खरीददार नहीं
कोरोना रोकथाम के लिए दुनिया के ज़्यादातर देशो में हवाई जहाज़ समेत परिवहन का हर माध्यम बंद है। यानी हवाई जहाज, रेल, बसें, गाड़ियाँ, पानी का जहाज़, सबकुछ बंद पड़ा हुआ है। नतीज़तन कोई देश तेल नहीं खरीद रहा है।तेल की कीमत उसकी माँग, आपूर्ति और क्वालिटी पर निर्भर करती है। लॉकडाउन की वजह से तेल की आपूर्ति उसकी माँग से ज़्यादा हो गई।
तेल रखने की जगह नहीं
अमेरिका के तेल पाइपलाइन का नेटवर्क ओक्लाहोमा राज्य में है और तेल का सबसे बड़ा भंडार कसिंग में है। उस भंडार का 72 प्रतिशत भर चुका है। अब वहाँ तेल नहीं रखा जा सकता।“
'तेल रखने की जगह नहीं बची है, ऐसे में तेल की कोई कीमत ही नहीं रही। इस हालत में यदि आप वहाँ से तेल निकाल ले जाएँगे तो आपको एक डॉलर प्रति बैरल दिया जाएगा।'
बॉब यॉगर, निदेशक, फ़्यूचर्स ट्रेडिंग, न्यूयॉर्क मेटल एक्सचेंज
क्या करें इस तेल का?
तेल के हर फ़्यूचर ट्रेडिंग क़रार के साथ रोज़ाना कम से कम 1,000 बैरल कच्चा तेल कसिंग के स्टोरेज में पहुँच रहा है, जिसकी कुल क्षमता 7.60 करोड़ बैरल है।तेल रखने की जगह है नहीं, तो तेल ले जाने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा जा रहा है तेल भी ले जाओ और उसके साथ पैसे भी ले जाओ।
आपको क्या फ़ायदा?
तेल की कीमत शून्य से नीचे गिरने से आपको क्या फ़ायदा है? आपको कोई फ़ायदा नहीं है। आप पेट्रोल और डीज़ल पेट्रोल पंप से ही खरीदेंगे जो किसी कंपनी का है, वह आपसे पूरे पैसे वसूलेगी।
विमानन उद्योग को लाभ
विमानन उद्योग को इससे फ़ायदा है। लॉकडाउन हटने के तुरन्त बाद उड़ानें चालू होंगी, लेकिन वे बहुत अधिक नहीं होंगी और ज्यादा मुसाफिर नहीं होंगे। लेकिन हवाई कंपनियों को तेल बेहद सस्ता मिलेगा और वे पैसा बचा लेंगी। लेकिन इससे एअर टिकटें सस्ती नहीं होंगी। विमानन कंपनियों को अपना घाटा पूरा करना है, तेल के अलावा दूसरे खर्च भी हैं।
आगे क्या होगा?
कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति ठीक होने के बाद भी तेल की माँग बहुत अधिक नहीं निकलेगी। इसकी वजह यह है कि अमेरिका समेत कई देश रोज़ाना 3 करोड़ बैरल कच्चा तेल भंडार में रख रहे हैं। अर्थव्यवस्था सुधरने के बाद भी वे बहुत अधिक तेल नहीं खरीदेंगे। ऐसे में माँग नहीं निकलेगी तो कीमतें भी कम ही रहेंगी।
अपनी राय बतायें