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कोरोना का असर : पेट्रोल-डीज़ल के दाम शून्य से भी नीचे, लेकिन आपको कोई फ़ायदा नहीं

क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत गिर कर शून्य से नीचे चली गई? मतलब?
आसान शब्दों में इसका मतलब यह है कि तेल खरीदने वाले को बेचने वाले ने ही पैसे दिए। यह भला कैसे मुमकिन है? चलिए, इस मज़ेदार गुत्थी को समझने की कोशिश करते हैं। 
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खरीददार नहीं

कोरोना रोकथाम के लिए दुनिया के ज़्यादातर देशो में हवाई जहाज़ समेत परिवहन का हर माध्यम बंद है। यानी हवाई जहाज, रेल, बसें, गाड़ियाँ, पानी का जहाज़, सबकुछ बंद पड़ा हुआ है। नतीज़तन कोई देश तेल नहीं खरीद रहा है। 
तेल की कीमतें गिरने पर ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़ (ओपेक) ने इसके उत्पादन में कटौती कर दी थी, लेकिन उत्पादन हो ही रहा है।  
तेल की कीमत उसकी माँग, आपूर्ति और क्वालिटी पर निर्भर करती है। लॉकडाउन की वजह से तेल की आपूर्ति उसकी माँग से ज़्यादा हो गई।

तेल रखने की जगह नहीं

अमेरिका के तेल पाइपलाइन का नेटवर्क ओक्लाहोमा राज्य में है और तेल का सबसे बड़ा भंडार कसिंग में है। उस भंडार का 72 प्रतिशत भर चुका है। अब वहाँ तेल नहीं रखा जा सकता। 
न्यूयॉर्क मेटल एक्सचेंज के फ़्यूचर्स ट्रेडिंग के निदेशक बॉब यॉगर ने पत्रकारों से कहा,

'तेल रखने की जगह नहीं बची है, ऐसे में तेल की कोई कीमत ही नहीं रही। इस हालत में यदि आप वहाँ से तेल निकाल ले जाएँगे तो आपको एक डॉलर प्रति बैरल दिया जाएगा।'


बॉब यॉगर, निदेशक, फ़्यूचर्स ट्रेडिंग, न्यूयॉर्क मेटल एक्सचेंज

क्या करें इस तेल का?

तेल के हर फ़्यूचर ट्रेडिंग क़रार के साथ रोज़ाना कम से कम 1,000 बैरल कच्चा तेल कसिंग के स्टोरेज में पहुँच रहा है, जिसकी कुल क्षमता 7.60 करोड़ बैरल है। 
जिनका फ़्यूचर ट्रेडिंग क़रार मई महीने का है, वे तेल नहीं खरीद रहे हैं। लेकिन तेल का क्या करें? दूध और गेंहू की तरह तेल पानी में नहीं डाल सकते न ही टमाटर-प्याज की तरह सड़क पर फेंक सकते हैं। 
तेल रखने की जगह है नहीं, तो तेल ले जाने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा जा रहा है तेल भी ले जाओ और उसके साथ पैसे भी ले जाओ।
लेकिन जिनका फ़्यूचर ट्रेडिंग जून का है, उन्हें अधिक चिंता की बात नहीं है। उन्हें जून में तेल बेचना है और तब तक तेल पड़ा रहेगा। इसलिए जून का फ़्यूचर 20 डॉलर प्रति बैरल की दर से बिक रहा है।

आपको क्या फ़ायदा?

तेल की कीमत शून्य से नीचे गिरने से आपको क्या फ़ायदा है? आपको कोई फ़ायदा नहीं है। आप पेट्रोल और डीज़ल पेट्रोल पंप से ही खरीदेंगे जो किसी कंपनी का है, वह आपसे पूरे पैसे वसूलेगी। 

इसकी एक बड़ी वजह यह है कि भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमत गिरने के बाद भी उस पर आयात कर बढ़ा दिया और तमाम राज्य सरकारों ने भी वैट की दर बढ़ा दी। नतीजा यह हुआ कि जिस समय अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत गिरी, भारत में पेट्रोल, डीज़ल महँगे हो गए। 

विमानन उद्योग को लाभ

विमानन उद्योग को इससे फ़ायदा है। लॉकडाउन हटने के तुरन्त बाद उड़ानें चालू होंगी, लेकिन वे बहुत अधिक नहीं होंगी और ज्यादा मुसाफिर नहीं होंगे। लेकिन हवाई कंपनियों को तेल बेहद सस्ता मिलेगा और वे पैसा बचा लेंगी। लेकिन इससे एअर टिकटें सस्ती नहीं होंगी। विमानन कंपनियों को अपना घाटा पूरा करना है, तेल के अलावा दूसरे खर्च भी हैं। 

आगे क्या होगा?

कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति ठीक होने के बाद भी तेल की माँग बहुत अधिक नहीं निकलेगी। इसकी वजह यह है कि अमेरिका समेत कई देश रोज़ाना 3 करोड़ बैरल कच्चा तेल भंडार में रख रहे हैं। अर्थव्यवस्था सुधरने के बाद भी वे बहुत अधिक तेल नहीं खरीदेंगे। ऐसे में माँग नहीं निकलेगी तो कीमतें भी कम ही रहेंगी। 

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प्रमोद मल्लिक

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