपों के घेरे में हैं। कांग्रेस ने 2017 में भी इस मामले में येदियुरप्पा व केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार के बीच वार्तालाप की ऑडियो क्लिप जारी की थी। इसलिए जब ‘कारवां’ पत्रिका ने इस संदर्भ में ख़बर छापी तो कांग्रेस को अपने पुराने मुद्दे में जान आती दिखाई दी। 

कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं कि येदियुरप्पा ने बीजेपी की केंद्रीय समिति को 1000 करोड़, नितिन गडकरी, अरुण जेटली को 150 -150 करोड़, राजनाथ सिंह को 100 करोड़, लाल कृष्ण आडवाणी को 50 करोड़ और मुरली मनोहर जोशी को 50 करोड़ रुपये दिये हैं।

बता दें कि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था और जेल भी हुई थी। इसलिए उनकी डायरी बहुत से सवाल खड़े कर रही है।

‘भ्रष्टाचार डायरी’ की शुरुआत

हमारे देश में यह पहली डायरी नहीं है जो नेताओं को पैसे देने का हिसाब रखती है। इसकी शुरुआत तो साल 1948 से ही  हो गयी थी जब ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त वी. के. कृष्ण मेनन पर आरोप लगे थे। फ़ौज़ के लिए 2000 जीप ख़रीदने के लिए निजी कंपनी को 80 लाख रुपए का भुगतान कर दिया, मगर डिलीवरी सिर्फ़ 155 जीप की ही हुई थी। जाँच में जीप बेचने वाली वह कंपनी फ़र्ज़ी निकली, मगर मेनन बेदाग रहे और बाद में वह देश के रक्षामंत्री भी बने।

बीमा कंपनी में घोटाला!

इसके बाद 1958 में इंदिरा गाँधी के पति फिरोज गाँधी ने बीमा घोटाला उजागर किया था, जिसमें वित्तमंत्री टी. टी. कृष्णमाचारी, वित्त सचिव एच.एम. पटेल और एलआईसी अध्यक्ष वैद्यनाथन पर आरोप लगे। इसके अगले साल उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया को अपनी भारत बीमा कंपनी में जनता के जमा 2.2 करोड़ रुपए हड़पने के आरोप में जेल हुई। इस कांड ने एक अच्छा काम किया, बीमा कारोबार के राष्ट्रीयकरण की राह दिखाई। देश में ऐसे घोटालों की लम्बी फ़ेहरिस्त  है। 80 के दशक के बाद जो घोटालों का दौर शुरू हुआ उसमें डायरियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी।

  • मा‌र्टिन अर्दबो की डायरी, जैन बंधुओं की डायरी, गाइडो हेशके की डायरी, ए. राजा की डायरी, शिवशंकर भट्ट की डायरी, बिड़ला की डायरी, सहारा डायरी, लाल डायरी आदि। हर डायरी की एक अलग कहानी है। और इन डायरियों में हैं भ्रष्टाचार के अनेक काण्ड।

बोफोर्स से जुड़ी डायरी

मा‌र्टिन अर्दबो बोफोर्स के चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव थे और उनकी डायरी में R, P, N, Nero, GPH H, GP, SP और Q जैसे अक्षर लिखे थे जिसने भारतीय राजनीति में भूकंप ला दिया और राजीव गाँधी को इसकी क़ीमत सत्ता गँवाकर चुकानी पड़ी थी, लेकिन 1987 से लेकर आज तक यह साबित नहीं हो सका कि बोफोर्स में दलाली किसने खायी थी। उस समय राजीव गाँधी की सरकार में मंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बगावत के सुर बुलंद किये। 

विश्वनाथ प्रताप सिंह हर जनसभा में अपनी जेब से एक परचा निकालते थे और बताते थे कि इस डायरी में उन सभी के नाम लिखे हैं जिन्होंने दलाली खायी है। विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बन गए लेकिन बोफोर्स में दलाली किसने खायी, किसी को पता नहीं चला।

जब वापस कांग्रेस की सरकार आयी तो प्रधानमंत्री नरसिंह राव के समय एस. के. जैन की डायरी सामने आयी। 

एस. के. जैन की डायरी 

जैन बंधु कारोबारी और हवाला ऑपरेटर थे और उनकी डायरी में 1.8 करोड़ डॉलर की रिश्वत की कहानी सांकेतिक शब्दों में लिखी थी जैसे  LKA और JK। इस मामले में लालकृष्‍ण आडवाणी, बलराम जाख़ड़, वी. सी. शुक्ला, माधवराव सिंधिया और मदन लाल खुराना, अर्जुन सिंह, शरद यादव जैसे दिग्गज नेताओं पर कई सवाल खड़े हुए थे। इस डायरी के बाद भी कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल हुई, लेकिन बाद में एक-एक कर सभी नेता बरी हो गये। कांग्रेस जब वापस सत्ता में आयी तो मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर डायरी निकली। यह डायरी थी ए. राजा की डायरी, इसमें 2G घोटाले के राज लिखे हुए थे। राजा के मकान से एक नहीं तीन-तीन डायरियाँ मिली थीं, लेकिन आज 2 G घोटाले के सभी आरोपी बरी हो गए हैं। 

  • घोटालों के इसी दौर में गाइडो हेशके की डायरी आयी जिसने  -अगस्ता-वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील में बिचौलिए की भूमिका अदा की थी। इस डायरी में 16 लाख यूरो की रिश्वत देने के राज छुपे थे। जांचकर्ता इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि डायरी में लिखे GK, AP, CAF, PG, CM, LM और Julie का ज़िक्र किसके लिए किये गये हैं। 
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ए. राजा की डायरी 

राजा की डायरी के बाद कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुयी और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आयी। बीजेपी के सांसद कीर्ति आज़ाद, जो आज कांग्रेस में हैं, ने ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर वित्त मंत्री अरुण जेटली पर दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन में घोटाले के आरोप लगा दिए। 22 दिसंबर, 2015 को लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जैसे आडवाणी जैन हवाला कांड के आरोपों से बेदाग़ निकल आए थे, उसी तरह डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोपों से जेटली भी बेदाग़ निकल आएँगे। मोदी ने इसी मामले में दूसरे नेताओं के बरी होने का ज़िक्र तक नहीं किया।

सहारा और लाल डायरी 

मोदी के कार्यकाल में आयी सहारा डायरी और तृणमूल कांग्रेस के नेता की लाल डायरी। सहारा डायरी को सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता प्रशांत भूषण बिड़ला -सहारा पेपर्स कहते हैं। बता दें कि अक्टूबर, 2013 में आयकर विभाग और सीबीआई ने आदित्य बिड़ला ग्रुप की कंपनियों के कई दफ़्तरों पर छापे मारे थे। बरामद दस्तावेज़ों में बिड़ला समूह के ग्रुप प्रेसिडेंट शुभेंदु अमिताभ के ई-मेलों में एक कोड एंट्री भी थी- ‘गुजरात सीएम 25 करोड़’ (12 का भुगतान किया गया, बाकी?) जब उनसे इस एंट्री के बारे में पूछा गया, तो उनका जवाब था कि ‘गुजरात सीएम’ का मतलब है गुजरात अल्कलीज एंड केमिकल्स। हालाँकि इस नाम की कंपनी को कोई अन्य भुगतान की जानकारी वह नहीं दे पाए।

  • उस समय की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया, क्योंकि इस डायरी में जिन भुगतानों का ज़िक्र था, वे सब यूपीए सरकार के अधिकारी थे। बाद में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने भी इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया। हालाँकि मोदी ने अपनी रैलियों में कई बार ‘जयंती टैक्स’ का ज़िक्र कर जयंती नटराजन पर हमला किया था।

कोर्ट ने बताया नाकाफ़ी सबूत

मोदी सरकार के कार्यकाल में नवंबर, 2014 में आयकर विभाग ने सहारा समूह की कुछ कंपनियों पर छापा मारा। ज़ब्त दस्तावेज़ों में 2013-14 तक की 115 करोड़ रुपए नकद की प्राप्ति के स्रोतों और इसमें से 113 करोड़ रुपये अलग-अलग लोगों को नकद वितरण का उल्लेख था। बताया जाता है कि इसमें भी ‘गुजरात के सीएम’, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को 4 करोड़ और दिल्ली के मुख्यमंत्री (जो उस समय शीला दीक्षित थीं) के नाम 1 करोड़ दर्ज था। सहारा-बिड़ला दस्तावेजों को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया था, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए उनकी दलीलें ख़ारिज़ कर दी कि इन दस्तावेज़ों को जाँच के लिए ज़रूरी प्रमाण नहीं माना जा सकता। 

लाल डायरी का सच!

अब ऐसी ही एक लाल डायरी को लेकर बीजेपी ममता बनर्जी पर आरोप लगा रही है। बीजेपी कह रही है कि शारदा चिटफंड के ऑफिस में हुई रेड में बरामद एक लाल डायरी ग़ायब है। लाल डायरी की यह ख़ासियत है कि पहले तृणमूल के नेता इसका इस्तेमाल बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ करते थे और आज बीजेपी के नेता उसका इस्तेमाल ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ कर रहे हैं। 1 दिसंबर, 2014 को टीएमसी सांसद लाल डायरी की रेप्लिका के साथ लोकसभा पहुँचे थे। आरोप था कि सहारा इंडिया पर पड़ी इनकम टैक्स की रेड में एक लाल डायरी ग़ायब है।

  • एक डायरी की गूँज छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी हुई और यह थी शिवशंकर भट्ट की डायरी। रायपुर में सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के दफ्तर में छापे के दौरान भट्ट की डायरी मिली। इसमें भी रक़म दिये जाने वालों के नाम थे। 1,50,000 करोड़ रुपए के पीडीएस घोटाले में कई मंत्रियों और मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनकी पत्नी का नाम आया था। 

अब मोदी सरकार पर इस येदियुरप्पा से जुड़ी डायरी का कितना असर पड़ेगा इसका आकलन अभी से करना कठिन है, लेकिन यदि केवल कर्नाटक में भी इसका असर पड़ा तो बीजेपी के लिए बड़ा नुक़सान होगा, क्योंकि साल 2014 में बीजेपी ने कर्नाटक में 17 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

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संजय राय

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