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जो कभी मोदी के साथ थे, आज कांग्रेस-एनसीपी के समर्थक हैं

2014 में जो लोग नरेंद्र मोदी के साथ खड़े थे अब वे कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन से हाथ मिलाते जा रहे हैं। राज ठाकरे की मनसे, राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, नारायण राणे का स्वाभिमानी संगठन और रवि राणा का युवा स्वाभिमानी संगठन ऐसी पार्टियाँ हैं जो अब भारतीय जनता पार्टी के ख़िलाफ़ खड़ी हैं।
राजू शेट्टी किसान नेता हैं, पिछले चुनाव में उनकी पार्टी दो सीटों पर लड़ी थी और एक सीट जीती थी। महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दों को वह प्रखरता से उठाते हैं। सांगली, कोल्हापुर, बुलढाणा और विदर्भ के कुछ हिस्सों में उनके संगठन की अच्छी पकड़ है। रवि राणा वर्तमान में विधायक हैं और कुछ अर्से पहले तक वह भाजपा के साथ थे लेकिन अब नाता तोड़ लिया है। उनकी पार्टी का अमरावती लोकसभा क्षेत्र में प्रभाव है।
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कांग्रेस से भाजपा में गए पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे फिर से कांग्रेस-राष्ट्रवादी गठबंधन के साथ अपने तार जोड़ रहे हैं। कोंकण क्षेत्र के इस दबंग नेता ने शिवसेना छोड़कर 12 विधायकों के साथ जब कांग्रेस में प्रवेश किया था, तब सभी विधायकों को पद से इस्तीफ़ा दिलाकर फिर से चुनाव जितवाया था। एक समय में कोंकण में उनकी तूती बोलती थी, अब भी कुछ क्षेत्रों में उनका प्रभाव नकारा नहीं जा सकता।
बदल गए मनसे के सुरजब मोदी लहर चली थी तो महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन से बाहर रहते हुए भी यह घोषणा की थी कि उनके प्रत्याशी जीतेंगे तो केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार का समर्थन करेंगे।
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इस बार वही राज ठाकरे नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ ताल ठोक कर खड़े हो रहे हैं। मनसे इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रही, लेकिन राज ठाकरे अपनी सेना के कार्यकर्ताओं को मोदी सरकार के ख़िलाफ़ सज्ज करने जा रहे हैं।

अब तारीफ़ नहीं, उधेड़ रहे बखिया

5 साल पहले मोदी की तारीफ़ करने वाले राज, आज मोदी सरकार की नीतियों की बखिया उधेड़ रहे हैं। बता दें कि साल 2014 के चुनाव में मनसे ने प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। राज ठाकरे ने बीजेपी को समर्थन करने की घोषणा के पीछे कोई शर्त नहीं रखी थी। राज ठाकरे को भारतीय जनता पार्टी अपने गठबंधन में रखना चाहती थी। उसको लेकर नितिन गडकरी ने राज ठाकरे से बैठक भी की थी, लेकिन गठबंधन में मनसे को नहीं शामिल करनी की शर्त शिवसेना ने रख दी और मनसे को अपने बल पर चुनाव लड़ना पड़ा था। लेकिन इस बार राज ठाकरे की सेना चुनाव नहीं लड़ेगी मगर चुनाव प्रचार ज़रूर करेगी और वह भी मोदी सरकार के ख़िलाफ़।
राज ठाकरे ने कुछ दिन पहले ही पार्टी के स्थापना दिवस पर इस बात के संकेत दिए थे कि उनकी सेना के कार्यकर्ताओं को इस बार क्या करना है?

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राज ठाकरे, (मनसे)

राज ठाकरे के आदेश के 5 दिन बाद ही पिंपरी चिंचवड में मनसे के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के एक ट्रोल को ढूँढ निकाला और उसे माफ़ी माँगने के लिए कहा था।इस चुनाव में राज ठाकरे, कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन मनसे के कारण प्रांतीय मतदाता दूर नहीं हो जाएँ इसलिए कांग्रेस ने उनसे दूरी बनाने का निर्णय किया।  इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस अपनी सीटें बढ़ाने के लिए पूरी जी जान से लगे हुए हैं। इसलिए वे हर छोटे दल जिसका एक लोकसभा क्षेत्र में ही प्रभाव क्यों ना हो उसे भी अपने साथ खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं।
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संजय राय

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